राहत की खबर: भारत का आर-वैल्यू 1 से नीचे गिरा, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई के लिए अभी भी खतरा
नई दिल्ली, सितंबर 21: कोरोना महामारी को लेकर राहत भरी खबर सामने आई है। कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने की रफ्तार दर्शाने वाला 'आर-वैल्यू' सितंबर के मध्य तक घटकर 0.92 रह गया जो अगस्त (1.7) के अंत में एक से ऊपर चला गया था। इससे यह साफ होता है कि, देश भर में कोरोना संक्रमण का प्रसार धीमा हो गया है। हालांकि, कुछ प्रमुख शहरों, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु में आर-वैल्यू 1 से अधिक हैं। दिल्ली और पुणे का 'आर-वैल्यू' 1 से नीचे है।
महाराष्ट्र और केरल में 'आर-वैल्यू' एक से कम है जो इन राज्यों के लिए बड़ी राहत है क्योंकि यहां सबसे अधिक सक्रिय मामले हैं। अगस्त के अंत तक 'आर-वैल्यू' 1.17 था। चार से सात सितंबर के बीच यह घटकर 1.11 हुआ और उसके बाद ये यह एक अंक से नीचे बना हुआ है। दरअसल, किसी भी बीमारी के फैलने की दर को रि-प्रोडक्शन नंबर यानी आर-वैल्यू कहते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि एक संक्रमित व्यक्ति से औसतन कितने लोगों में संक्रमण फैल सकता है, यही 'आर' नंबर है।
चेन्नई के गणितीय विज्ञान संस्थान के सीताभरा सिन्हा ने कहा, 'अच्छी खबर यह है कि भारत में 'आर-वैल्यू' एक से कम बना हुआ है। केरल और महाराष्ट्र में भी, जहां सबसे अधिक सक्रिय मामले हैं।' सिन्हा 'आर-वैल्यू' की गणना करने वाली शोधकर्ताओं की एक टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 'आर-वैल्यू' मुंबई में 1.09, चेन्नई में 1.11, कोलकाता में 1.04, बेंगलुरु में 1.06 है। जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अपने चरम पर थी, तब देश में कुल 'आर-वैल्यू' 9 मार्च से 21 अप्रैल के बीच 1.37 होने का अनुमान लगाया गया था।
बता दें कि, अगर आर-वैल्यू एक से ऊपर है तो इसका मतलब हुआ कि कोई संक्रमित व्यक्ति एक से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है, यानी संक्रमण दोगुना से अधिक रफ्तार से फैल सकता है। वही, अगर संक्रमण दर एक से कम है तो इसका मतलब हुआ कि यह कम लोगों तक पहुंचता है और ऐसे में बीमारी के जल्द खत्म होने की संभावना होती है। हाल ही में सामने आए एक अध्ययन में पता चला है कि कोविड-19 की आर-वैल्यू यानी रि-प्रोडक्टिव वैल्यू में दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में गिरावट आयी है। यह दर्शाती है कि देश के तीन बड़े शहरों में इस महामारी का कहर थमने की राह पर है।
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मार्च-मई की अवधि के दौरान संक्रमण से हजारों लोगों की मौत हुई, जबकि लाखों लोग संक्रमित हुए। जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर अपने चरम पर थी तब देश में आर-मूल्य 9 मार्च से 21 अप्रैल के बीच 1.37 होने का अनुमान था। 24 अप्रैल से 1 मई के बीच यह घटकर 1.18 रह गया और 29 अप्रैल से 7 मई के बीच यह आगे गिरकर 1.10 हो गया। 9 मई से 11 मई के बीच आर-वैल्यू लगभग 0.98 था और फिर 14 मई से 30 मई के बीच यह 0.82 होने का अनुमान लगाया गया था। 15 मई से 26 जून तक आर-वैल्यू 0.78 था। हालांकि 20 जून से 7 जुलाई तक यह बढ़कर 0.88 हो गया।