कैराना-नूरपुर में हार नहीं, पीएम मोदी और अमित शाह के लिए ये है सबसे बड़ी 'टेंशन'
नई दिल्ली। गुरुवार को उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं। जिस तरह से पार्टी को 12 सीटों में से सिर्फ 3 सीटों पर जीत मिली उसके बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में मंथन का दौर शुरू हो गया है। यह नतीजे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिए इसलिए भी खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं क्योंकि पार्टी को यहां ना सिर्फ हार मिली है बल्कि उसके वोट फीसदी में भी गिरावट आई है। कैराना में जिस तरह से पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है उसने पार्टी के तमाम अंकगणित को जरूरत बिगाड़ दिया है। कैराना में भाजपा को 2014 में 50.6 फीसदी वोट मिला था, ऐसे में अगर पार्टी एक बार फिर से इस वोट फीसदी को बरकरार रखने में सफल होती तो एकजुट गठबंधन को भाजपा को हरा पाना मुश्किल हो जाता। लेकिन इस बार हुए उपचुनाव में भाजपा को सिर्फ 46.5 वोट मिले, ऐसे में पार्टी को तकरीबन 4 फीसदी वोट का नुकसान भी उठाना पड़ा है।
वोट फीसदी घटा
भाजपा के लिए उपचुनाव के नतीजे ना सिर्फ विपक्ष की एकजुटता खतरा है, बल्कि उसके घटते वोट फीसदी भी एक मुश्किल समस्या है। भाजपा का वोट फीसदी ना सिर्फ कैराना बल्कि महाराष्टेर के पाघर, भंडारा गोंडिया में भी गिरा है, यहां पार्टी का वोट फीसदी नौ फीसदी और 23 फीसदी के करीब कम हुआ है। लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि 2014 में भाजपा ने शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार दोनों दल एक दूसरे के सामने थे। लिहाजा यहां भाजपा को कितना नुकसान हुआ है इसका सही आंकलन थोड़ा मुश्किल है। लेकिन यहां पर एक बाद निसंदेह कही जा सकती है कि एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के वोट फीसदी में बढोतरी हुई है।
महाराष्ट में कुछ राहत
इसके अलावा लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव की बात करें तो नागालैंड में एनडीए के सहयोगियों का सीधे तौर पर एनपीएफ, एनडीपीपी से मुकाबला था, यहां विधान सभा चुनाव के दौरान भाजपा ने एनडीपीपी को समर्थन दिया था। अगर सभी 10 लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव का आंकलन करें तो भाजपा के वोट फीसदी में गिरावट साफ देखी जा सकती है। लेकिन महाराषट्र् में पार्टी का वोट फीसदी बढ़ा है, साथ ही पश्चिम बंगाल में भी भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान प्राप्त किया है।
यूपी में आसान नहीं है चुनौती
यूपी के नूरपुर में भाजपा का वोट फीसदी बढ़ा है, यहां यह 39 फीसदी से बढ़कर 47.2 फीसदी तक पहुंच चुका है। लेकिन यह इजाफा एकजुट विपक्ष से मुकाबला करने के लिए काफी साबित नहीं हुआ और भाजपा को यहां हार का सामना करना पड़ा। यूपी में भाजपा को 2019 में सपा-बसपा के गठबंधन से निपटने के लिए 2014 में 42 फीसदी वोट फीसदी के आंकड़े को बढ़ाना काफी जरूरी है। सपा-बसपा के साथ आने के बाद भाजपा की यह लगातार चौथी हार है।
इसे भी पढ़ें- कैराना के साइट इफेक्ट: हार के बाद भाजपा विधायक ने सीएम योगी पर कसा तंज