ग्लेनमार्क फार्मा को मिली कोरोना संक्रमित मरीजों पर फैविपिराविर दवा के परीक्षण की मंजूरी
नई दिल्ली। दवा कंपनी ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स को कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों पर फैविपिराविर गोलियों का परीक्षण करने की अनुमति मिल गयी है। दवा कंपनी को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए फैविपिराविर एंटीवायरस टैबलेट के क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी मिली है। ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ऐसी मंजूरी पाने वाली वह देश की पहली कंपनी है।
कंपनी ने एक बयान में कहा कि उसने इस दवा के लिए कच्चा माल (एपीआई) आंतरिक तौर पर तैयार किया है। इसका यौगिक (फॉर्मूलेशन) भी उसने ही विकसित किया है। कंपनी ने इसके मानवीय चिकित्सकीय परीक्षण की अनुमति मांगी थी। यह मंजूरी कोरोना वारयस से आंशिक तौर पर संक्रमित मरीजों पर परीक्षण के लिए मांगी गयी थी। कंपनी ने कहा कि कोरोना वायरस के मरीजों पर दवा परीक्षण के लिए नियामकीय अनुमति पाने वाली वह देश की पहली कंपनी है।
फैविपिराविर एक वायरल-रोधी दवा है। इंफ्लूएंजा वायरस के खिलाफ इस दवा ने सही प्रतिक्रिया दिखायी है। जापान में इंफ्लूएंजा वायरस के इलाज के लिए इस दवा के उपयोग की अनुमति है। नियमों के अनुसार कंपनी आंशिक तौर पर कोरोना वायरस से संक्रमित चुनिंदा 150 मरीजों पर इसका परीक्षण करेगी। मरीज पर परीक्षण की अवधि 14 दिन से ज्यादा नहीं हो सकती। वहीं इसके पूरे अध्ययन की अवधि 28 दिन से ज्यादा नहीं हो सकती।
इससे पहले अमेरिका के वैज्ञानिकों ने बुधवार को दावा किया कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए एंटीवायरल दवा रेमडेसिवीर का इस्तेमाल मरीजों पर किया गया गया है, उसके काफी अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि हमारे पार कोरोना वायरस के इलाज में सफल इलाज के पुख्ता सबूत है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सामान्य दवा जो दी जा रही है उसकी तुलना में इस दवा से मरीज 30 फीसदी तेज रफ्तार से सही हुआ है। अमेरिका के एपिडमोलोजिस्ट एंथोनी फौसी ने बताया कि आंकड़े दर्शाते हैं कि रेमडेसिवीर दवा से फायदा मिलने के पुख्ता सबूत हैं, इससे मरीज के सही होने की रफ्तार काफी बढ़ी है। फौसी ने इस दवा की तुलना 1980 में HIV के इलाज के लिए तैयार की गई दवा से की।
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