कृषि विधेयक: किसानों ने सरकार को दिया 15 दिन का वक्त, 23 नवंबर को छोड़ेंगे रेल की पटरियां
नई दिल्ली: मोदी सरकार बीते मानसून सत्र में संसद में तीन नए कृषि विधेयक लेकर आई थी। जिसके पास होने के बाद से पंजाब-हरियाणा में किसानों का आंदोलन जारी है। इस बीच कुछ किसान संगठनों ने पंजाब के रेलवे ट्रैक पर कब्जा जमा लिया था। साथ ही रेल यातायात को पूरी तरह से बाधित कर दिया, लेकिन अब किसानों के तेवर नरम पड़ गए हैं, जिस वजह से उन्होंने 15 दिनों के लिए रेल की पटरियों से हटने का फैसला लिया है। अगर इस दौरान केंद्र सरकार किसानों की मांग पूरी नहीं करती तो वो फिर से आंदोलन करेंगे।
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पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि किसान यूनियनों ने तय किया है कि 23 नवंबर की रात से वो रेल की पटरियों से हट जाएंगे। इसके बाद अगले 15 दिनों तक ट्रेन को नहीं रोका जाएगा। वो किसानों के इस कदम का स्वागत करते हैं, क्योंकि इससे पंजाब की अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति में आएगी। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि वो चाहते हैं मोदी सरकार जल्द से जल्द किसानों से बात करके उनकी मांगों को पूरा करे, नहीं तो 15 दिन बाद फिर से उनका आंदोलन शुरू हो जाएगा। साथ ही सीएम ने पंजाब आने वाली गाड़ियों को फिर से शुरू करने की मांग की।
रेलवे
को
2220
करोड़
का
नुकसान
दरअसल
सितंबर
में
संसद
सत्र
के
दौरान
नया
कृषि
कानून
आया
था।
इसके
बाद
किसानों
का
आंदोलन
शुरू
हुआ।
रेलवे
के
मुताबिक
24
सितंबर
से
प्रभावी
हुए
आंदोलन
से
19
नवंबर
तक
पंजाब,
हरियाणा
और
राजस्थान
में
ट्रेनों
का
संचालन
प्रभावित
हुआ।
जिस
वजह
से
रेलवे
को
अब
तक
2220
करोड़
से
ज्यादा
का
नुकसान
हो
चुका
है।
धान खरीद केंद्र पर नहीं है पिछले तीन दिनों से कोई कर्मचारी, किसान बोले- किसे बेचें?
क्या
कह
रही
मोदी
सरकार?
मोदी
सरकार
लगातार
इस
नए
कानून
को
किसानों
के
लिए
फायदेमंद
बता
रही
है।
मोदी
सरकार
के
मंत्री
कई
बार
साफ
कर
चुके
हैं
कि
अब
ये
कानून
किसी
भी
कीमत
पर
वापस
नहीं
होगा।
साथ
ही
सरकार
प्रदर्शन
के
पीछे
कांग्रेस
समेत
अन्य
विपक्षी
दलों
का
हाथ
बता
रही
है।
हालांकि
किसान
आंदोलन
पंजाब
और
हरियाणा
में
दिखा,
बाकी
जगहों
पर
किसानों
ने
बहुत
कम
ही
इसका
विरोध
किया।