Droupadi Murmu: देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ लेते ही बनाए ये 7 नायाब रिकॉर्ड
नई दिल्ली , 25 जुलाई। आज देश की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ले ली है और इसी के साथ ही वो देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति बन गई हैं। यही नहीं द्रौपदी मुर्मू ने शपथ लेते ही 7 नायाब रिकॉर्ड भी बनाए हैं जिनके बारे में जानते हैं विस्तार से यहां।
पहली आदिवासी राष्ट्रपति
देश के शीर्ष पद पर पहुंचने वाली द्रौपदी मुर्मू पहली आदिवासी राष्ट्रपति हैं और इसी के साथ ही वो देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति भी हैं।
ओडिशा से पहली प्रेसिडेंट बनी हैं मुर्मू
देश आजादी का 75वां साल मना रहा है लेकिन अभी तक ओडिशा से कोई भी राष्ट्रपति पद पर नहीं पहुंचा था। ये करिश्मा करने वाली द्रौपदी मुर्मू पहली महिला हैं।
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आजाद भारत में जन्म लेने वाली पहली राष्ट्रपति
द्रौपदी मुर्मू आजाद भारत में जन्म लेने वाली पहली राष्ट्रपति हैं, अभी तक देश के 14 राष्ट्रपतियों ने आजादी से पहले जन्म लिया था। आपको बता दें कि मुर्मू का जन्म जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के बैदापोसी गांव में हुआ था।
सबसे युवा राष्ट्रपति
द्रौपदी मुर्मू देश की सबसे युवा राष्ट्रपति हैं। इससे पहले ये खिताब नीलम संजीव रेड्डी के नाम पर था, वो 64 साल 2 महीने 6 दिन उम्र में राष्ट्रपति बने थे तो वहीं मुर्मू इस कुर्सी पर 64 साल एक महीना चार दिन की उम्र पर आसीन हुई हैं।
देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति
द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं,इससे पहले प्रतिभा पाटिल इस पद पर आसीन हो चुकी हैं।
बीजेपी बैकग्राउंड वाली राष्ट्रपति
द्रौपदी मुर्मू भाजपा पार्टी से हैं,ऐसे में वो बीजेपी पृष्ठभूमि वाली देश की दूसरी राष्ट्रपति हैं, उनसे पहले रामनाथ कोविंद भी बीजेपी बैकग्राउंड वाले प्रेसिडेंट थे, बैक टू बैक बीजेपी पृष्ठभूमि वाले लोग राष्ट्रपति बने हैं।
पार्षद बनकर शुरू किया था सफर
द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में राजनीति में कदम रखा था और राइरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद का चुनाव जीता था। अभी तक कोई भी पार्षद राष्ट्रपति नहीं बना था।
'आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला'
शपथ लेने के बाद अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि 'भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है। मेरा जन्म ओडिशा के एक आदिवासी गांव में हुआ लेकिन देश के लोकतंत्र की यह शक्ति है कि मुझे यहां तक पहुंचाया है। ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है।'