क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

विवेचना: नाक टूटने पर भी बोलना जारी रखा था इंदिरा गांधी ने

  • जब स्थानीय नेताओं ने उनसे अपना भाषण तुरंत समाप्त करने का अनुरोध किया,
  • लेकिन इंदिरा ने बोलना जारी रखा.
  • जैसे ही इंदिरा ने एक चुनाव सभा में बोलना शुरू किया,
  • तभी एक पत्थर उनकी नाक पर आ लगा. उसमें से खून बहने लगा.
  • उनके ऊपर वहाँ मौजूद भीड़ ने पत्थरों की बरसात शुरू कर दी.

By रेहान फ़ज़ल - बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
Google Oneindia News
इंदिरा
Getty Images
इंदिरा

1967 के चुनाव में इंदिरा गांधी का वो रुतबा नहीं था, जिसने बाद में उन्हें भारत की सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री बनाया.

उस ज़माने में उड़ीसा स्वतंत्र पार्टी का गढ़ हुआ करता था. जैसे ही इंदिरा ने एक चुनाव सभा में बोलना शुरू किया, उनके ऊपर वहाँ मौजूद भीड़ ने पत्थरों की बरसात शुरू कर दी.

स्थानीय नेताओं ने उनसे अपना भाषण तुरंत समाप्त करने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने बोलना जारी रखा.

अभी वो भीड़ से कह ही रही थीं, "क्या इसी तरह आप देश को बनाएंगे? क्या आप इसी तरह के लोगों को वोट देंगे." तभी एक पत्थर उनकी नाक पर आ लगा. उसमें से खून बहने लगा.

उन्होंने अपने दोनों हाथों से बहते खून को पोंछा. उनकी नाक की हड्डी टूट गई थी. लेकिन ये इंदिरा गांधी को विचलित करने के लिए काफ़ी नहीं था.

इंदिरा गांधी की 'निजी ज़िंदगी' वाले चैप्टर का सच

जब इंदिरा गांधी ने दिया भारत को शॉक ट्रीटमेंट

अगले कई दिनों तक उन्होंने चेहरे पर प्लास्टर लगाए हुए पूरे देश में चुनाव प्रचार किया. हमेशा अपनी नाक के लिए संवेदनशील रहने वाली इंदिरा गांधी ने बाद में मज़ाक भी किया कि उनकी शक्ल बिल्कुल 'बैटमैन' जैसी हो गई है.

हाल में 'इंदिरा: इंडियाज़ मोस्ट पॉवरफ़ुल प्राइम मिनिस्टर' किताब लिखने वाली सागरिका घोष कहती हैं, "इससे पता चलता है कि उनके अंदर कितना जोश और लड़ने की कितनी क्षमता थी. काफ़ी ख़ून बह जाने के बावजूद वो घबराईं नहीं और चुनाव प्रचार जारी रखा. हमें नहीं लगता कि उनके पोते राहुल गांधी वैसा कर पाएंगे, जैसा उनकी दादी ने कर दिखाया था."

कांपते हाथ

ऐसा नहीं था कि इंदिरा गांधी शुरू से इतनी हिम्मती थीं.

जब वो प्रधानमंत्री चुनी गईं तो संसद का सामना करते हुए उनकी फूंक सरका करती थी. उस समय मीनू मसानी, नाथ पाई और राम मनोहर लोहिया जैसे दिग्गज इंदिरा गांधी के बोले एक-एक शब्द में नुख़्स निकालने के लिए तत्पर रहते थे.

सागरिका घोष अपने पिता भास्कर घोष को कहते हुए बताती हैं कि जब वो सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में संसद में किसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए खड़ी होती थीं, तो उनके हाथ बुरी तरह से कांपने लगते थे.

घोष
BBC
घोष

सागरिका कहती हैं, 'उनके डॉक्टर रहे के पी माथुर ने भी मुझे बताया था कि जिस दिन उन्हें संसद में भाषण देना होता था, घबराहट में या तो उनका पेट ख़राब हो जाता था या उनके सिर में दर्द होने लगता था. लेकिन जब वो चुनाव जीत कर संसद में आईं और उन्होंने कांग्रेस का विभाजन किया, तो उनमें जो आत्मविश्वास आया, उसने उनका साथ कभी नहीं छोड़ा.'

जस्टिस सिन्हा जिन्हें झुका नहीं सकीं इंदिरा गांधी

निक्सन के भोज में आँख मूंदना

1971 के युद्ध से पहले जब इंदिरा गांधी अमरीका गईं, तो वहाँ के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन उनसे बहुत धृष्टता से पेश आए.

अमरीकी राजनयिक गैरी बास अपनी किताब 'द ब्लड टेलिग्राम' में लिखते हैं, 'निक्सन ने बदतमीज़ी की सभी हदें पार कर दी, जब उन्होंने इंदिरा गांधी को मिलने के लिए 45 मिनटों तक इंतज़ार कराया'.

गांधी
Keystone/Getty Images
गांधी

बाद में इसी बैठक का ज़िक्र करते हुए पूर्व अमरीकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने अपनी आत्मकथा 'द व्हाइट हाउज़ इयर्स' में लिखा, 'जब इंदिरा गांधी निक्सन से मिलीं, तो उन्होंने निक्सन से कुछ इस तरह बरताव किया जैसा कि एक प्रोफ़ेसर किसी पढ़ाई में कमज़ोर छात्र के साथ करता है'.

कई वर्षों बाद जब उन दिनों के टेप डीक्लासिफ़ाई हुए तो पता चला कि निक्सन उन दिनों इंदिरा गांधी के लिए 'चुड़ैल' और 'कुतिया' जैसे अपशब्दों का प्रयोग करते थे.

एक बार उन्होंने किसिंजर से यहाँ तक कहा था, 'वो बांग्लादेशी शरणार्थियों को अपने यहाँ आने क्यों दे रही हैं? वो उन्हें गोली क्यों नहीं मरवा देतीं?'

घोष बताती हैं कि इंदिरा गांधी ने निक्सन से इस अपमान का बदला उनके द्वारा इंदिरा के सम्मान में दिए भोज में लिया. भोज के दौरान मेज़ पर वो निक्सन की बगल में बैठी हुई थीं.

पूरे भोज के दौरान उन्होंने अपनी आँखें बंद रखी और निक्सन से कोई बातचीत नहीं की. औपचारिक भोज में सारे मेहमानों की निगाहें इंदिरा गाँधी पर लगी हुई थी. लेकिन वो इस दौरान बुत की तरह आँखें मूंदे बैठी रहीं और एक शब्द भी नहीं बोलीं.

इंदिरा
Getty Images
इंदिरा

बाद में इंदिरा गांधी की टीम के एक सदस्य मोनी मल्होत्रा ने उनसे पूछा भी कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? तो उनका जवाब था, "मेरे सिर में बहुत तेज़ दर्द हो रहा था."

मोनी ने मुझे बताया कि ये सिर दर्द वाला बहाना बिल्कुल झूठ था. असल में ये इंदिरा का निक्सन के अपमान का जवाब देने का अपना ख़ास तरीका था.

भुट्टो का पलंग खुद लगाया

1972 में जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो शांति वार्ता के लिए शिमला आ रहे थे, तो इंदिरा गांधी ने ख़ुद जाकर हिमाचल भवन का निरीक्षण किया, जहाँ भुट्टो ठहरने वाले थे.

उन्हें सारा इंतज़ाम ख़राब प्रतीत हुआ. सोफ़े के कपड़ों के रंग मैच नहीं कर रहे थे, फ़र्नीचर ग़लत जगह पर लगाए गए थे और पर्दे ज़मीन से एक फ़ुट छोटे थे.

उन्होंने इंतज़ाम करने वाले लोगों को एक तरफ़ खड़ा किया और ख़ुद अपने हाथों से उस शयन कक्ष को सजाया, जिसमें भुट्टो और उनकी बेटी बेनज़ीर ठहरने वाले थे.

शिमला शांति वार्ता के दौरान इंदिरा और ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो
Getty Images
शिमला शांति वार्ता के दौरान इंदिरा और ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो

इंदिरा गांधी की सोशल सेक्रेट्री रह चुकीं ऊषा भगत ने अपनी किताब 'इंदिरा जी' में लिखा था, 'हम लोग मुख्यमंत्री आवास से कुछ चीज़ें भुट्टो के कमरे के लिए लाए, जिसमें उनका पलंग भी शामिल था. राजभवन से हमने रॉ सिल्क का गहरे लाल रंग का बेड कवर मंगवाया. राष्ट्रपति भवन से हमने भुट्टो के लिए ख़ासतौर से स्टेशनरी मंगवाई.'

सागरिका बताती हैं कि भुट्टो को शायद ही इस बात का अंदाज़ा लगा हो कि इंदिरा गांधी ने ख़ुद अपने हाथों से उनके शिमला में रहने की जगह को बेहतर बनाने की पूरी कोशिश की थी.

वैसे भी इंदिरा को इंटीरियर डिज़ाइनिंग का बहुत शौक था. इंटीरियर डिज़ाइनिंग से लेकर युद्ध लड़ना और क्रॉस वर्ड पहेलियों को हल करने से लेकर भारत के घाघ राजनीतिज्ञों को चकमा देना- इंदिरा गांधी के जीवन के कई शेड्स थे.

तौलिए को भिगोने की सलाह

सागरिका घोष एक और किस्सा सुनाती हैं, जब इंदिरा गांधी पश्चिम बंगाल के एक सर्किट हाउस में ठहरी थीं और उनके पिता भास्कर घोष उस ज़िले के कलक्टर हुआ करते थे.

उन्हें याद है इंदिरा गांधी ने उनसे कहा था, "ज़िला अधिकारी महोदय, आपने मेरे रहने का बहुत अच्छा इंतज़ाम किया है. मैं इस बात की तारीफ़ करती हूं कि आपने बाथरूम में मेरे इस्तेमाल के लिए नई तौलिया रखवाई है. लेकिन अगली बार जब आप कोई नई तौलिया ख़रीदें, तो ये ध्यान रखिएगा कि उसको मेहमानों के इस्तेमाल करने से पहले एक बार धो ज़रूर लिया जाए. नया तौलिया तब तक गीलापन नहीं पोंछता जब तक उसे एक बार धोया नहीं जाए."

उसी यात्रा के दौरान ही उन्होंने दूर खड़ी एक लड़की रूमा पाल को देखकर अपने पीछे बैठे इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक गोपाल दत्त से पूछा था, "क्या आप बता सकते हैं कि वो लड़की कौन सी साड़ी पहने हुए है?' गोपाल दत्त के मुंह से निकला था, 'लगता है सिल्क की कोई साड़ी है मैम."

इंदिरा गांधी ने तुरंत उन्हें सही किया था, "ये सिल्क नहीं है मिस्टर दत्त, ये कोयम्बटूर की हैंडलूम है. बाद में गोपाल दत्त ने रूमा पाल से पूछा कि क्या वो वाकई कोयम्बटूर हैंडलूम की साड़ी पहने हुई थीं. उनका जवाब था, जी हाँ.'

तड़क - भड़क से दूर

इंदिरा गांधी के पास संभवत: भारत में हैंडलूम साड़ियों का सबसे अच्छा कलेक्शन था.

Getty Images
Getty Images
Getty Images

उनकी साड़ियां उनकी दोस्त पुपुल जयकर खरीदा करती थीं. उनको चमकदार रंग आकर्षित करते थे, ख़ासतौर से केसरिया और हरा रंग.

सागरिका बताती हैं, "वो कभी कोई ज़ेवर नहीं पहनती थीं, सिवाय रुद्राक्ष की एक माला के. उनके हाथों में हमेशा मर्दों की एक कलाई घड़ी बंधी होती थी. फ़ैशन के नाम पर कभी-कभी वो हाई हील की सैंडिल पहनना पसंद करती थीं. उनको दिखावे और तड़क-भड़क से बहुत चिढ़ थी."

ठंडे पानी से नहाना

सागरिका घोष इंदिरा के साथ काम करने वाले एक अधिकारी मोनू मल्होत्रा को यह कहते बताती हैं कि इंदिरा अपने पिता से ज़्यादा वेस्टर्नाइज़्ड थीं. उनके व्यक्तित्व में भारत और पश्चिम का अद्भुत सम्मिश्रण था.

इंदिरा का दिन सुबह छह बजे शुरू होता था. वो आधे घंटे तक योग करती थीं. आठ बजे नहाने जाती थीं और हमेशा ठंडे पानी से नहाती थीं. चाहे जितना चिलचिलाता जाड़ा पड़ रहा हो.

नाश्ते में थोड़ा जला हुआ एक टोस्ट, आधा उबला अंडा, एक फल और मिल्की कॉफ़ी लिया करती थीं. उनका दिन का खाना हमेशा भारतीय होता था- दाल, रोटी और एक सब्ज़ी. रात में वो यूरोपीय खाना पसंद करती थीं.

सागरिका घोष बताती हैं, "इंदिरा ने अपने जीवन में एक बार भी शराब नहीं पी. 1975 में जब उन्हें बताया गया कि उनके जीवन पर एक फ़िल्म आँधी बनाई गई हैं, तो उन्होंने उसे देख कर कहा था कि ये मेरे जीवन पर बनी फ़िल्म हो ही नहीं सकती, क्योंकि इसमें नायिका सुचित्रा सेन शराब पीती दिखाई पड़ती हैं, जबकि मैंने कभी शराब छुई ही नहीं."

फ़िरोज़ की बेवफ़ाई

इंदिरा गांधी ने फ़िरोज़ गांधी से अपनी पसंद से शादी की थी. लेकिन कुछ दिनों के बाद इस शादी में दरार पड़नी शुरू हो गई थी.

इंदिरा जवाहरलाल नेहरू के साथ रहा करती थीं, जबकि फ़िरोज़ को तीन मूर्ति भवन में रहना कतई पसंद नहीं था.

Juggernaut Books
AFP
Juggernaut Books

वो दिलफेंक भी थे और कई महिलाओं से उनके संबंध थे. फ़िरोज़ गांधी के जीवनीकार बर्टिल फ़ाल ने एक बार बीबीसी से बात करते हुए कहा था कि निखिल चक्रवर्ती ने उन्हें बताया था कि लंदन में भी जब फ़िरोज़ गांधी का इंदिरा से इश्क चल रहा था, तो साथ-साथ एक अंग्रेज़ लड़की से भी वो इश्क फरमा रहे थे.

जब वो सांसद थे तो उनकी छोटी मॉरिस कार अक्सर बिहार की एक महिला सांसद के फ़्लैट के बाहर खड़ी रहती थी. उनका उत्तर प्रदेश के एक मशहूर मुस्लिम नेता की बेटी से भी प्रेम हो गया था.

बात यहाँ तक पहुंची थी कि एक समय पर वो उस लड़की से शादी करने तक का मन बना रहे थे.

फ़िरोज़ के करीबी दोस्त रहे इंदर मल्होत्रा ने मुझे बताया था, "फ़िरोज़ मेरा बहुत अज़ीज़ दोस्त था और वो अक्सर उन लड़कियों का मुझसे ज़िक्र करते थे, जिनके उनसे ताल्लुकात थे. उनमें से एक का नाम था हम्मी, जो उत्तर प्रदेश के एक मुस्लिम मंत्री की बेटी थीं. मैं नही मानता कि इंदिरा गाँधी को इसकी ख़बर नहीं थी."

फ़िरोज़
Getty Images
फ़िरोज़

"एक बार इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हम्मी किसी काम से प्रधानमंत्री कार्यालय आई थीं. जब वो जाने लगीं तो अचानक खिड़की से इंदिरा गांधी की नज़र उन पर पड़ गई. तभी उन्होंने अपने कार्यालय में मौजूद देवकांत बरुआ से कहा था, 'तुम देख रहे हो उस औरत को. इसकी वजह से फ़िरोज़ ने मेरी सारी ज़िंदगी ख़राब कर दी."

मथाई प्रकरण

स्वयं इंदिरा गांधी के प्रेम संबंधों के बारे में भी अफवाहों की कमी नहीं है.

नेहरू के सहायक रहे एमओ मथाई ने अपनी किताब 'रेमिनिसेंसेज़ ऑफ़ नेहरू एज' में 'शी' के नाम से एक अध्याय लिखा था, लेकिन उसे छापा नहीं गया था.

आज कल वो अध्याय इंटरनेट पर हर जगह उपलब्ध है. इसमें बताया गया है, "वो बिस्तर में बहुत अच्छी थीं और सेक्स के मामले में उनके भीतर एक फ्रेंच औरत और केरल की नायर औरत का अच्छा सम्मिश्रण था. उनको लंबे चुंबन लेना पसंद था."

इंदिरा गांधी की जीवनीकार कैथरीन फ़्रेंक लिखती हैं, "इंदिरा के चचेरे भाई बीके नेहरू ने उन्हें बताया था कि हो सकता है इंदिरा और मथाई के बीच एक तरह का अफ़ेयर रहा हो."

गांधी
Getty Images
गांधी

इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व प्रमुख टीवी राजेश्वर भी अपनी किताब, 'इंडिया- द क्रूशियल इयर्स' में लिखते हैं, "एक बार एमजी रामचंद्रन ने मुझे बुलाकर कहा था कि उनके पास मथाई का इंदिरा गांधी के ऊपर लिखा गया 'शी' अध्याय है. मैं चाहता हूं कि इसे आप ख़ुद ले जाकर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हवाले कर दें. मैंने उनसे वो कागज़ लिया और दिल्ली जा कर इंदिरा गांधी को सौंप दिया."

घोष कहती हैं कि यह कहना बहुत मुश्किल है कि मथाई के लेखन में कितनी सच्चाई है.

दूसरी और सागरिका घोष इंदिरा गांधी की नज़दीकी पुपुल जयकर को उद्धत करते हुए भी कहती हैं, "इंदिरा गांधी का सेक्सुअल पक्ष बहुत अधिक विकसित नहीं था. इंदिरा गांधी मुझसे कहा करती थीं कि प्रेम के मामले में वो एक आम औरत की तरह नहीं हैं और शायद यही वजह है कि सेक्स के प्रति मुझमें ज़्यादा आकर्षण नहीं है. उनकी जिंदगी में राजनीति और सत्ता का इतना दख़ल था कि प्रेम जैसे विषय हमेशा उनके लिए गौण ही रहे."

नटवर सिंह ने भी घोष को बताया, "उनके लिए संभव ही नहीं था कि वो कोई प्रेम प्रसंग चला पातीं. वो हर समय तो सुरक्षाकर्मियों से घिरी रहती थीं. दिनेश सिंह ने भी उनसे अपनी नज़दीकी की अफवाहें उड़ाई थीं, लेकिन जैसे ही इंदिरा गांधी को इसके बारे में पता चला, उन्होंने फ़ौरन अपने नज़दीकी सर्किल से उन्हें निकाल बाहर किया."

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Discussion: Indira Gandhi had continued to speak when her nose breaked
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X