पुलिस का एक चेहरा ऐसा भी: नाबालिग नक्सली को पढ़ाया लिखाया, शादी की और पति को दिलाई नौकरी
रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित राजनांदगांव जिले में पुलिस का एक मानवीय चेहरा सामने आया है। यहां पुलिस ने आत्मसमर्पण करने वाली नाबालिग नक्सली का पालन पोषण किया और हाथ भी पीले करवाए। पुलिस ने उसे उच्च शिक्षा भी मुहैया करवाई। इतना ही नहीं उस नाबालिग के साथ सरेंडर करने वाले अन्य नक्सलियों ने भी उसके पालन-पोषण में पुलिस की मदद की। पुलिस के एक आला अधिकारी से मिली जानकारी के मताबिक राजनांदगांव जिले में साल 2014 में सावित्री विश्वकर्मा उर्फ रेशमा ने पुलिस के सामने सरेंडर किया था। पुलिस के मुताबिक रेशमा की उम्र जब 13 साल थी तब कांकेर जिला स्थित उसके तमोड़ा गांव में नक्सलियों ने हमला बोला था और उसे अपने साथ लेकर गए थे।
एलओएस सदस्य के रूप में सक्रिय थी रेशमा
नक्सिलयों ने रेशमा को वहां ट्रेनिंग दी और फिर जिले के खडगांव थाना क्षेत्र में पल्लेमाड़ी एलओएस सदस्य के रूप में सक्रिय हो गई। नक्सलियों के व्यवहार और उनके खून खराबे से परेशान होकर रेशमा ने वर्ष 2014 में राजनांदगांव पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया तब नक्सलियों ने गुस्से में उसके पिता आयतु राम की हत्या कर दी थी।
सरेंडर के बाद पुलिस ने दिखाई मानवता
एक आम धारणा है कि पुलिस अपराधियों के साथ अमानवीय व्यवहार करती है। लेकिन छत्तीसगढ़ पुलिस ने रेशमा के साथ जो किया वो एक मिसाल बन गया। आत्मसमर्पण के बाद पुलिस ने उसका पालन पोषण बेटी की तरह किया और उसकी शिक्षा की भी पर्याप्त व्यवस्था की। साथ ही सरेंडर करने वाले अन्य नक्सलियों ने भी उसके पालन पोषण में सहयोग किया गया।
गायत्री मंदिर में हुई शादी, दी गई डेढ़ लाख रुपये की राशि
पुनर्वास नीति के तहत रेशमा को डेढ़ लाख रुपये की राशि भी दी गई। अग्रवाल ने बताया कि आज एक पालक के कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए राजनांदगांव पुलिस ने रेशमा के बालिक होने पर समाज के एक युवक से गायत्री मंदिर में उसका विवाह सम्पन्न कराया। इस दौरान पुलिस विभाग के अधिकारी, कर्मचारी, सामाजिक कार्यकर्ता और आत्मसमर्पण नक्सली मौजूद थे। उन्होंने बताया कि इस दौरान विविाहित जोड़े को आशीर्वाद और उपहार दिया गया तथा रेशमा के पति को राजनांदगांव स्थित पुलिस पेट्रोल पंप में नौकरी दी गई।