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'किसानों के आने पर इंटरनेट बंद लेकिन TV चैनलों पर कुछ नहीं', SC का केंद्र पर सख्त रुख

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Supreme Court On TV Content: नई दिल्ली। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि सरकार ने राजधानी में हिंसा रोकने के लिए इंटरनेट पर तो रोक लगा दी लेकिन उन टीवी चैनलों पर ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की भड़काऊ सामग्री प्रसारित करके लोगों को उकसा रहे हैं।

जमीयत उलेमा हिंद की याचिका पर सुनवाई

जमीयत उलेमा हिंद की याचिका पर सुनवाई

भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जब कोई टेलीविजन शो हमारे समुदाय पर असर डालता है तो सरकार कुछ नहीं करती है।

चीफ जस्टिस ने कहा वहां ऐसे प्रोग्राम (टीवी) हैं जो समुदाय को उकसाते हैं या उन पर असर डालते हैं। कल आपने इंटरनेट और मोबाइल बंद कर दिए क्योंकि किसान दिल्ली आ रहे थे। मैं गैर विवादास्पद टर्म का इस्तेमाल कर रहा हूं। आपने इंटरनेट मोबाइल बंद कर दिया। ये ऐसी समस्याएं हैं जो कहीं भी हो सकती हैं। मुझे नहीं पता कल टीवी पर क्या हुआ था ?

सुप्रीम कोर्ट जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जमीयत ने याचिका में मार्च 2020 में निजामुद्दीन मरकज में लोगों के इकठ्ठा होने पर मीडिया पर सांप्रदायिक रिपोर्टिंग का आरोप लगाया है। मीडिया रिपोर्ट में उस दौरान जमीयत में लोगों के इकठ्ठा होने के चलते कोविड-19 फैलने की बात कही गई थी।

टीवी पर भी बराबर कार्रवाई की बात

टीवी पर भी बराबर कार्रवाई की बात

निजामुद्दीन क्षेत्र में स्थित मरकज तब चर्चा में आया था जब कोरोना को लेकर लॉकडाउन लगाए जाने के कुछ दिन बाद ही 30 मार्च को इसे सील करना पड़ा था। उस दौरान वहां पर हजारों की संख्या में आए जाने की बात सामने आई थी। जिनमें कई सारे लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे। ये सभी लोग एक धार्मिक कार्यक्रम में शिरकत पहुंचे थे जो तबलीगी जमात ने आयोजित किया था। इस आयोजन में विदेशों से भी लोग पहुंचे थे। निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मुख्यालय में 13 मार्च से 24 मार्च के बीच 16,500 लोग पहुंचे थे।

सुनवाई कर रही पीठ में दूसरे जज एस बोपन्ना और वी सुब्रमण्यन थे। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि भड़काऊ सामग्री को लेकर टीवी चैनलों पर भी बराबर स्तर की कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि साफ सुथरी और सच्चाई वाली रिपोर्टिंग से कोई समस्या नहीं है।

"निष्पक्ष और सच्ची रिपोर्टिंग आमतौर पर कोई समस्या नहीं है। समस्या तब है जब इसका उपयोग दूसरों को उकसाने में किया जाता है। यह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना पुलिसकर्मियों को लाठियां प्रदान करना। यह कानून और व्यवस्था की स्थिति का एक महत्वपूर्ण निवारक हिस्सा है।"

कोर्ट ने कहा- टीवी के लिए अंधे क्यों हैं ?

कोर्ट ने कहा- टीवी के लिए अंधे क्यों हैं ?

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि उसे नहीं पता कि केंद्र ऐसी सामग्रियों को लेकर आंख क्यों मूंदे रहता है। कोर्ट ने कहा "कुछ खबरों पर नियंत्रण उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि कुछ बचाव के उपाय और कानून और व्यवस्था की स्थिति की जांच करना। मैं नहीं जानता कि आप इस तरफ अंधे क्यों हैं ? मैं कहने का मतलब आक्रामक होना नहीं है, लेकिन आप इसके बारे में कुछ नहीं कर रहे हैं।"

गुरुवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी जांच की कि क्या सभी प्रसारण केबल टीवी नेटवर्क विनियमन अधिनियम के दायरे में आते हैं और केबल सेवाओं के अलावा अन्य माध्यमों से प्रसारित सामग्री को प्रोग्राम कोड के उल्लंघन से भी रोका जा सकता है या नहीं। मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।

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English summary
farmers protest cut off internet but nothing to tv channels says supreme court
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