पहली बार फुल पैंट में RSS, जानिए भागवत के बयान की 6 बातें
नागपुर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने 90 साल पुरानी अपनी खाकी नेकर वाली ड्रेस को आखिरकार अलविदा कह दिया है। अपनी पुरानी ड्रेस को अलविदा कहने के लिए आरएसएस ने दशहरे के दिन को चुना है।
खाकी नेकर बना फुल पैंट
आरएसएस ने न केवल अपने खाकी नेकर को बदला है, बल्कि मोजों के कलर को भी बदल दिया है। अब खाकी नेकर भूरे रंग की पैंट में बदल गया है साथ ही मोजों का रंग भी भूरा हो गया है।
हालांकि, बांस का डंडा अभी भी आरएसएस की ड्रेस का हिस्सा है। इसके अलावा आरएसएस के सभी कार्यकर्ता सफेद रंग की कमीज और काले रंग की टोपी पहनेंगे।
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दशहरे के मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरएसएस के कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया। आइए जानते हैं मोहन भागवत के संबोधन की खास बातें।
1- मोदी सरकार की तारीफ
नागपुर में दशहरा रैली में आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने मोदी सरकार की तारीफ की। उन्होंने कहा कि देश धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है, लेकिन कुछ ऐसी शक्तियां भी हैं, जो भारत के बढ़ते प्रभाव को देखना नहीं चाहती हैं।
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2- 'पूरा कश्मीर हमारा है'
मोहन भागवत ने इस रैली में बोलते हुए कश्मीर का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि मीरपुर, मुजफ्फराबाद और गिलगिट-बाल्टिस्तान समेत पूरा कश्मीर हमारा है।
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3- कश्मीर में उपद्रवियों को उकसाते हैं सीमा पार से
वे बोले कि सीमा पार से कश्मीर की उपद्रवकारी शक्तियों को उकसाने का काम किया जाता है, जो किसी से भी छुपा नहीं है। पूरी दुनिया इस बात को जानती है।
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4- सर्जिकल स्ट्राइक की तारीफ
मोहन भागवत ने कहा कि सीमा पार से कश्मीर में उपद्रव को बढ़ावा देने वालों को शासन ने अच्छा जवाब दिया। शासन के नेतृत्व में सेना ने साहस दिखाया है। वे बोले- फिर एक बार पूरी दुनिया में भारत की सेना की प्रतिष्ठा ऊंची हो गई, उपद्रवी को संकेत मिला कि सहन करने की भी मर्यादा होती है।
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5- जात-पात का किया विरोध
मोहन भागवत ने जात-पात के नाम पर भेदभाव किए जाने का भी विरोध किया है। वे बोले कि जात-पात के नाम पर हमारे समाज में कुछ लोग लोगों को बांटने का काम कर रहे हैं, जो बेहद शर्मिंदगी की बात है।
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6- गोरक्षकों को दिया बढ़ावा
आरएसएस प्रमुख भागवत बोले कि गाय माता है, और इसका काम करने वाले सारे गौरक्षक भले लोग हैं, जो कानून और संविधान के अंदर रहकर ही काम करते हैं।
वे बोले कि प्रशासन को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि स्वयं कानून व्यवस्था को ना मानने वाले कुछ लोग उपद्रव करते हैं, लेकिन उन्हें गौरक्षकों के साथ जोड़कर नहीं देखना चाहिए।
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