जब आरजेडी सांसद रमा देवी ने गुस्से में मीडियाकर्मियों पर तान दी थी बंदूक
नई दिल्ली। आखिरकार उत्तर प्रदेश के बड़बोले नेता और सपा सांसद आजम खान ने रमा देवी से लोकसभा में माफी मांग ली। बयानवीर आजम खान को पहली बार अपनी ओछी जुबान की भारी कीमत चुकानी पड़ी। वे पहले भी महिला नेताओं के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करते रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी सारी हेकड़ी गायब हो गयी। रमा देवी बिहार के शिवहर से भाजपा की संसद हैं। वे बिहार की रसूख वाली महिला नेता हैं। उन्होंने संघर्ष के बल पर राजनीति में जगह बनायी है। अपने फौलादी इरादों की वजह से ही उन्होंने आजम खान जैसे नेता को सिर झुकाने के लिए मजबूर किया। जब रमा देवी के पति की हत्या हुई थी उस समय भी वे सांसद थीं। इस घटना से वे इतनी आक्रोशित हो गयी थीं कि उन्होंने मीडियाकर्मियों पर ही बंदूक तान दी थी। रमा देवी के पति बृज बिहारी प्रसाद बिहार के दबंग और बाहुबली नेता थे।
रमा के राजनीति में आने से पहले क्या हुआ
रमा देवी का जन्म वैशाली जिले के लालगंज में हुआ है। उन्होंने मुजफ्फरपुर के बीआर अम्बेदर बिहार विश्वविद्यालय से इकॉनोमिक्स ऑनर्स में बैचलर डिग्री ली है। यहीं से उन्होंने एलएलबी की उपाधि भी हासिल की। उनकी शादी बृजबिहार प्रसाद से हुई। 1995 में बृजबिहारी प्रसाद लालू सरकार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री थे। बृज बिहारी इंजीनियर थे इस लिए लालू ने उन्हें यह विभाग दिया था। 1996 में बिहार में इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए इंट्रेंस टेस्ट हुआ था जिसमें बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी। मेरिट लिस्ट में घोटला की चर्चा चल पड़ी। आरोप लगा कि सैकड़ों छात्रों की कॉपियां बदल दी गयीं थीं। मीडिया में इस फर्जीवाड़े को लेकर रोज खबरे छपने लगीं। लालू सरकार चौतरफा घिरने लगी। जब सरकार की किरकिरी होने लगी तो लालू यादव ने इस गड़बड़ी की जांच सीबीआइ से कराने की मंजूरी दे दी। लालू यादव के इस फैसले से विभागीय मंत्री बृज बिहारी प्रसाद बहुत नाराज हो गये थे। वे सीबीआइ जांच नहीं चाहते थे। उस समय रमा देवी राजनीति में नहीं थीं लेकिन उन्होंने भी लालू यादव को इस फैसले का विरोध किया था।
पति की गिरफ्तारी, रमा को मिला टिकट
इंजीनियरिंग कॉलेज मेरिट लिस्ट घोटला की जांच में सीबीआइ ने पाया कि 245 छात्रों ने फर्जीवाड़ा से एडमिशन लिया है। इनकी कापियां बदल कर अच्छे नम्बर दिखाये गये थे। इसके बाद सीबीआइ ने विभागीय मंत्री बृज बिहारी प्रसाद को आरोपी बना कर चार्जशीट दाखिल कर दिया। ऐसे में उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। आखिरकार सीबीआइ ने इस घोटला में बृज बिहारी प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी से बृज बिहारी, रमा देवी दोनों आगबबूला हो गये थे। उन्होंने लालू यादव पर जानबूझ कर फंसाने का आरोप लगाया। कहा जाता है कि लालू यादव को ये बात बहुत नागवार गुजरी कि उनके मंत्री ने अकेले-अकेले ही 245 छात्रों का इंजीनियरिंग में एडमिशन करा दिया और बताया तक नहीं। उस समय लालू के नाम का सिक्का चलता था। कोई उनके रुतबे को नजरअंदाज कर दे, ये मंजूर नहीं। रुपयों-पैसों का बहुत बड़ा खेल हुआ था। उस समय बृज बिहारी समर्थकों ने आरोप लगाया था कि लालू ने जानबूझ कर अपने मंत्री को नहीं बचाया था। ये मामला तूल पकड़ने लगा। इसी बीच 1998 का लोकसभा चुनाव आ गया। बृजबिहारी प्रसाद का मामला गर्म था। विवाद से ध्यान हटाने के लिए लालू ने 1998 लोकसभा चुनाव में रमा देवी को मोतिहारी से राजद का टिकट दे दिया। रमा देवी को टिकट मिलने के बाद सीबीआइ ने बृजबिहारी की गिरफ्तारी की थी।
बृज बिहारी प्रसाद की हत्या
गिरफ्तारी के बाद बृज बिहारी प्रसाद को इलाज के नाम पर पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज के लिए भर्ती कराया था। 13 जून 1998 को अस्पताल परिसर में ही ब़ृज बिहारी प्रसाद को एके-47 से भून दिया गया था। बृजबिहारी प्रसाद पर दबंग छोटन शुक्ला की हत्या की साजिश का आरोप था। ये हत्या दिसम्बर 1994 में हुई थी। इसके अलावा 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान निर्दलीय उम्मीदवार देवेंद्र दूबे की भी हत्या कर दी गयी थी। उस समय वे गोविंदगंज के निर्दलीय विधायक थे। देवेन्द्र के परिजनों ने इस हत्या का आरोप बृजबिहारी पर लगाया था। कहा जाता है कि इस दोनों घटनाओं के बाद छोटन शुक्ला और देवेन्द्र समर्थक बृज बिहारी की जान की पीछे पड़े थे। जब बृज बिहारी प्रसाद की हत्या हुई थी उस समय रमा देवी राजद की सांसद थीं। उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। इस हत्या के बाद राम देवी ने आपा खो दिया था। इस घटना के बाद जब मीडियाकर्मी उनके घर पहुंचे तो आक्रोशित रमा देवी ने अपने सुरक्षाकर्मी की बंदूक लेकर उन पर तान दी थी। रमा देवी ने इस घटना के लिए लालू यादव को भी जिम्मेवार ठहराया था। वे अक्सर आरोप लगाती रहती थीं कि उनके पति की हत्या में लालू यादव का भी हाथ है। वैसे ये आरोप कभी ,साबित नहीं हुए।
1999 का लोकसभा चुनाव हार गयी थीं रमा
1999 में रमा देवी लोकसभा का चुनाव हार गयीं थीं। उन्हें भाजपा के राधामोहन सिंह ने हराया था। फिर 2000 में रमा देवी विधायक बनीं। तकरार के बाद भी लालू यादव वे उन्हें राबड़ी कैबिनेट में मंत्री बनवा दिया था। 2009 के लोकसभा चुनाव के समय जब रमा देवी को लालू ने टिकट देने से इंकार कर दिया तो उन्होंने राजद से किनारा कर लिया। इसी बीच राधामोहन सिंह ने रमा देवी को भाजपा में आने की सलाह दी। राधामोहन सिंह के सौजन्य से रमा देवी को शिवहर से भाजपा का टिकट मिल गया। वे जीती भीं। अब वे इस सीट पर जीत का हैट्रिक लगा चुकी हैं। जिस भाजपा के खिलाफ उनके पति ने जीवन भर राजनीति की आज उसी दल के लिए रमा देवी शौर्य गाथा लिख रही हैं।