Google Doodle: गूगल ने साहित्यकार महाश्वेता देवी के सम्मान में बनाया डूडल, जानिए उनसे जुड़ी खास बातें
नई दिल्ली। गूगल ने आज अपना डूडल बांग्ला लेखिका महाश्वेता देवी को समर्पित किया है। गूगल ने 'महाश्वेता देवी के 92वें जन्मदिन' शीर्षक से डूडल बनाया है। महाश्वेता देवी केवल एक लेखिका नहीं थीं बल्कि एक समाजिक कार्यकर्ता और कुशल पत्रकार भी थीं। उन्हें 1996 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। महाश्वेता देवी का जन्म 14 जनवरी 1926 को अविभाजित भारत के ढाका में हुआ था।
परिचय
उनके पिता मनीष घटक एक कवि और एक उपन्यासकार थे और उनकी माता धारीत्री देवी भी एक लेखिका और एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं इसलिए कलम का ज्ञान उन्हें अपने मां-पिता से ही मिला था।
शिक्षा
उनकी स्कूली शिक्षा ढाका में हुई थी लेकिन विभाजन के वक्त वो और उनका पूरा परिवार कोलकाता में बस गया। महाश्वेता देवी की आगे की पढ़ाई विश्वभारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन से हुई। उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. किया।
'झांसी की रानी' महाश्वेता देवी की प्रथम रचना
उन्होंने कुछ समय तक कोलकाता विश्वविद्यालय में अंग्रेजी व्याख्याता के रूप में नौकरी भी की। लेकिन 1984 से वो कलम के क्षेत्र में आयीं और उन्होंने नौकरी से रिटायरमेंट ले लिया। 'झांसी की रानी' महाश्वेता देवी की प्रथम रचना है।
महत्वपूर्ण रचनाएं
उनकी कुछ महत्वपूर्ण कृतियों में 'अग्निगर्भ' 'जंगल के दावेदार' और '1084 की मां', माहेश्वर, ग्राम बांग्ला रहे हैं। उनकी छोटी-छोटी कहानियों के बीस संग्रह प्रकाशित किये जा चुके हैं और सौ उपन्यासों के करीब (सभी बंगला भाषा में) प्रकाशित हो चुकी है।
कई कहानियों पर फिल्में बनी
उन्होंने आदिवासियों अधिकारों के लिए भी काम किया था, उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार और रेमन मेगसायसायर पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है, उनकी लिखी कई कहानियों पर फिल्में बनी हैं। उनके मशहूर उपन्यास '1084 की मां' पर गोविंद निहलानी ने फिल्म भी बनायी थी। संघर्ष, रूदाली और हजार चौरासी जैसी फिल्में उन्हीं की लेखनी पर आधारित है।
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