मध्यप्रदेश में कांग्रेस किसे देने वाली है सबसे ज्यादा टिकट? हो गया बड़ा खुलासा
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। 15 साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ये ना सिर्फ राज्य में उसकी आगे की राजनीति को तय करेंगे बल्कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भी लोगों के बीच कांग्रेस का प्रदर्शन चर्चा का विषय रहेगा। कांग्रेस मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीएसपी के साथ गठबंधन करना चाहती थी लेकिन छत्तीसगढ़ में बीएसपी अजीत जोगी के साथ चली गई और मध्यप्रदेश में भी उसने 22 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। अब मध्यप्रदेश में भी बीएसपी के साथ गठबंधन की कोई ज्यादा संभावना नजर नहीं आ रही है। कांग्रेस ने ऐसे में अब राज्य में नई रणनीति पर काम करना शुरु कर दिया है। कांग्रेस मध्यप्रदेश में राज्य सरकार के खिलाफ सवर्णों के आक्रोश का फायदा उठाने की कोशिश में है।
मध्यप्रदेश में जिस तरह अगड़ी जातियां बीजेपी से नाराज हैं कांग्रेस अब उनकी नाराजगी को अपने पक्ष में भूनाना चाहती है। दिल्ली में तीन दिन तक हुई कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में इस मुद्दे के आसपास ही पूरी चर्चा हुई। बैठक में लगभग ये तय हुआ है कि पार्टी राज्य में ऊंची जाति के उम्मीदवारों को ज्यादा टिकट देगी।
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बीजेपी से नाराज सवर्ण
हाल
फिलहाल
की
घटनाओं
ने
विभिन्न
समुदायों
में
एक
विभाजन
के
हालात
पैदा
कर
दिए
हैं
और
ऊपरी
जातियों
में
बीजेपी
के
खिलाफ
आक्रोश
बढ़ा
है।
हाल
में
हुए
अगड़ी
जातियों
के
आंदोलन
का
असर
मध्यप्रदेश
में
बड़े
पैमाने
पर
दिखा।
इसका
प्रभाव
इतान
रहा
कि
सरकार
के
अधिकारियों
और
कर्मियों
के
बीच
भी
विभाजन
हो
गया।
मध्यप्रदेश
सरकार
के
सचिवालय
के
अधिकारी
तक
इस
आंदोलन
से
भावनात्मक
रूप
जुड़
गए
और
विश्वविद्यालयों
और
कॉलेजों
ने
भी
इस
आंदोलन
में
अहम
भूमिका
निभाई।
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में
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को
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ये
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सवाल
और
पांच
बड़े
विवाद
अपमान के पी रहे कड़वे घूंट
दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस के बड़े नेता वोटों की चाहत में अगड़ी जातियों के प्रदर्शनकारियों के दुर्व्यवहार और कठोर शब्दों को भी सहन कर रहे हैं। जबकि बीजेपी के नेताओं और मंत्रियों के घरों और कार्यक्रमों में हुए प्रदर्शनों में ऊपरी जाति के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस ने लाठीचार्ज तक किया लेकिन कांग्रेस नेता जानबूझकर इस विरोध को सहन कर रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं ने किसी भी ऊपरी जाति के प्रदर्शनकारी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की जबकि उनके खिलाफ भी उग्र प्रदर्शन किए गए हैं। सूत्रों ने कहा कि जब गृह मंत्रालय के अधिकारियों और पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कांग्रेस नेताओं से बात की तो कांग्रेस नेताओं ने इनकार कर दिया।
अंदरखाने हो रहा है काम
कांग्रेस
नेता
गुप्त
रूप
से
ऊपरी
जाति
के
अधिकारियों,
वकीलों
और
बुद्धिजीवियों
से
मुलाकात
कर
रहे
हैं
और
अपनी
सहानुभूति
प्रकट
कर
रहे
हैं।
कांग्रेस
के
नेताओं
को
सलाह
दी
गई
है
कि
वो
अनुसूचित
जाति,
अनुसूचित
जनजाति
और
दलित
जैसे
शब्दों
का
उपयोग
करने
से
बचें।
पिछले
दो
हफ्तों
से
कांग्रेस
के
छोटे
और
बड़े
नेता
इस
आदेश
का
पालन
कर
रहे
हैं।
ये
भी
कहा
जा
रहा
है
कि
कांग्रेस
ने
फिलहाल
अनुसूचित
जातियों
के
लिए
किसी
भी
तरह
के
कार्यक्रमों
के
आयोजन
को
रोक
दिया
है।
पार्टी
की
अनुसूचित
जाति
शाखा
को
न
केवल
विधानसभा
में
आरक्षित
सीटों
पर
ही
काम
करने
को
कहा
गया
है
बल्कि
उन्हें
बिना
किसी
बड़े
कार्यक्रम
किए
चुपचाप
प्रचार
करने
के
निर्देश
दिए
गए
हैं।
एक
वरिष्ठ
कांग्रेस
नेता
ने
कहा
है
कि
ये
सब
चुनाव
रणनीति
का
हिस्सा
है।
अगड़े
समुदाय
के
लोग
चुनाव
में
‘नोटा'
का
इस्तेमाल
करने
की
सोच
सकते
हैं
लेकिन
ये
समझना
होगा
कि
उनका
गुस्सा
बीजेपी
के
खिलाफ
है
कांग्रेस
के
खिलाफ
नहीं।
इसलिए
कांग्रेस
इस
गुस्से
को
अपने
लिए
वोटों
में
तबदील
करने
पर
काम
कर
रही
है।
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