2018 की कड़वी यादों को यूं भुला सकते हैं
कुछ चीज़ों को भूलना उतना ही ज़रूरी है, जितना कुछ चीज़ों को याद रखना.
अनचाही यादों और उससे जुड़ी भावनाओं से निजात पाना चुनौती भरा हो सकता है, लेकिन अभ्यास से ये किया जा सकता है.
नए साल ने आपके दरवाज़े पर दस्तक दे दी है. साल 2019 आपकी दहलीज़ पर खड़ा है. आप भी 2018 को पीछे छोड़ 2019 की तरफ हाथ बढ़ा चुके हैं.
अगर आप मुड़कर देखेंगे तो साल 2018 में आपके साथ कई अच्छी और कई बुरी चीज़ें हुई होंगी. लेकिन नए साल की शुरुआत के साथ आप 2018 की उन बुरी यादों को छोड़कर आगे बढ़ना चाहते होंगे.
लेकिन क्या ऐसा कर पाना मुमकिन है? क्या हमारा दिमाग किसी बात को सचमें भुला सकता है?
अगर आप ये सोच रहे हैं तो बता दें कि ये मुमकिन है. बस आपको इसके लिए थोड़ी कोशिश करनी होगी.
ज़रा सोचिए, आपको ये तो याद होगा कि 1938 में वर्ल्ड कप कौन जीता था, लेकिन आपको ये याद नहीं होगा कि आपने अपनी कार कहां पार्क की थी?
इसलिए वैज्ञानिकों का कहना है कि किसी बात को भुलाया जाना मुमकिन है. वैज्ञानिकों की मानें तो कुछ चीज़ों को भूलने के फायदे भी होते हैं. उनके मुताबिक अगर आप अच्छी याददाश्त चाहते हैं तो हर जानकारी को याद रखना ज़रूरी नहीं है. कुछ चीज़ों को भूलकर हम याददाश्त को बेहतर भी बनाते हैं.
भूलना सीखिए
लेकिन आप कहेंगे कि ये कैसे हो सकता है. आप कुछ टिप्स अपनाकर ये कर सकते हैं. तो चलिए आपको इन टिप्स के बारे में बताते हैं.
टिप 1: बार-बार याद ना करें
जिस घटना या बात को आप भूलना चाहते हैं, उसे बार-बार याद ना करें. सोचिए कि अगर आप जंगल के किसी रास्ते से बार-बार निकलेंगे तो वो रास्ता आपको पक्के तौर पर याद हो जाएगा.
जब आप किसी घटना या बात को बार-बार याद करते हैं तो दिमाग को ये संदेश जाता है कि ये जानकारी महत्वपूर्ण है.
टिप 2: अभ्यास, अभ्यास, अभ्यास
दिमाग को भी आप ट्रेन कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए प्रेक्टिस की ज़रूरत है. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल एंडरसन ने साल 2001 में एक स्टडी की थी, जिसमें सामने आया कि गैरज़रूरी जानकारी की याद को धुंधला किया जा सकता है.
हालांकि डॉ फ्रूायड कहते हैं कि भूला दी गई जानकारी कभी-कभी अचानक याद आकर आपको डरा सकती है. लेकिन एंडरसन कहते हैं कि किसी चीज़ को लगातार भूलाने की कोशिश से फायदा होता है और कम से कम शॉट टर्म के लिए आप अपनी भावनाओं और किसी विचारों को भुला सकता हैं.
कार्डियोवेस्कुलर व्यायाम
प्रोफेसर ब्लैक रिचर्ड्स ने एक चूहे पर स्टडी की. इस दौरान उन्होंने हिप्पोकैम्प्स में न्यूरॉन की नई जनरेशन और भूलने में कुछ लिंक देखा.
हिप्पोकैम्प्स वो अंग है, जिसका संबंध मुख्य रूप से याददाश्त से होता है. न्यूरॉन एक तरह की कोशिका होती है, जो हमारे दिमाग तक जानकारी पहुंचाती है.
हमारे दिमाग में न्यूरॉन के बीच का कनेक्शन लगातार बदलता रहता है. न्यूरॉन को कमज़ोर या खत्म किया जा सकता है.
नए न्यूरॉन बनते हैं तो वो पूरानी यादों को मिटा सकते हैं और उनकी जगह नई यादे ला सकते हैं.
रिटर्ड्स ने देखा कि कार्डियोवेस्कुलर व्यायाम से कम से कम चूहों में ऐसा करना संभव है.
कुछ चीज़ों को भूलना उतना ही ज़रूरी है, जितना कुछ चीज़ों को याद रखना.
अनचाही यादों और उससे जुड़ी भावनाओं से निजात पाना चुनौती भरा हो सकता है, लेकिन अभ्यास से ये किया जा सकता है.
मनोवैज्ञानिकों और न्यूरोसाइंटिस्टों के मुताबिक हो सकता है कि हमारी दिमागी की मेमोरी की कोई सीमा हो, लेकिन हमारे मरने से पहले इसके खत्म होने के चांस कम हैं.
लेकिन फिर भी हम कुछ ज़रूरी चीज़ें इसलिए भूल जाते हैं क्योंकि हम गैरज़रूरी चीज़ों को भूला नहीं पाते. लेकिन अगर आप ऊपर दिए टिप्स को आज़माएंगे तो इन अनचाही यादों से छुटकारा पा सकते हैं.