इंडिया बैंकिंग कॉन्क्लेव 2018: CEPR और नीति आयोग सौपेंगे सरकार को रिपोर्ट
नई दिल्ली। 2014 के बाद मोदी सरकार की ओर से किए बिग बैंकिंग रिफॉर्म और फ्यूचर रोडमैप पर चर्चा के लिए सेंटर फॉर इकनॉमिक पॉलिसी एंड रिसर्च (सीईपीआर) की ओर से इंडिया बैंकिंग कॉन्क्लेव 2018 का आयोजन किया जा रहा है। 23 और 24 अगस्त को नई दिल्ली स्थित आईटीसी मौर्या के कमल महल में आयोजित होने वाले इस कॉन्क्लेव का नॉलेज पार्टनर नीति आयोग है। इंडिया बैंकिंग कॉन्क्लेव 2018 में इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, पीयूष गोयल, सुरेश प्रभु समेत बैंकिंग सेक्टर की कई हस्तियां मौजूद रहेंगी। इंडिया बैंकिंग कॉन्क्लेव 2018 के आयोजन में जो भी बातें निकलकर सामने आएंगी उन पर सीईपीआर और नीति आयोग दोनों रिपोर्ट तैयार करेंगे और सरकार को सौपेंगे।
मंगलवार को नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब में इंडिया बैंकिंग कॉन्क्लेव 2018 के चीफ एडवाइजर और भारतीय जनता पार्टी इकनॉमिक अफेयर्स के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने पत्रकारों को इस कॉन्क्लेव के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि एनपीए पर कॉन्क्लेव में विस्तार से चर्चा होगी। गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि कॉन्क्लेव के आयोजन के पीछे कोई ऐसा मकसद नहीं है कि हम कोई पोजिशन ले रहे हैं। मकसद एकदम साफ है कि हम ऐसा प्लेटफॉर्म देना चाहते हैं, जहां पर अलग-अलग तरह के विचारों पर चर्चा हो सके।
उन्होंने बताया कि इंडिया बैंकिंग कॉन्क्लेव 2018 में फर्स्ट सेशन में इंडियन डेब्ट, इंडियन प्रॉब्लम और इंडियन सोल्यूशन पर चर्चा होगी। दूसरे सेशन में सबसे ज्यादा फोकस इस बात रहेगा कि पहले हमारे यहां स्ट्रॉन्ग बैंक थे, जो कि डिवेलपमेंटल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन थे। बाद में कमर्शियल बैंकिंग में आ गए। ऐसे में सवाल यह है कि क्या इसकी जरूरत है? इस पर चर्चा होनी चाहिए।
गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने आगे कहा कि बैंकिंग का कैपिटलाइजेशन लो हो रहा है। यह चिंता का विषय है। इसके साथ 'फंडिग ऑफ अनफंडेड' पर भी फोकस रहेगा। इसे लेकर भी एक सेशन रहेगा, जिसमें छोटे स्टार्ट अप, स्टैंड अप को फंडिंग पर चर्चा होगी। मसलन इसमें क्या दिक्कत आ रही है, कैसे इसे और बेहतर बनाया जा सकता है और अभी तक जो फंडिंग की गई उसका क्या परिणाम रहा।
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