कन्हैया कुमार देशद्रोह केस में भाजपा नेता को झटका
नई दिल्ली- सीपीआई नेता कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की इजाजत देने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश देने के लिए दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। ये याचिका बीजेपी की एक नेता की ओर से दायर की गई थी। ये मामला फरवरी 2016 में जेएनयू में हुई देश विरोधी नारेबाजी से जुड़ा है, जिसको लेकर दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच खूब आरोप-प्रत्यारोप भी लगे थे। भाजपा का आरोप है कि दिल्ली सरकार जानबूझकर कन्हैया कुमार पर मुकदमान चलाने की मंजूरी नहीं दे रही है और उसी के तहत पार्टी के नेता सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें निचली अदालत में जाने को कह दिया है। वैसे इस मामले में दिल्ली की एक कोर्ट पहले ही दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांग चुकी है और उसके लिए दिल्ली सरकार को रिमाइंडर भेजने को भी कहा है।
कन्हैया कुमार देशद्रोह केस में भाजपा नेता को झटका
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कन्हैया कुमार देशद्रोह केस में भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग की याचिका ठुकरा दी। गर्ग की ओर से ये याचिका जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार पर मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश देने के लिए दायर की गई थी। याचिका ठुकराते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि, 'हम इस तरह की दलील को नहीं सुन सकते। इसे केस टू केस के आधार पर तय किया जाना है।' कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निचली अदालत में जाने को कहा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी गर्ग की अर्जी सुनने से पिछले दिसंबर में इनकार कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार कन्हैया कुमार के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार को मंजूरी देने में जानबूझकर देरी कर रही है।
दिल्ली चुनाव में भी उठा था मामला
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार के अलावा उमर खालिद, अनिर्बान और सात अन्य लोगों के खिलाफ पिछले साल 14 जनवरी को देशद्रोह, दंगा भड़काने और आपराधिक साजिश के तहत चार्जशीट दायर किया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सरकार से मुकदमा चलाने की इजाजत मांगी थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पटियाला हाउस के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुमीत आनंद की कोर्ट में 1200 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। इस केस में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं और जेएनयू के सुरक्षाकर्मियों को गवाह बनाया गया है। इस मामले में हाल ही में दिल्ली की एक कोर्ट ने पुलिस को स्टैटस रिपोर्ट मांगते हुए निर्देश दिया था कि वह दिल्ली सरकार को इस मामले में रिमाइंडर भेजे और उसने 3 अप्रैल को सुनवाई के लिए अगली तारीख तय कर दी है। इस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रतिक्रिया दी थी कि वह इस मामले में अपनी सरकार से जल्द फैसला लेने को कहेंगे। पिछले दिनों दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान भी इस मुद्दे पर भाजपा और आम आदमी पार्टी पर खूब आरोप-प्रत्यारोप लगे थे।
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि मामला 9 फरवरी, 2016 को जेएनयू में देश विरोधी नारेबाजी से जुड़ा है। उस दौरान इस मामले पर बहुत ज्यादा सियासी बवाल मचा था और देश-विरोधी नारेबाजी के बावजूद कई विपक्षी पार्टियों के नेता जेएनयू जाकर वहां के छात्रों के समर्थन में कूद पड़े थे और केंद्र की मोदी सरकार पर हमला किया था। उसके बाद से हर चुनाव में यह मुद्दा बनता है और विपक्ष इसे अभिव्यक्ति की आजादी दबाने की कोशिश की तरह पेश करता है और बीजेपी सरकार इसमें शामिल आरोपी कन्हैया कुमार जैसे नेताओं को टुकड़े-टुकड़े गैंग कहकर बुलाती है। एक तरह से उसी के बाद से जेएनयू के छात्रों के एक वर्ग और केंद्र सरकार के बीच तनातनी की स्थिति बनी रहती है।