क्या पूर्वी दिल्ली में इस बार बीजेपी 'आप' के बागी के भरोसे जीतेगी लोगों का 'विश्वास'?
नई दिल्ली- आम आदमी पार्टी के बागी नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी कुमार विश्वास इस बार पूर्वी दिल्ली से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। जानकारी के मुताबिक वे 'आप' की आतिशी मार्लेना के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं। इससे पहले खबरें थीं कि वे बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार कर सकते हैं।
कैसे शुरू हुई चर्चा?
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक दिल्ली बीजेपी इस बात पर विचार कर सकती है कि 'आप' (AAP) के बागी नेता और कवि कुमार विश्वास को पूर्वी दिल्ली से पार्टी का प्रत्याशी बनाया जाय। खासकर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी और कुमार विश्वास के बीच हाल में हुई बातचीत से इस बात को ज्यादा बल मिला है। खबरों के मुताबिक दिल्ली बीजेपी पूर्वी दिल्ली सीट से विश्वास के नाम का प्रस्ताव केंद्रीय चुनाव समिति को भेज सकती है, जो इस पर आखिरी फैसला करेगी। उम्मीद है कि पार्टी 5 अप्रैल को दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों का ऐलान कर सकती है। गौरतलब है कि तिवारी और विश्वास पहले भी कई बार मिल चुके हैं और दोनों के बीच आपसी ताल्लुकात काफी अच्छे बताए जाते हैं।
कुमार पर क्यों 'विश्वास' करना चाहती है बीजेपी?
कुमार विश्वास अपनी कविताओं और वाकपटुता की वजह से हाल के दिनों में लोगों के बीच खूब लोकप्रिय हुए हैं। एक न्यूज चैनल पर कविताओं से जुड़ा उनका एक कार्यक्रम भी खूब चर्चित हुआ है। कविता पढ़ने के अलावा उन्हें एक अच्छा वक्ता भी माना जाता है। एक समय में वे बीजेपी की नीतियों पर जमकर कटाक्ष करते थे, लेकिन पिछले कुछ वक्त से जब से केजरीवाल से दोस्ती में दरार आई है, उन्होंने बीजेपी के लिए नरम रवैया अपना रखा है। वैसे राष्ट्रवाद एक ऐसा मुद्दा है, जिसमें विश्वास हमेशा से बीजेपी की विचारधारा में फिट बैठते हैं। आम आदमी पार्टी में रहते हुए भी इस मुद्दे पर उनकी लाइन पार्टी से अलग रही है। वे उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और पूर्वी दिल्ली में पूर्वांचल के मतदाताओं की अच्छी-खासी आबादी है। माना जा रहा है कि पार्टी को इसका फायदा मिल सकता है। वैसे अब तक बीजेपी की ओर से ये बातें कही जा रही थीं कि वे पार्टी के लिए चुनाव प्रचार कर सकते हैं।
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जूनागढ़ जा सकते हैं महेश गिरी!
पूर्वी दिल्ली से पिछली बार महेश गिरी बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते थे। उनके बारे में कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी उन्हें गुजरात के जूनागढ़ से चुनाव लड़ने को कह सकती है। जूनागढ़ से उनका पुराना नाता रहा है और वे वहां एक आध्यात्मिक पीठ के प्रमुख रह चुके हैं। गौरतलब है कि महेश गिरी आर्ट ऑफ लिविंग संस्था से भी जुड़े हुए हैं और वे उसके माध्यम से समाज सेवा कार्यों में भी बहुत व्यस्त रहते हैं। इसलिए कई बार दिल्ली में उनपर क्षेत्र के लिए समय नहीं निकाल पाने के आरोप भी लगाए जाते रहे हैं।
केजरीवाल से कैसे टूटा विश्वास?
कुमार विश्वास उसी अन्ना आंदोलन से सुर्खियों में आए , जिसकी राजनीतिक पैदाइश दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी हैं। वे केजरीवाल की तरह ही आम आदमी पार्टी (AAP) के संस्थापक सदस्य हैं। लेकिन, पार्टी में कुछ वर्ष बिताने के बाद उन्हें भी उसी तरह से किनारे होना पड़ा, जैसे बाकी दिग्गजों को होना पड़ा। इसमें प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव जैसे दिग्गजों को तो बेआबरू करके बाहर का रास्ता ही दिखाया गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में कुमार विश्वास पार्टी के टिकट पर अमेठी से कांग्रेस के राहुल गांधी और बीजेपी की स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव लड़े थे। लेकिन, काफी संघर्ष करने के बावजूद भी वे वहां के मतदाताओं का विश्वास जीतने में नाकाम रहे। बाद में पार्टी में वे धीरे-धीरे वे अलग-थलग किए जाने लगे और उन्हें राजस्थान जैसे राज्य में पार्टी का इंचार्ज बनाकर भेज दिया गया, जहां केजरीवाल की पार्टी की कोई पूछ नहीं है। फिर भी कुमार केजरीवाल के विश्वासपात्र बने रहे। लेकिन, जब राजनीति की दिशा और दशा बदलने का दावा करके सत्ता में आई पार्टी ने 2018 के जनवरी में राज्यसभा के लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं की बजाय कथित तौर पर धन बल के आधार पर टिकट बांटे, तो इनके सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने अरविंद केजरीवाल से दूरी बना ली और वे फिलहाल पार्टी में सक्रिय नहीं दिखते हैं।
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