वैक्सीनेशन के बाद भी बना रहेगा कोरोना संक्रमण का खतरा, क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
नई दिल्ली। कोरोना महामारी को मात देने के लिए दुनियाभर में वैक्सीनेशन को लेकर तैयारी चल रही है और अमेरिका जैसे देशों में वैक्सीनेशन शुरू भी हो चुके हैं, लेकिन इस बीच एक मौजू सवाल उठ रहा है कि क्या वैक्सीनेशन के बाद व्यक्ति में कोरोना संक्रमण का खतरा पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। यह सवाल मौजू इसलिए भी है, क्योंकि कहा जा रहा है कि फीसदी से अधिक प्रभावी वाले वैक्सीन लेने के बाद यह कितने दिनों तक शरीर को संक्रमण से सुरक्षा दे पाएहा, यह निश्चित नहीं है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य स्वास्थ्य संस्थाओं के विशेषज्ञों ने किया आगाह
यही कारण है कि वैक्सीन को कोरोना वायरस के खिलाफ अमृत मानकर चल रहे लोगों को और पूरी दुनिया को विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य स्वास्थ्य संस्थाओं के विशेषज्ञों ने आगाह करते हुए कह रहे हैं कि वैक्सीन आने तक ही नहीं, बल्कि वैक्सीन आने के बाद भी सतर्कता और सावधानियां बरतनी जरूरी है, जो यह संकेत करता है कि वैक्सीन की प्रभावकारिता को लेकर वैज्ञानिकों की राय अभी स्पष्ट नहीं है कि यह मनुष्य के शरीर को कितनों दिनों तक संक्रमण से सुरक्षा दे पाएगी।
कोरोना वैक्सीन सबसे पहले हेल्थ वर्कर, फ्रंटलाइन वर्कर्स को मिलेगा
गौरतलब है लगभग पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुके कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए विकसित की गई वैक्सीन सबसे पहले हेल्थ वर्कर, फ्रंटलाइन वर्कर्स, 50 से अधिक उम्र की आबादी और गंभीर बीमारी से ग्रस्त 50 से कम उम्र के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर देने का निर्णय किया गया है, जिसमें युवाओं की वैक्सीनेशन की संभावनाएं कम से कम 2021 में बिल्कुल क्षीण नजर आ रही है, जिससे एक बड़ी आबादी का वैक्सीनेशन का दूर रहना तय है। ऐसे में वैक्सीन की प्रभावकारिता की समयावधि माथे पर बल डालती है।
कोरोना वायरस की सबसे सुरक्षित वैक्सीन कुछ महीनों तक ही सुरक्षा देगी
रिपोर्ट कहती है कि कोरोना वायरस की सबसे सुरक्षित मानी जानी वाली मोस्ट एडवासड वैक्सीन भी टीकाकरण के कुछ महीनों तक अथवा अलग-अलग शरीर के हिसाब से कुछ सालों तक ही संक्रमण से सुरक्षा देने में कारगर होगी। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने विशेषज्ञों के हवाले से हवाले से साफ कहा है कि एक बार वैक्सीन लेने से पूरी जिंदगी के लिए कोई भी संक्रमण से सुरक्षित नहीं रह सकता है। यानी वैक्सीनेशन के बाद संक्रमण का खतरा कुछ समय के लिए ही टलेगा।
कुछ ही ऐसी वैक्सीन ऐसे हैं, जिनसे आजीवन सुरक्षा की गारंटी होती है
इतिहास गवाह है कि भविष्य में विकसित कुछ ही ऐसी वैक्सीन हैं, जिन्हें एक बार लेने से आजीवन सुरक्षा की गारंटी होती है। इनमें मीजल्स रोग की वैक्सीन का उदाहरण लिया जा सकता है। सांस संबंधी दूसरे वायरस और एंटीबॉडी के असर की उम्र से जुड़े नए डेटा का हवाला देते हुए विशेषज्ञ कह रहे है कि कोरोना वायरस से ऐसी उम्मीद नहीं रखी जा सकती है कि वह आजीवन सुरक्षा की गारंटी दे सकती है।
वैक्सीनेशन के बाद उसके असर दिखने में कुछ दिनों का समय लगता है
वैज्ञानिकों की मानें तो चूंकि वैक्सीनेशन के बाद उसके असर दिखने में कुछ दिनों का समय लगता है, लेकिन इस बीच कोई कोरोना वायरस के सीधे संपर्क में आए जाए, तो वह भी संक्रमित हुए भी बिना नहीं रह सकता है। ऐसे में यह मानकर बैठ जाना कि वैक्सीनेशन के तुरंत बाद कोई कोरोना रोधी बन जाएगा तो यह उसकी बड़ी गलतफहमी होगी, क्योंकि वैक्सीन के बाद भी इंसान कोरोना के संपर्क में आकर बीमार पड़ सकता है। हालांकि कुछ फर्क भिन्न-भिन्न शऱीरों पर अलग-अलग दिख सकता है।
वैक्सीन लेने के बाद एंटीबॉडी टेस्ट के नतीजे किस तरह प्रभावित होंगे?
हालांकि सुखद बात यह सामने आई है कि ट्रायल के दौरान कोरोना वायरस वैक्सीन लेने वालों की रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई है, लेकिन अगर कोरोना के खिलाफ मनुष्य के शरीर में इम्यून सिस्टम विकसित हो चुका है, तो संभावना है कि एंटीबॉडी टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आए। फिलहाल, विशेषज्ञ अभी देख रहे हैं कि कोरोना वैक्सीन लेने के बाद एंटीबॉडी टेस्ट के नतीजे किस तरह प्रभावित होंगे।
क्या कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों को वैक्सीनेट किया जाएगा?
बड़ा सवाल यह है कि क्या कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों को वैक्सीनेट किया जाएगा। माना जाता है कि कोरोना संक्रमण से रिकवर हो चुके लोगों में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार हो जाती है, इसलिए उन्हें दोबारा संक्रमण नहीं हो सकता है, लेकिन जिस तरह से कोरोना के नए स्ट्रेन आ रहे हैं इसलिए वैज्ञानिकों द्वारा सलाह दी गई है कि वैक्सीन सभी को दिया जाना चाहिए।
वैक्सीन लेने के कितने समय तक दोबारा संक्रमण से बचाव संभव होगा?
अमेरिकी सरकार के सीडीसी की मानें तो विशेषज्ञों को अभी यह नहीं पता है कि वैक्सीन लेने के कितने समय तक दोबारा संक्रमण से बचाव संभव होगा। नैचुरल इम्यूनिटी व्यक्ति-व्यक्ति के शऱीर पर निर्भर करती है और यह नैचुरल इम्यूनिटी भी आजीवन नहीं होती है। हालांकि वैज्ञानिक यह पता लगाने के लिए लगातार अध्ययन कर रहे है कि कोरोना वैक्सीन लगाने के बाद कितने दिन तक के लिए शरीर में इम्यूनिटी विकसित होती है।
कोरोना वैक्सीन से विकसित होने वाली इम्यूनिटी की समय सीमा क्या है?
चूंकि अभी कोरोना वायरस महामारी को दुनिया में फैले हुए एक साल भी नहीं हुआ है इसलिए इस बारे में हुए अध्ययन की सामग्री बहुत सीमित है, जिससे समझा जा सके कि कोरोना वैक्सीन से विकसित होने वाली इम्यूनिटी की समय सीमा क्या है। माना जा रहा है कि एक बार वैक्सीनेशन के बाद इस मामले में प्रामाणिक डेटा मिल सकेगा कि कितने लंबे समय तक के लिए वैक्सीन से इम्यूनिटी विकसित होती है।
अब तक कोई भी कोरोना वैक्सीन 100 फीसदी असरदार नहीं पाई गई है
दरअसल, अब तक कोई वैक्सीन 100 फीसदी असरदार नहीं पाई गई है और दूसरे वैक्सीन बड़ी आबादी को मिलने में लंबा समय लगेगा। इसलिए वैक्सीनेशन के बाद सावधानियां बेहद जरूरी है। पिछले तमाम अध्ययन सुझाते हैं कि व्यक्ति की इम्यूनिटी और शारीरिक प्रतिक्रिया पर निर्भर होगा कि वैक्सीन का असर कितने लंबे समय तक रहता है। इन हालातों को देखते हुए वैज्ञानिक द्वारा सलाह दी गई है कि वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना से सुरक्षा के लिए पारंपरिक साधन क्रमशः मास्क, हाथ धोने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन किया जाए।
वैक्सीन को लेकर एक सकारात्मक रवैया अपनाना अच्छी बात है, लेकिन...
अभी हाल में डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वो वैक्सीन संबंधी जागरूरता फैलाने के साथ कोरोना वायरस संक्रमण से सुरक्षा के लिए जरूरी नियमों के पालन के लिए भी अभियान चलाएंगे, जिसमें लोगों को वैक्सीन आने के बाद भी सावधानियां बरतने के फायदों और जरूरतों के बारे में बताया जाएगा। इससे साफ जाहिर है कि वैक्सीन को लेकर एक सकारात्मक रवैया अपनाना अच्छी बात है, लेकिन संक्रमण के प्रति लापरवाही बरतना कभी भी खतरनाक हो सकता है।