दिल्ली चुनाव: AAP और कांग्रेस के बीच मौन सहमति, BJP सूत्र ने जताई आशंका
नई दिल्ली- दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए अब महज तीन दिन ही बच गए हैं। लेकिन, कांग्रेस के बड़े नेता प्रचार अभियान में अबतक नहीं दिखाई पड़े हैं। हैरानी की बात ये है कि दिल्ली चुनाव के लेकर कांग्रेस के इस ठंडे रवैये से पार्टी कार्यकर्ताओं से भी ज्यादा बीजेपी के नेता परेशान हो रहे हैं। इस चुनाव से अबतक सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने जिस तरह से दूरी बना रखी है, उससे भाजपा नेताओं को शक होने लगा है कि कहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच कोई मौन सहमति तो नहीं है। क्योंकि, बीजेपी को उम्मीद है अगर कांग्रेस लोकसभा चुनावों की तरह इस चुनाव में अभी अच्छा प्रदर्शन करेगी तो बीजेपी की जीत का रास्ता साफ हो सकता है। लेकिन, फिलहाल कांग्रेस में उस तरह की कोई सुगबुगाहट नजर आ नहीं रही है, जिससे बीजेपी के नेता काफी चिंतित हो गए हैं।
एएपी ने नहीं, भाजपा को कांग्रेस ने किया परेशान
दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए अब प्रभावी तौर पर महज तीन ही दिन बचे हैं, लेकिन कांग्रेस मैदान में उम्मीदों के मुताबिक अब तक अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं करा पाई है। कांग्रेस ऐसा जिस वजह से भी कर रही हो, लेकिन उसकी इस रणनीति ने भाजपा नेतृत्व की चिंताएं बढ़ा दी हैं। पार्टी के बड़े नेताओं को यह आशंका सताने लगी है कि अगर देश की मुख्य विपक्षी पार्टी का प्रदर्शन फीका रहा तो आम आदमी पार्टी की उम्मीदें आसानी से परवान चढ़ सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक भाजपा को भरोसा था कि कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी वैसा ही प्रदर्शन दोहराएगी, जैसा कि उसने पिछले लोकसभा चुनाव में राजधानी में कर दिखाया था। उसके चलते दिल्ली में सत्ताधारी केजरीवाल की पार्टी भारी मतों के अंतर से तीसरे स्थान पर खिसक गई थी, और 70 विधानसभा क्षेत्रों में से सिर्फ जिन 5 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार पिछड़े थे, उसपर भी आम आदमी पार्टी को नहीं, कांग्रेस के उम्मीदवारों को बढ़त मिली थी। लेकिन, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हालात और उसका रवैया भाजपा को बदला-बदला नजर आ रहा है।
'कांग्रेस-आम आदमी पार्टी में मौन सहमति'
वरिष्ठ भाजपा नेताओं को लगता है कि कांग्रेस की लीडरशिप जानबूझकर दिल्ली चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए है, ताकि आम आदमी पार्टी को मदद पहुंचा सकें। बीजेपी के एक सूत्र के मुताबिक, "हमें लगता है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच एक मौन सहमति है, जो कि कांग्रेस के बड़े नेताओं जैसे कि पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के शहर में अबतक प्रचार नहीं करने से साबित हो गया है, क्योंकि वोटिंग में अब सिर्फ चार दिन ही बच गए हैं।" बीजेपी को लगता है कि कांग्रेस का आम आदमी पार्टी के सामने इस तरह से कथित सरेंडर करने से उसकी राह मुश्किल हो सकती है, हालांकि पार्टी नेतृत्व वोटरों को रिझाने के लिए अंत-अंत तक कोई कोशिश छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।
अब फ्लोटिंग वोट के भरोसे बीजेपी
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक बीजेपी और एएपी के बीच अंतर का प्रतिशत लगातार घट रहा है, लेकिन अभी तक पूरा भरा नहीं है। सूत्रों के अनुसार, दिल्ली में कांग्रेस के कब्जे में 5-6 फीसदी से ज्यादा वोट हैं। अगर इस वोट प्रतिशत में और इजाफा होता है और वह सीटों में भी तब्दील होता है तो 70 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को बहुमत मिलने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। पार्टी मानकर चल रही है कि आने वाले चुनाव में दिल्ली के 12 फीसदी फ्लोटिंग वोटर्स बहुत अहम रोल निभाने वाले हैं। उसे भरोसा है कि शाहीन बाग की हाल की घटनाएं और उसकी वजह से पैदा हुए हालातों की वजह से विधानसभा में उसे बहुमत मिलने में मदद मिल सकती है। दिल्ली विधानसभा के लिए 8 फरवरी को वोट पड़ेंगे और 11 फरवरी को चुनाव नतीजे सामने आएंगे।