पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी समेत तीन हस्तियां भारत रत्न से की गईं सम्मानित
नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी, नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को गुरुवार को भारत रत्न सम्मान दिया गया। देशमुख और हजारिका को यह सम्मान मरणोपरांत मिला। भारत रत्न सम्मान का ऐलान गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी को किया गया था। भारत के 13वें राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति बनने से पहले वित्त मंत्रालय और अन्य आर्थिक मंत्रालयों में राष्ट्रीय और आन्तरिक रूप से उनके नेतृत्व का लोहा माना गया है। उन्हें कांग्रेस पार्टी का संकटमोचक कहा जाता था।
गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और समाजसेवी नानाजी देशमुख और लोकगायक भूपेन हजारिका को देश के सबसे बड़े खिताब भारत से नवाजा। प्रणव मुखर्जी अपने सम्मान लेने खुद पहुंच। दिवंगत सामाजिक कार्यकर्ता नानाजी देशमुख की जगह दीन दयाल रिसर्च इंस्टिट्यूट के चेयरमैन वीरेंद्रजीत सिंह ने भारत रत्न सम्मान ग्रहण किया। दिवंगत गायक भूपेन हजारिका की जगह उनके बेटे तेज हजारिका ने भारत रत्न सम्मान लिया। इस दौरान इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी समेत कई नेता मौजूद रहे।
Delhi: Former President Pranab Mukherjee receives 'Bharat Ratna' from President Ram Nath Kovind. pic.twitter.com/j9VmBbNEoP
— ANI (@ANI) August 8, 2019
प्रणव
मुखर्जी:
प्रणब
मुखर्जी
देश
के
उन
चुनिंदा
नेताओं
में
एक
हैं,
जिन्हें
न
केवल
सत्ता
पक्ष
बल्कि
विपक्षी
दलों
के
नेताओं
से
हमेशा
सम्मान
मिला।
उनका
पूरा
राजनीतिक
करियर
कांग्रेस
पार्टी
में
रहा
जहां
उन्होंने
सांसद,
कई
महत्वपूर्ण
मंत्रालयों
में
मंत्री
और
फिर
राष्ट्रपति
तक
का
सफर
तय
किया।
प्रणब
मुखर्जी
का
जन्म
11
दिसंबर
1935
को
पश्चिम
बंगाल
में
हुआ।
बीरभूम
के
सूरी
विद्यासागर
कॉलेज
से
अपनी
पढ़ाई
पूरी
की
बचपन
में
प्रणब
दा
को
सब
प्यार
से
पोलटू
बुलाया
करते
थे।
प्रणब
दा
ने
बीरभूम
के
सूरी
विद्यासागर
कॉलेज
से
अपनी
पढ़ाई
पूरी
की।
प्रणब
मुखर्जी
ने
कोलकाता
यूनिवर्सिटी
से
पॉलिटिकल
साइंस
में
एमए
और
एलएलबी
की
डिग्री
ली।
करियर
के
शुरुआती
दौर
में
मुखर्जी
कोलकाता
के
डिप्टी
अकाउंटेंट
जनरल
के
ऑफिस
में
क्लर्क
हुआ
करते
थे।
इसके
बाद
वह
1963
में
विद्यानगर
कॉलेज
में
पॉलिटिकल
साइंस
के
प्रोफेसर
भी
रहे।
1969
में
वह
अजय
मुखर्जी
की
अध्यक्षता
वाली
बांग्ला
कांगेस
में
शामिल
हुए
तब
तत्कालीन
प्रधानमंत्री
इंदिरा
गांधी
की
नजर
उन
पर
पड़ी।
इसके
बाद
प्रणब
ने
पीछे
मुड़कर
नहीं
देखा।
वह
जुलाई
1969
में
पहली
बार
राज्य
सभा
में
चुनकर
आए।
प्रणब
मुखर्जी
फरवरी
1973
में
पहली
बार
केंद्रीय
मंत्री
बने
थे।
13
नंबर
से
है
प्रणब
दा
का
खास
नाता
13
नंबर
से
है
प्रणब
दा
का
खास
नाता
वह
13वें
राष्ट्रपति
हैं।
13
नंबर
का
बंगला
है
दिल्ली
में।
13
तारीख
को
आती
है
शादी
की
सालगिरह।
इतना
ही
नहीं
13
जून
को
ही
राष्ट्रपति
पद
के
लिए
ममता
ने
प्रणब
का
नाम
उछाला
था
1996
से
लेकर
2004
तक
केंद्र
में
गैर-कांग्रेसी
सरकार
रही।
2004
में
यूपीए
की
सत्ता
में
वापसी
हुई
और
प्रणब
मुखर्जी
केंद्रीय
मंत्री
बने।
Delhi: Son of Bhupen Hazarika, Tej Hazarika, receives Bharat Ratna on his behalf. Legendary Assamese singer Bhupen Hazarika was conferred Bharat Ratna posthumously. pic.twitter.com/BGJU34niWD
— ANI (@ANI) August 8, 2019
नानाजी देशमुख
नानाजी देशमुख समाजसेवी थे और वह भारतीय जनसंघ के दिग्गज नेता थे। 1997 में जनता पार्टी की सरकार के दौरान नानाजी देशमुख मोरारजी देसाई ने उन्हें अपने मंत्रीमंडल में भी शामिल किया था। लेकिन नानाजी ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा था कि 60 वर्ष की उम्र के बाद लोगों को सरकार से बाहर रहकर समाज की सेवा करनी चाहिए। नानाजी देशमुख का असल नाम चंडिकादास अमृतराव देशमुख था। उनका जन्म 11 अक्टूबर 1916 में हुआ था। महाराष्ट्र के हिंगोली जिला के कंदोली कस्बा में जन्मे नानाजी देशमुख ने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। उनका जन्म मराठी परिवार में हुआ था और शुरुआती जीवन काफी संघर्षपूर्ण था। नानाजी देशमुख का लालन-पालन उनके मामा ने किया। शिक्षा में नानाजी का काफी रुचि थी लेकिन अभाव के चलते उनके पास किताब खरीदने तक के पैसे नहीं थे, लिहाजा उन्होंने सब्जी बेचकर शिक्षा के लिए पैसे जुटाए, मंदिर में समय बिताया। जिसके बाद वह बिरला इंस्टीट्यूट से उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की और बाद में 1930 में वह आरएसएस में शामिल हो गए। नानाजी ने राजस्थान और उत्तर प्रदेश में समाज सेसवा के क्षेत्र में काफी काम किया था।
Delhi: Chairman of Deendayal Research Institute, Virendrajeet Singh, receives Bharat Ratna on behalf of social activist and senior RSS leader Nanaji Deshmukh. He was conferred Bharat Ratna posthumously. pic.twitter.com/gZUZUt1TSm
— ANI (@ANI) August 8, 2019
भूपेन
हजारिका
8
सितंबर
1926
में
असम
में
जन्में
भूपेन
हजारिका
अपने
10
भाई-बहनों
में
सबसे
बड़े
थे।
हजारिका
को
गाने
की
प्रेरणा
अपनी
मां
से
मिली।
10
साल
की
छोटी
उम्र
में
भूपेन
हजारिका
असमिया
भाषा
में
गाना
गाने
लगे।
13
साल
की
उम्र
में
उन्होंने
अपना
पहला
गाना
लिखा
था।
जब
पहली
बार
फिल्म
मेकर
ज्योतिप्रसाद
अग्रवाल
ने
उनकी
आवाज
सुनी
तो
मंत्रमुग्ध
हो
गए।
1936
में
कोलकाता
में
भूपेन
हजारिका
ने
अपना
पहला
गाना
रिकॉर्ड
किया
था।
संगीत
के
प्रति
लगाव
होने
पर
भी
उन्होंने
अपनी
पढ़ाई
को
कभी
किनारे
नहीं
किया।
असम
में
उन्होंने
स्कूली
शिक्षा
ली
और
उच्च
शिक्षा
उन्होंने
बनारस
हिंदू
विश्वविद्यालय
में
हासिल
की।
उसके
बाद
अमेरिका
चले
गए,जहां
से
उन्होंने
जनसंचार
विषय
में
पीएचडी
हासिल
की।
भूपेन
हजारिका
को
प्रकृति
से
बेहद
प्यार
था।
उनके
गानों
में
प्रकृति
की
झलक
दिखती
है।
वो
भारतीय
संस्कृति
और
जनता
के
प्रति
उनका
लगाव
और
प्रतिबद्धता
संदेह
के
परे
थी।
वो
एक
बेहतरीन
गायक,
कवि,
गीतकार,
संगीतकार,
फिल्मकार
और
लेखक
थे।
उन्होंने
असमिया
भाषा
को
देशभर
में
पहचान
दिलाने
के
लिए
काफी
मेहनत
की।
असमिया
भाषा,
वहां
की
कला-संस्कृति
और
लोक
कलाओं
को
संवर्धन
और
प्रसार
में
उनका
योगदान
अमूल्य
था।
उन्होंने
गंगा
नदी
की
दुर्दशा
को
लेकर
'ओ
गंगा
बहती
है
क्यों'
गाया,
जिसे
न
केवल
देश
में
बल्कि
विदेशों
में
भी
खूब
सराहना
मिली।
सरकार ने जम्मू कश्मीर में रह रहे बाहरी लोगों के लिए जारी किए हेल्पलाइन नंबर, स्पेशल ट्रेनों की घोषणा