दिल्ली चुनाव को लेकर EC और पूर्व CEC कुरैशी आमने-सामने, जानिए क्या है पूरा मामला
नई दिल्ली। चुनाव आयोग और इसके एक पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) में 'कोल्ड वॉर' शुरू हो गया है। चुनाव आयोग ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी के इस आरोप से इनकार किया है कि आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान नफरत भरे भाषणों (हेट स्पीच) के मामले में उचित तरीके से कार्रवाई नहीं की। चुनाव आयोग ने कहा कि कुरैशी अपनी पसंद के मुताबिक कुछ चीजें याद कर रहे हैं और कुछ चीजें भूल रहे हैं।
आपको बता दें कि एस वाई कुरैशी ने आरोप लगाया था कि दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 के दौरान हेट स्पीच के मामलों में उचित कार्रवाई नहीं की गई और एफआईआर भी दर्ज नहीं किए गए थे। चुनाव आयोग की तरफ से इन आरोपों का जवाब देते हुए वरिष्ठ डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर डॉ. संदीप सक्सेना ने पत्र लिखा और बताया, 'चुनाव आयोग 11 फरवरी 2020 से पहले कराए गए लोकसभा चुनाव और विधानसभा के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट प्रकाशित करने की योजना बना रहा है।'
आयोग ने पत्र में लिखा कि जब आप (एस वाई कुरैशी) मुख्य चुनाव आयुक्त के कार्यालय का कामकाज देख रहे थे, उस दौरान आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता के तहत जारी नोटिसों और कार्रवाई की सूची संलग्न है। उन्होंने कहा, ''आप कृपा करके इसे पढ़ सकते हैं। संलग्न सूची से देखा जा सकता है कि तत्कालीन आयोग ने इस अवधि में जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धाराओं 123 और 125 के तहत तथा आईपीसी (भारतीय दण्ड संहिता) की धारा 153 के तहत कोई कार्रवाई नहीं की।''
चुनाव आयोग ने 30 जुलाई 2010 और 10 जून 2012 के बीच हुए चुनावों के 9 कारण बताओ नोटिस का हवाला दिया है, जो कुरैशी के कार्यकाल के दौरान के हैं, जबकि पांच 2012 में यूपी चुनाव के दौरान जारी किए गए थे, तीन 2011 पश्चिम बंगाल चुनाव, दो 2011 तमिलनाडु चुनाव और एक 2010 के बिहार चुनाव के दौरान जारी किए गए थे। इन मामलों में पांच में अडवाइजरी जारी की गई थी, दो मामलों में चेतावनी दी गई थी और बचे हुए दो मामले बंद कर दिए गए थे। किसी भी केस में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश नहीं दिया गया था। इस दौरान असम, केरल, पुडुचेरी, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में हुए चुनावों में आचार संहिता उल्लंघन का कोई नोटिस जारी नहीं हुआ था।