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रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड : सीपीएम को फिलीपींस का ये अवॉर्ड स्वीकार करने में दिक़्क़त क्या है?

केरल की पूर्व मंत्री शैलजा को रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड 2022 के लिए चुना गया, लेकिन पार्टी के कहने पर उन्होंने अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया. जानिए क्या है इस अवॉर्ड के इतिहास में.

By BBC News हिन्दी
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केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड ठुकरा दिया है.

केके शैलजा को उनके कार्यकाल के दौरान कोविड-19 और निपाह वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने में उनके योगदान के लिए नामित किया गया था.

उन्होंने कहा, "हमने इस मुद्दे पर पार्टी के साथ चर्चा की है और ये फ़ैसला किया है कि हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे. स्वास्थ्य क्षेत्र में केरल सरकार के काम की चर्चा की गई है. उन्होंने कोविड और निपाह महामारी को रोकने के लिए केरल सरकार के काम पर गौर किया है."

शैलजा ने कहा "इस सम्मान के लिए पूरे आदर के साथ मैंने लिखा है कि मैं इसे कुछ राजनीतिक वजहों से स्वीकार नहीं कर सकती क्योंकि ये सामूहिक काम है. एक व्यक्ति के तौर पर मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकती हूं."

https://twitter.com/ANI/status/1566337694124240896

क्या शैलजा पर पार्टी का दबाव था?


माना जा रहा है कि केके शैलजा पर पार्टी की तरफ़ से अवॉर्ड स्वीकार ना करने का दवाब था.

हालांकि पार्टी इसे सर्वसम्मति से लिया गया फ़ैसला क़रार दे रही है.

लेकिन राजनीति के गलियारों में इस बात की चर्चा है कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) यानी सीपीआई(एम) में शीर्ष नेतृत्व में अवॉर्ड स्वीकार नहीं करने को लेकर एक राय नहीं थी.

पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना था कि इस अवॉर्ड को स्वीकार करने से सरकार के कामकाज को लेकर एक सकारात्मक संदेश विश्व स्तर तक पहुँचता.

कुछ विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि इस अवॉर्ड को स्वीकार करने से स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वालों में भी अच्छा संदेश जाता.

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सीताराम येचुरी
Getty Images
सीताराम येचुरी

पार्टी को दिक़्क़त क्या थी?


केरल की स्वास्थ्य मंत्री रहते शैलजा ने जिस तरीके से राज्य में पब्लिक हेल्थ के मुद्दे को सफलतापूर्वक संभाला, ख़ास तौर पर कोरोना महामारी के दौरान, उस वजह से रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड 2022 के लिए उनको चुना गया.

लेकिन पार्टी ने उन्हें ये सम्मान स्वीकार करने से मना क्यों किया है, इसके पीछे सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने तीन कारण भी गिनाए हैं.

उनके मुताबिक़ पार्टी का मानना है कि जन-स्वास्थ्य के कामों में पूर्व मंत्री शैलजा की सफलता केवल उनकी नहीं है. ये केरल सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय के सभी लोगों की मिली-जुली सफलता है. इसके लिए किसी एक को श्रेय नहीं दिया जा सकता.

पार्टी ने दूसरी दलील ये दी है कि ये अवॉर्ड किसी भी ऐक्टिव (सक्रिय) राजनेता को नहीं दिया गया है. शैलजा सीपीएम की सेंट्रल कमेटी की सदस्य हैं, जो पार्टी की निर्णय लेनी वाली सर्वोच्च संस्था है. यानी वो राजनीति में अभी भी सक्रिय हैं.

सम्मान स्वीकार ना करने के पीछे पार्टी की तीसरी दलील ये है कि ये सम्मान फ़िलीपींस के जिस नेता रेमन मैग्सेसे के नाम पर दिया जाता है, उनका वामपंथियों के क्रूर उत्पीड़न का इतिहास रहा है.

इस वजह से रेमन मैग्सेसे का नेता के तौर पर इतिहास टटोलने की ज़रूरत है.

https://twitter.com/RohitThayyil/status/1566356983178940416

कौन थे रेमन मैग्सेसे? कम्युनिस्टों को उनसे दिक्क़त क्या है?


रेमन मैग्सेसे फ़िलीपींस के सातवें राष्ट्रपति थे. उनका पूरा नाम रेमन डेल फ़िरेरो मैग्सेसे था.

साल 1953 से साल 1957 तक उन्होंने फ़िलीपींस के राष्ट्रपति का पद संभाला. फिर उनकी प्लेन क्रैश में मौत हो गई.

जेएनयू की रिटायर्ड प्रोफ़ेसर मनमोहिनी कौल कहती हैं, "रेमन मैग्सेसे फ़िलीपींस में काफ़ी लोकप्रिय थे, उनकी छवि ईमानदार नेता की थी. काफ़ी सामान्य परिवार से आते थे. अपनी मेहनत से उन्होंने एक अलग पहचान बनाई. वहां लोगों के हित के लिए काफ़ी सुधार वाले काम किए. साल 1950 में वो फ़िलीपींस के डिफ़ेंस सेक्रेटरी बने और बाद में साल 1953 में राष्ट्रपति के पद पर पहुँचे.""फ़िलीपींस पर जब जापान का क़ब्ज़ा था, उसी समय से वहाँ कम्युनिस्ट आंदोलन शुरू हुआ था जिसे हुकबालाहाप आंदोलन या हुक आंदोलन के नाम से जाना जाता था जिसके नेता लुई तारुक थे. ये आंदोलन जापानियों के विरोध में शुरू हुआ था.

लेकिन साल 1946 में फ़िलीपींस की आज़ादी के बाद वहां अमीरों और ग़रीबों के बीच की खाई और बढ़ती चली गई, तो हुकबालाहाप आंदोलनकारियों ने सरकार के ख़िलाफ़ विरोध शुरू किया."

कौल ने बताया "जापानियों के फ़िलीपींस से जाने के बाद ये आंदोलनकारी किसानों के हक़ की लड़ाई में जुट गए और ये पूरा आंदोलन कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों का आंदोलन बन कर रह गया था.

अमेरिका तब भी फ़िलीपींस के काफ़ी करीब माना जाता था. तब तक रेमन मैग्सेसे फ़िलीपींस के डिफ़ेंस सेक्रेटरी बन चुके थे. इन आंदोलनकारियों को दबाने में रेमन मैग्सेसे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने आंदोलनकारियों पर सैन्य बल प्रयोग किया था. शायद इसी वजह से सीपीआईएम नेताओं को रेमन मैग्सेस अवॉर्ड लेने में दिक़्क़त है."

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अमेरिका के पसंदीदा नेता


मनमोहिनी कौल ये भी कहती हैं कि इस बात का ज़िक्र कई किताबों में मिलता है कि जब रेमन मैग्सेसे फ़िलीपींस के डिफ़ेंस सेक्रेटरी बने तो कम्युनिस्ट मूवमेंट को दबाने में उन्होंने काफी अच्छा काम किया था.

इस वजह से अमेरिका की ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए की मंशा थी कि वो फ़िलीपींस के राष्ट्रपति बनें. उन्हें अमेरिका के काफ़ी नज़दीकी माना जाता था. रेमन मैग्सेसे के राष्ट्रपति बनते ही एक साल के अंदर कम्युनिस्ट आंदोलन (हुक आंदोलन) का एक तरह से सफ़ाया हो गया था. हुकबालाहाप आंदोलन के नेता लुई तारुक ने सरेंडर किया था. लेकिन मनमोहिनी कौल का मानना है कि उन्होंने कई अच्छे सुधार के काम भी किए जैसे कुछ ग़रीबों को ज़मीन का मालिकाना हक़ भी दिया. ये ख़ुद सामान्य परिवार से आते थे.

इसलिए ये कहना ग़लत होगा कि इन्होंने केवल कम्युनिस्टों के ख़िलाफ़ ही क्रूरता दिखाई.

इन सुधारों की वजह से ही फ़िलीपींस में अच्छे शासकों में उनका नाम शुमार है.

क्यों दिया जाता है ये अवॉर्ड


रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड की स्थापना 1957 में फ़िलीपींस के सातवें राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की याद में की गई थी ताकि सरकार चलाने में या सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में जो भी अच्छा काम एशिया में चल रहा है उसे सम्मानित किया जा सके.

इस पुरस्कार की स्थापना के पीछे फ़िलीपींस सरकार के साथ साथ रॉकफ़ेलर सोसाइटी का भी योगदान है. रॉकफ़ेलर सोसाइटी अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में स्थित है.

इसे एशिया का नोबल पुरस्कार भी कहा जाता है.

पिछले छह दशकों में ये पुरस्कार तीन सौ से ज़्यादा व्यक्तियों और संगठनों को दिया गया है.

2008 तक ये पुरस्कार केवल छह श्रेणियों - सरकारी कामकाज में योगदान, समाज सेवा, सामुदायिक नेतृत्व, पत्रकारिता-साहित्य-कला, शांति एवं अंतरराष्ट्रीय सद्भावना के क्षेत्र में काम करने वालों को दिया जाता है.

इसमें एक और श्रेणी 'उभरते नेता' की साल 2000 में जोड़ी गई. इस श्रेणी में अवॉर्ड उनको दिया जाता है जिनकी उम्र 40 साल या उससे कम उम्र हो, जिन्होंने अपने समाज के लोगों के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो और जिसके बारे में उस समाज के बाहर लोगों को ज़्यादा जानकारी नहीं हो.

हालांकि 2009 के बाद से पहले पाँच श्रेणियों के बहुत मायने नहीं रह गए हैं सिवाय आख़िरी श्रेणी के. मैग्सेसे अवॉर्ड में उभरते नेता की छठी श्रेणी साल 2000 में शुरू की गई थी जिसमें फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन के सहयोग से एक राशि भी विजेता को दी जाती है. फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन एक अमेरिकी संस्था है.

इस अवॉर्ड को पाने वाले को एक सर्टिफ़िकेट और एक मेडल दिया जाता है जिसमें फ़िलीपींस के नेता रेमन मैग्सेसे की तस्वीर होती है.

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पी साईनाथ
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पी साईनाथ

कैसे होता है नामांकन ?


इसके लिए बाक़ायदा एक नॉमिनेशन प्रक्रिया होती है. रेमन मैग्सेसे पुरस्कार फ़ाउंडेशन ने दुनिया भर में नामांकन करने वालों का एक पूल तैयार किया है जिनके नाम गोपनीय रखे गए हैं.

ये गोपनीय चयनकर्ता अवॉर्ड के लिए संभावित नामों की सूची तैयार करते हैं. फिर अवॉर्ड फ़ाउंडेशन उन नामों की विस्तृत जाँच करता है और फ़ाइनल लिस्ट तैयार की जाती है.

इस अवॉर्ड के लिए आम जनता से नॉमिनेशन नहीं मांगे जाते हैं.

हर साल फ़िलीपींस की राजधानी मनीला में 31 अगस्त को रेमन मैग्सेसे के जन्मदिन पर इस अवॉर्ड की घोषणा की जाती है.

इस साल ये अवॉर्ड चार लोगों को दिया गया है जिनमें कंबोडिया के मनोचिकित्सक सोथियारा छिम, जापान के नेत्र रोग विशेषज्ञ तदाशी हतोरी, फ़िलीपींस के बाल रोग विशेषज्ञ बर्नाडेट जे मैड्रिड और इंडोनेशिया में रहने वाले फ़्रांसीसी पर्यावरण कार्यकर्ता गैरी बेनचेघि शामिल हैं.

भारत में ये अवॉर्ड विनोबा भावे, मदर टेरेसा, अरुण शौरी, किरण बेदी, संदीप पांडे, राजेन्द्र सिंह, अरुणा रॉय, महाश्वेता देवी, अरविंद केजरीवाल, पी साईंनाथ, रवीश कुमार जैसी कई नामी हस्तियों को मिल चुका है.

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कौन हैं केके शैलजा


केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को राज्य में कोविड-19 से निपटने के उनके प्रयासों और अपनाए गए तरीकों के लिए 'रॉकस्टार' कहा जा रहा था.

मगर कोरोना के बाद राज्य में हुए चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की. पार्टी ने दोबारा सरकार बनाई. लेकिन इसके बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली.

उस वक़्त भी इस बात पर काफ़ी विवाद हुआ.

आज रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड ना स्वीकार करने पर भी ख़ूब चर्चा हो रही है.

वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने ट्वीट करके लिखा है कि शैलजा की पार्टी 'इनसेक्योर बॉयज़ क्लब' की तरह व्यवहार कर रही है.

https://twitter.com/BDUTT/status/1566628935630147584?s=08

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ताज़ा घटनाक्रम पर बात करते हुए राजनीतिक विश्लेषक बीआरपी भास्कर ने बीबीसी हिंदी के सहयोगी पत्रकार इमरान कुरैशी से कहा, "अमेरिका की मदद से इस अवॉर्ड की स्थापना हुई थी. ऐसे में ये समझना मुश्किल नहीं है कि सीपीएम वाले क्यों नहीं केके शैलजा को ये अवॉर्ड लेने देना चाहते. लेकिन सच तो ये है कि कोविड महामारी के दौरान शैलजा ने जो काम किया उसकी सराहना आज भी हो रही है. अवॉर्ड ठुकराने से उनकी लोकप्रियता कम नहीं होगी."

बाआरपी भास्कर आगे कहते हैं, " मैग्सेसे को फ़िलीपींस में कम्युनिस्ट पार्टी के दमन के लिए जाना जाता है. यही वजह है कि अमेरिकियों ने उनके नाम पर इस अवॉर्ड को देने की घोषणा की थी."

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English summary
Former Kerala minister Shailaja selected for Ramon Magsaysay Award 2022
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