येदुरप्पा की राह में रोड़ा बनकर आया ये कांग्रेसी पेंच, स्पीकर नहीं चुन पाए तो होगी मुश्किल
नई दिल्ली। कर्नाटक में चुनाव नतीजों के बाद जारी सियासी गहमागहमी के बीच बीएस येदुप्पा ने नए मुख्यमंत्री पदभार संभाल लिया है। कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने राजभवन में आयोजित समारोह में येदुरप्पा को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। येदुरप्पा भले ही सीएम बन गए हों लेकिन क्या वो सदन में बहुमत साबित कर पाएंगे? ये सवाल इसलिए क्योंकि विधानसभा में होने वाले फ्लोर टेस्ट में विधानसभा स्पीकर का रोल बेहद अहम होता है। सूत्रों के मुताबिक प्रोटेम स्पीकर के लिए जो नाम सबसे आगे चल रहा है वो कांग्रेस के विधायक हैं। अगर उन्हें प्रोटेम स्पीकर चुना जाता है तो इससे येदुरप्पा की फ्लोर टेस्ट की राह मुश्किल भरी हो सकती है?
प्रोटेम स्पीकर पर होंगी निगाहें
कर्नाटक में ताजा हालात पर गौर करें तो अब सभी की निगाहें राज्यपाल पर हैं। विधानसभा सत्र कब से होगा इसके साथ-साथ प्रोटेम स्पीकर का नाम भी राज्यपाल की ओर से ही तय किया जाता है। आम तौर पर परंपरा ये है कि सबसे वरिष्ठ विधायक को ही प्रोटेम स्पीकर के तौर पर चुना जाता है। प्रोटेम स्पीकर ही सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता करेंगे। विधायिका सचिवालय ने प्रोटेम स्पीकर के लिए आरवी देशपांडे के नाम की सिफारिश की है।
कांग्रेस विधायक आरवी देशपांडे का नाम सबसे आगे
आरवी देशपांडे, कांग्रेस के विधायक हैं। वो कर्नाटक के हलियाल विधानसभा सीट पर 8 बार से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतते रहे हैं। अगर उन्हें प्रोटेम स्पीकर चुना जाता है तो ये येदुरप्पा के लिए बड़ा झटका होगा। दरअसल कर्नाटक चुनाव में बीजेपी को 104 सीटें मिली हैं। बहुमत के लिए 112 सीटों की जरूरत होती है, ऐसे में येदुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 8 और विधायकों की जरूरत है।
येदुरप्पा की चाहत, उनकी ही पार्टी का हो स्पीकर
कर्नाटक चुनाव में बीजेपी का संख्या बल देखते हुए पार्टी की यही कोशिश होगी कि फ्लोर टेस्ट के दौरान उनका अध्यक्ष ही चुना जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रोटेम स्पीकर अगर कांग्रेस का हुआ तो इससे येदुरप्पा खेमे के मनोबल प्रभावित होगा। इसके अलावा बीजेपी खेमे की चाहत यही होगी कि विपक्षी खेमे के कुछ विधायक फ्लोर टेस्ट में गैर हाजिर रहें। इससे येदुरप्पा के लिए बहुमत का आंकड़ा कम हो सकता है, जो बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकता है।
येदुरप्पा बने सीएम, क्या साबित कर पाएंगे बहुमत?
संविधान के जानकारों के मुताबिक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट अगर प्रोटेम स्पीकर कराते हैं तो इसमें संवैधानिक रूप से कुछ भी गलत नहीं है। हालांकि प्रोटेम स्पीकर के पास विधानसभा अध्यक्ष जैसी शक्ति नहीं होती है। संविधान के मुताबिक प्रोटेम स्पीकर के पास दो अधिकार होते हैं। पहला अधिकार नई विधानसभा में चुनकर आए विधायकों को शपथ दिलाने का और दूसरा अधिकार रेगुलर स्पीकर यानी विधानसभा के स्थायी अध्यक्ष का चुनाव कराने का होता है।
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