अयोध्या जमीन विवाद पर श्रीराम मंदिर ट्रस्ट का जवाब, हमने तो कम दाम पर खरीदा है
लखनऊ, 15 जून। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए जमीन खरीद को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि दो करोड़ रुपए की जमीन को 18 करोड़ रुपए से अधिक कीमत पर खरीदा गया। लेकिन इन तमाम आरोपों पर अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सफाई दी है। उन्होंने बताया कि जमीन की कीमत इसके क्षेत्र को देखते हुए 1423 रुपए प्रति वर्गफीट है जोकि मार्केट रेट से कहीं कम है। सरकार के टैक्स का दुरुपयोग ना हो इसलिए हमने नेट बैंकिंग के जरिए भुगतान करने का फैसला लिया। जमीन में घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोप पूरी तरह से भ्रमित करने वाले हैं।
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चंपत राय ने कहा कि जो लोग ये आरोप लगा रहे हैं उन्होंने हमसे इस बारे में चर्चा तक करना जरूरी नहीं समझा। जमीन पर मालिकाना हक किसका है इसका फैसला होने के बाद हमे जमीन का कॉन्ट्रैक्ट मिला। आरोप पुरी तरह से भ्रमित करने वाले हैं, लोगों को इनपर कतई भरोसा नहीं करना चाहिए। लोगों को मंदिर के समय पर निर्माण में मदद करनी चाहिए। बता दें कि सपा सपा नता और पूर्व मंत्री तेज नाराय पांडे ने आरोप लगाया था कि अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए जो जमीन खरीद की गई उसमे धांधली हुई है और कुछ ही समय में जमीन के दाम दो करोड़ रुपए से बढ़कर 18 करोड़ रुपए हो गई है। वहीं आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इस मामले में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
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ट्रस्ट का कहना है कि 2011 में इस जमीन का रिजस्टर्ड अग्रीमेंट 4 मार्च 2011 को जमीन के मालिक मोहम्मद इरफान, हरिदास और कुसुम पाठक के साथ किया गया था। उस वक्त यह अग्रीमेंट दो करोड़ रुपए में किया गया था। तीन साल बाद इसका नवीनीकरण कराया। 2017 में जमीन का हरिदास व कुसुम पाठक ने जमीन के मालिक नूर आलम, महफूज आलम और जावेद आलम से बैनामा करा लिया। 17 सितंबर 2019 में रविमोहन तिवारी, सुल्तान अंसारी व आठ लोगों ने अग्रीमेंट कराया और 18 मार्च 20121 को इस जमीन का बैनामा कर दिया गया। लेकिन मौजूदा समय में इस जमीन की कीमत 2000 रुपए प्रति वर्गफीट है, ऐसे में हमने इस जमीन को कम दाम में खरीदा है।