Budget 2023: 2021 की जनगणना के लिए खर्च होंगे 1564 करोड़ रुपये, फंड में तीन गुना वृ्द्धि
मौजूदा आवंटन 552.65 करोड़ रुपये के मौजूदा वित्तीय संशोधित बजट की तुलना में तीन गुना अधिक है। शुरू में बजट का अनुमान जनगणना के लिए 3,676 करोड़ रुपये था, लेकिन बाद में इसे संशोधित करके बढ़ाया गया।
Budget 2023 on 2021 census: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार यानी 1 फरवरी को संसद में आम बजट पेश किया। इस दौरान उन्होंने घोषणा की कि केंद्रीय बजट 2023-24 में जनगणना 2021 और संबंधित गतिविधियों के लिए कुल 1,564 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि देश के नागरिकों की गिनती पर कुल 1564 करोड़ खर्च होंगे। यह गृह मंत्रालय (एमएचए) को 1.96 लाख करोड़ रुपये के कुल बजट आवंटन का हिस्सा है।
मौजूदा आवंटन 552.65 करोड़ रुपये के मौजूदा वित्तीय संशोधित बजट की तुलना में तीन गुना अधिक है। शुरू में बजट का अनुमान जनगणना के लिए 3,676 करोड़ रुपये था, लेकिन बाद में इसे संशोधित करके बढ़ाया गया। जनगणना 2021 में ही होना था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसमें देरी हुई। अब इस साल जनगणना शुरू किया जाएगा।
मूल रूप से एनपीआर के अपडेट के साथ-साथ जनगणना 2021 के पहले चरण में मकान-सूचीकरण और आवास जनगणना का फील्डवर्क अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक 45 दिनों के लिए विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित किया जाना था। मकान सूचीकरण के बाद 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 के बीच जनसंख्या गणना की जानी थी।
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पिछले महीने आरजीआई ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर 30 जून 2023 के अंत तक प्रशासनिक सीमाओं में बदलाव करने की तारीख बढ़ाने के बारे में सूचित किया था। जनगणना के संचालन के दौरान घर सूचीकरण और जनसंख्या गणना दोनों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जिलों, कस्बों, गांवों और तहसीलों की सीमाओं को बदलने की अपेक्षा नहीं की जाती है।
नियमों के अनुसार, प्रशासनिक सीमाओं के जमने के तीन महीने बाद ही जनगणना की कवायद शुरू हो सकती है, जिससे प्रभावी रूप से इस साल सितंबर तक जनगणना 2021 की प्रक्रिया में देरी हो रही है।
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