पीना छोडि़ए साहब, नहाने के लायक भी नहीं है हरिद्वार में गंगा का पानी: RTI का जवाब
CPCB की जांच में पता चला कि हरिद्वार के आसपास गंगाजल में बीओडी, कोलिफॉर्म और दूसरे जहरीले पदार्थों की मात्रा काफी अधिक है।
नई दिल्ली। गंगा में डुबकी लागकर भले ही हम अपने सारे पापा धो डालने का दावा करते हों लेकिन सच्चाई कुछ अलग ही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने माना है कि गंगा का पानी इतना मैला हो चुका है कि पीना तो दूर नहाने लायक भी नहीं बचा है। बोर्ड ने एक आरटीआई के जवाब में यह बात बताया है। CPCB ने कहा कि हरिद्वार जिले में गंगा का पानी तकरीबन हर पैमाने पर असुरक्षित है।
रिपोर्ट के अनुसार हरिद्वार के करीब 20 गंगा घाटों पर हर रोज 50 हजार से एक लाख श्रद्धालु स्नान करते हैं। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक CPCB ने उत्तराखंड में गंगोत्री से हरिद्वार के बीच 294 किलोमीटर लंबी गंगा में 11 जगहों से गंगाजल के नमूने जांच के लिए लिए थे। एक याचिकाकर्ता ने आरटीआई के माध्यम से गंगाजल की गुणवत्ता और जिन जगहों से नमूने परीक्षण के लिए गए थे उनकी जानकारी मांगी थी।
CPCB के वरिष्ठ वैज्ञानिक आरएम भारद्वाज ने अंग्रेजी अखबार को बताया कि पानी की गुणवत्ता के चार मुख्य प्रतिमानों पर जांचने के लिए ये नमूने लिए गए थे। इनमें डिजाल्वड ऑक्सीजन (डीओ), बॉयोलॉजिक आक्सिजन डिमांड (बीओडी) और कोलिफॉर्म (बैक्टीरिया) की जांच शामिल है। CPCB की जांच में पता चला कि हरिद्वार के आसपास गंगाजल में बीओडी, कोलिफॉर्म और दूसरे जहरीले पदार्थों की मात्रा काफी अधिक है। गंगा को फिर से साफ करना केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में है। सरकार इसे साफ करने के लिए नेशनल मिशन ऑफ क्लीन गंगा चला रही है।
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