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चीन कश्‍मीर पर बोलने से पहले अपने गिरेबां में झांके

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बेंगलुर। जम्मू कश्‍मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के विरोध में पाकिस्तान के पक्ष में खड़े चीन को पहले अपने गिरेबां में झांक कर देखना चाहिए। अंतराष्ट़ीय मंच पर पाकिस्तान के खैरख्‍वाह चीन ने भारत पर कश्मीर में मानव अधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है, जबकि चीन खुद तिब्बत और हॉन्ग कॉन्ग में मानवाधिकार के उल्लंघन करने के गंभीर आरोपों से घिरा हुआ है।

china

पिछले रविवार को हॉन्ग कॉन्ग में वहां के लाखों लोगों द्वारा काला छाता लेकर चीन की तानाशाही के खिलाफ प्रदर्शन ने पूरी दुनिया के सामने उसकी पोल खोल दी है। इस प्रदर्शन ने कश्मीर और लद्दाख पर बुरी नजर रखने वाले चीन का चेहरा बेनकाब कर दिया है। उसकी तानाशाही से परेशान हॉन्ग कॉन्ग की अनोखी अम्ब्रेला क्रांति से चीन की अब बोलती बंद हो गई है।

हॉन्ग कॉन्ग का बच्चा-बच्चा चीन के खिलाफ है। जिस हॉन्ग कॉन्ग को चीन अपना हिस्सा मानता है और उस पर कब्जा बनाए रखने के लिए वह अब तक बर्बरता की सारी हदें पार करता रहा है। उसी हॉन्ग कॉन्ग के लोगों ने विवादित प्रत्यर्पण बिल विरोध में शुरू हुए इन प्रदर्शनों को दो महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है। अब लोग लोकतंत्र की मांग कर रहे हैं। दो दिन से प्रदर्शनकारियों हांगकांग एयरपोर्ट को अपने कब्जे में ले रखा है।

गौरतलब है कि हांगकांग में पिछले करीब दो महीनों से लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर चीन के खिलाफ प्रदर्शन जारी हैं। हज़ारों से लाखों की संख्या तक प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर रहे हैं। चीन ने हांगकांग बॉर्डर पर सेना की भारी तैनाती की है। चीन की तानाशाही से परेशान हॉन्ग कॉन्ग के चीनी इतना परेशान हो चुके हैं कि वह चीन का हिस्सा होने के बावजूद (खासकर युवा वर्ग)अपनी पहचान चीनी के रूप में नही रखना चाहते हैं।

बड़ी आबादी कॉफिन क्यूबिकल्स में करती है गुजारा

चीन हांगकांग की बड़ी आबादी ताबूतनुमा घरों में रहने को मजबूर है। 15 स्क्वैयर फीट के लकड़ी के ये बॉक्स ताबूत की शक्ल के होने के कारण कॉफिन क्यूबिकल भी कहलाने लगे हैं। हालत यह है कि जगह की कमी के कारण वहां के लोग विस्तर के चारो ओर ही रहते है, वही टाॅयलेट है और उसी के बगल में खाना पका कर खाते है उसी छोटे से ताबूत में बच्चे पढ़ायी लिखायी करते हैं। वहां रहने वाले लोग जानवरों से बुरी जिंदगी बिताने को मजबूर हैं।

हांगकांग डेवलप्ड है, वहां जमीन के छोटे टुकड़े की भी कीमत बहुत ज्यादा है। लगभग 7.5 मिलियन आबादी वाले हांगकांग का हालिया सेंसस बताता है कि एक बड़ी आबादी इन्हीं कॉफिन क्यूबिकल्स में गुजारा कर रही है क्योंकि देश के पास विस्तार के लिए कोई जमीन का टुकड़ा बाकी नहीं है। यहां रहने वाले अधिकतर लोग रेस्टोरेंट में वेटर, क्लीनर, मॉल्स में सिक्योरिटी गार्ड्स और डिलीवरी का काम करते हैं जो खुले घरों का किराया नहीं दे पाते हैं और ऐसे घरों में रहने लगते हैं। घर इतने छोटे होते हैं कि छह फुट की ऊंचाई वाले लोग तनकर खड़े नहीं हो सकते. सोने के लिए पैर सिकोड़कर सोना पड़ता है। हाल ही में एक फोटोग्राफर ने इन क्यूबिकल्स की तस्वीरें ली और सोसल मीडिया पर पोस्ट की और दिखाया गया कि कैसे जगह की कमी की वजह से लोग बिस्तर के चारों ओर ही रहने, खाना पकाने, टॉयलेट जाने, पढ़ने और जीने को मजबूर हैं।

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चीनी नागरिक होने पर गर्व महसूस नहीं करते

वहां अधिकांश लोग चीनी नस्ल के हैं। यहां रहने वाले केवल 11 प्रतिशत खुद को चीनी कहते हैं। जबकि 71 प्रतिशत लोग कहते हैं कि वे चीनी नागरिक होने पर गर्व महसूस नहीं करते हैं। यही कारण है कि हॉन्ग कॉन्ग में हर रोज आजादी के नारे बुलंद हो रहे हैं और प्रदर्शनकारियों ने चीन समर्थित प्रशासन की नाक में दम कर रखा है। दो माह से अधिक समय बीत चुका है चीन इन प्रदर्शनकारियों की आवाज दबानें के लिए चीन ने उन पर हमले तक करवाएं जिसमें कई लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी गवां दी। आजादी की जंग को नस्तेनाबूत करने के लिए चीन सारे हथकंडे अपना रहा है। वो अब अपनी सेना का सहारा ले रहा है। बख्तरबंद गाड़ियों के साथ चीनी सेना पुलिस के साथ मिलकर प्रदर्शनकारियों के आंदोलन को कुचलने के लिए हर तरह की सख्ती कर रही है। असल में ये प्रदर्शनकारी हॉन्ग कॉन्ग में पूर्ण लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग कर रहे हैं जो धीरे-धीरे आज़ादी की जंग में तब्दील हो गई है। लेकिन वहां के लोग चीन की तानाशाही के आगे झुकने को तैयार नही है।

विधान परिषद बीजिंग समर्थक सांसदोंं के कब्जे में रहती है
हांगकांग का अपना कानून और सीमाएं हैं। साथ ही खुद की विधानसभा भी है। लेकिन हांगकांग में नेता, मुख्य कार्यकारी अधिकारी को 1,200 सदस्यीय चुनाव समिति चुनती है। समिति में ज्यादातर बीजिंग समर्थक सदस्य होते हैं। क्षेत्र के विधायी निकाय के सभी 70 सदस्य, विधान परिषद, सीधे हांगकांग के मतदाताओं द्वारा नहीं चुने जाते हैं। बिना चुनाव मेंं चुनी गईं सीटों पर बीजिंग समर्थक सांसदों का कब्जा रहता है।

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English summary
On the international platform Pakistan's friend China has accused India of violating human rights in Kashmir, while China itself is surrounded by serious allegations of human rights violations in Tibet and Hong Kong.
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