पीएम मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद ने GDP की आकलन पद्धति पर विश्लेषण जारी किया
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद ने बुधवार को जीडीपी अनुमान की पद्धति को लेकर एक मजबूत और विस्तृत विश्लेषण जारी किया। इस विस्तृत नोट में जनवरी 2015 में जीडीपी के अनुमान को लेकर बनाई गई नई पद्धति को लेकर स्पष्ट तर्क प्रदान करता है। साल 2011-2012 को आधार मानकर उपयोग में लाई गई नईआर्थिक वृद्धि (जीडीपी वृद्धित) की गणना में दो प्रमुख सुधार शामिल हैं।
पीएम मोदी की ईएसी ने कहा है कि सरकार ने जीडीपी के आकलन के तौर-तरीकों में बदलाव 2008 से काम कर रहीं कमिटियों की सिफारिशों के आधार पर किए थे। अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय की अगुआई वाली पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद का कहना है कि कई समितियों की सिफारिशों के आधार पर देश की आमदनी के कैलकुलेशन के लिए आधार वर्ष को शिफ्ट करके 2011-12 किया गया था।
Economic Advisory Council to the Prime Minister (EAC-PM) has released a detailed analysis on robustness of India’s GDP estimation methodology. pic.twitter.com/GwotXBC8QI
— ANI (@ANI) June 19, 2019
गौरतलब है कि पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने जीडीपी की नई गणना की पद्धति को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि ईएसी ने जीडीपी को लेकर आंकड़े बढ़ा चढ़ाकर पेश किए। उन्होंने कहा कि नए पैमानों के चलते साल 2011-12 और 2016-17 के बीच आर्थिक वृद्धि दर औसतन 2.5 फीसदी ऊंची हो गई। उन्होंने हार्वर्ड विश्विद्यालय द्वारा प्रकाशित अपने शोध पत्र में कहा कि इस दौरान जीडीपी 4.5 फीसदी रहनी चाहिए जबकि सरकारी आंकड़ों में इसे 7 फीसदी बताया गया है। वह पिछले साल अगस्त में अपने पद से हटे थे। मई में जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार आर्थिक वृद्धि दरक(जीडीपी) 2018-19 की चौथी तिमाही में पांच साल के न्यूनतम स्तर 5.8 प्रतिशत रही।
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