कांग्रेस के अंदर 'मोहभंग' वाली स्थिति, कपिल सिब्बल का किसकी ओर इशारा ?
नई दिल्ली- एक महीने होने वाले हैं, जब कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने ग्रुप 23 (Group 23) के असंतुष्टों (Congress dissident)को बुलाकर उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश की थी। असंतुष्टों की नाराजगी की मूल वजह पार्टी में आतंरिक चुनाव का लगातार टलना,पूर्णकालिक अध्यक्ष का नहीं चुना जाना और संगठन में सुधारों का लटकना है। पार्टी के 23 असंतुष्ट नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) सबसे ज्यादा मुखर रहे हैं। कई मौकों पर उन्होंने खुलकर कांग्रेस की लगातार हो रही दुर्दशा पर सवाल उठाए हैं और इसके लिए परोक्ष रूप से आलाकमान पर ही निशाना साधा है। एकबार उन्होंने यह मामला फिर उठाया है और कहा है कि पार्टी में जिस तरह से आंतरिक चुनाव की स्थिति साफ नहीं हो रही है, उससे कई राज्यों के नेताओं में मायूसी छाती जा रही है, उनका मोहभंग होता जा रहा है।

कांग्रेस के आंतरिक चुनाव में देरी पर सवाल
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi)पिछले 19 दिसंबर को पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ उन्हें खत लिखने वाले 23 असंतुष्ट नेताओं के समूह के साथ चर्चा की थी। अब उन 23 असंतुष्टों में शामिल कपिल सिब्बल (Kapil Sibal)ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि सोनिया गांधी ने जो खुली चर्चा की थी और आंतरिक चुनाव का वादा किया था, उसके बारे में अब भी यह साफ नहीं हो पाया है कि यह कब और कैसे कराया जाएगा। सिब्बल ने कहा है कि 'दुर्भाग्य से मैं यात्रा पर था, इसलिए उस बैठक में मौजूद नहीं था। लेकिन, मुझे लगता है कि इसमें खुलकर चर्चा हुई थी; और निश्चित तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष ने जो इस वक्त पार्टी को गाइड कर रही हैं, उन्होंने कहा था कि चुनाव करवाए जाएंगे।'

कांग्रेस के असंतुष्टों में मायूसी
एक तो उस सनसनी भरी चिट्ठी के कई महीनों बाद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi)ने असंतुष्ट नेताओं (Congress dissident)को उनकी मांगें सुनने के लिए वक्त दिया था और उसके बाद भी जिस तरह से आंतरिक चुनाव को लेकर पार्टी में कोई खास सुगबुगाहट नहीं दिख रही है, उससे असंतुष्टों में मायूसी छाती जा रही है। मसलन, कपिल सिब्बल(Kapil Sibal) ने तो साफ कह भी दिया है, 'अब हमें यह साफ नहीं है कि यह चुनाव किस तरह के होंगे....वैसे हमें लगता है कि चुनाव (कांग्रेस के) संवैधानिक प्रावधानों की तरह ही करवाए जाएंगे। उदाहरण के लिए अध्यक्ष का चुनाव वर्किंग कमेटी और सेंट्रल इलेक्शन कमेटी के साथ ही करवाए जाएंगे। यह संविधान का हिस्सा है। हमारे सामने इसके बारे में कोई स्पष्टता नहीं है।' इसके अलावा असंतुष्ट पार्लियामेंट्री बोर्ड को भी पुनर्जीवित करना चाहते हैं। सिब्बल को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में इसपर जवाब मिल सकता है, 'क्योंकि, कांग्रेस को हमारे देश की एक राजनीतिक शक्ति के रूप में खुद को पुनर्जीवित के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण है।'

कई राज्यों में मोहभंग वाली स्थिति-सिब्बल
सबसे बड़ी बात कि सिब्बल ने पार्टी के एक वर्ग में तेजी से पैदा हो रही मोहभंग वाली स्थिति को लेकर इशारों में ही आलाकमान को आगाह करने की कोशिश करते हुए, बिना नाम लिए उन नेताओं पर निशाना साधने की भी कोशिश की है, जो पार्टी में बिना किसी खास अनुभव के महत्वपूर्ण पदों पर बैठ चुके हैं। सिब्बल ने कहा है, 'जो यह समझते हैं कि यह पहले से ही एक राजनीतिक शक्ति है और बहुत ही मजबूत राजनीतिक शक्ति है और यह जो कुछ कर सकती है, वह कर रही है और पार्टी को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.... मुझे लगता है कि विभिन्न राज्यों में क्या हो रहा है, उसकी ओर देखने की जरूरत है। वहां एक मोहभंग वाली स्थिति है। मैं दिल्ली की बात कर सकता हूं और दिल्ली में जो हो रहा है उसपर कई नेताओं ने गंभीर चिंता जताई है और चाहते हैं कि पार्टी फौरी कार्रवाई करे। हम सभी कट्टर कांग्रेसी हैं और कांग्रेस भी ऐसी ही ताकत बन सकती है जो वह थी और आने वाले वक्त में ऐसा होगा। लेकिन, जैसा कि हम उम्मीद कर रहे थे, वैसा जवाब अभी तक हमें नहीं मिल पाया है।'

राहुल की वापसी पर क्या बोले सिब्बल?
कपिल सिब्बल ने फिर से पार्टी में बातचीत की प्रक्रिया जारी रहने पर जोर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि 'पार्टी का एक संविधान है और सभी कांग्रेसियों को संविधान और उसकी प्रक्रियाओं का सम्मान करना चाहिए।' जब उनसे राहुल गांधी के फिर से अध्यक्ष पद संभालने की चर्चा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'हम अफवाहों पर जवाब नहीं दे सकते, हम असलियत पर जवाब देते हैं। इसलिए जब यह हो जाएगा, जब सबकुछ सामने होगा, हम सबको सच्चाई का पता चल जाएगा।' यही नहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी (राहुल गांधी की) वापसी से कुछ बदलाव आएगा तो उन्होंने कहा 'मैं नहीं जानता। मुझे लगता है कि यह सबकुछ संविधान के मुताबिक प्रक्रियाओं के पालन करने और कांग्रेस के अंदर के प्रमुख व्यक्तिवों के साथ चर्चा पर निर्भर है।'