Bhima-Koregaon violence: डॉ. अंबेडकर के पोते ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांगी सफाई
नई दिल्ली। मुंबई में जिस तरह से भीमा-कोरेगांव हिंसा हुई और उसमे एक व्यक्ति की मौत हो गई, उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने सवाल पूछा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को दलितों पर हो रहे हमले को लेकर अपना रुख साफ करने को कहा है। भीमा कोरेगांव हिंसा में शंभाजी भिड़े का नाम सामने आ रहा है, शंभाजी को खुद प्रधानमंत्री मोदी गुरुजी के कहकर बुलाते हैं और उन्हें काफी सम्मान देते हैं। लेकिन इस हिंसा के बाद शंभाजी फरार चल रहे है।
अंबेडकर के पड़पोते ने पीएम पर सवाल खड़ा किया
अंबेडकर ने कहा कि जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी ने जिस व्यक्ति को गुरुजी माना है वह व्यक्ति देश में हिंसा भड़काने का आरोपी है, इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी को अपना रुख साफ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में उन्हे इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि क्या वह उस व्यक्ति को अपना गुरु मानते हैं जो हिंसा में लिप्त है, ऐसे में मैं प्रधानमंत्री मोदी से अपील करता हूं कि उन्हें लोकसभा के भीतर बयान देकर अपना रुख साफ करना चाहिए।
न्यायिक जांच की मांग
भरीपा बहुजन महासंघ के मुखिया ने भी इस बात की मांग की है कि इस मामले की न्यायिक जांच की जानी चाहिए और जज दलित नहीं होना चाहिए। अंबेडकर ने अपील की है कि प्रदर्शनकारियों को शांत रहना चाहिए और शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखना चाहिए। आपको बता दें कि प्रदर्शनकारियों ने नागपुर, पुणे, बारामती में जमकर उत्पात मचाया था और सड़के बंद कर दी थीं, इस दौरान मुंबंई व आसपास के इलाके में पत्थरबाजी की भी घटनाएं सामने आई थी।
बंद का किया था ऐलान
बुधवार को अंबेडर कने महाराष्ट्र में बंद को खत्म किए जाने का ऐलान किया था। भीमा कोरेगांव में जिस तरह से हिंसा भड़की और राज्य सरकार उसपर काबू पाने में विफल रही थी, उसके खिलाफ भरीपा बहुजन महासंघ ने महाराष्ट्र बंद का ऐलान किया था। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने जांच के आदेश दिए थे, साथ ही इस हिंसा में मारे गए युवक के परिवार को 10 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी ऐलान किया था।
राइट विंग ने किया था विरोध
कोरेगांव-भीमा में हिंसा की घटना के बाद राज्य में काफी तनाव बढ़ गया था, यह हिंसा उस वक्त बढ़ गई जब दलित और राइट विंग गुट के बीच पुणे में हिंसा भड़क गई थी। यह हिंसा उस वक्त भड़क गई जब राइट विंग ने विक्ट्री डे के मौके पर आयोजित कार्यक्रम का विरोध किया, जिसे वह देश विरोधी गतिविधि के तौर पर देखते हैं।
क्यों मनाया जाता है यह दिन
आपको बता दें कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी व पेशवा के बीच युद्ध हुआ था, इस दौरान ब्रिटिश सेना के साथ दलित सैनिक भी शामिल थे, जबकि पेशवा की ओर से सवर्ण जाति के ब्राह्मण लड़ रहे थे। यह युद्ध 1 जनवरी 1818 में हुआ था, जिसमे अंत में मराठा पीछे हट गए थे। उसके बाद से ही दलित समुदाय इस युद्ध को ब्राह्मणों के उपर जीत के तौर पर मनाते आए हैं।