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विरोधी तेवर के बाद भी ‘बिहार की वंदना’ पर केजरीवाल ने क्यों किया भरोसा ?

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नई दिल्ली। दिल्ली की शालीमार बाग सीट से तीसरी बार विधायक चुनी गयीं वंदना कुमारी बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं। एक समय वंदना कुमारी ने आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल के फैसले का विरोध किया था। इस विरोध की उन्हें कीमत भी चुकानी पड़ी थी। लेकिन इसके बाद भी केजरीवाल ने वंदना को 2020 के चुनाव में मौका दिया। अरविंद केजरीवाल आम तौर पर विरोध बर्दाश्त नहीं करते। विरोधी तेवर वाले कई बड़े नेताओं को निबटाने में उन्हें बिल्कुल देर नहीं लगी। फिर ऐसी क्या वजह रही कि केजरीवाल, वंदना को तीसरी बार टिकट देने पर मजबूर हुए ?

केजरीवाल से विवाद

केजरीवाल से विवाद

मई 2016 में दिल्ली नगर निगम की 13 सीटों पर उपचुनाव हुए थे। वंदना कुमारी उस समय शालीमार बाग से विधायक थीं और दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष पद पर आसीन थीं। केजरीवाल ने वार्ड 55 (शालीमार बाग) से अवनिका मित्तल को उम्मीदवार बनाया था। कहा जाता है कि वंदना ने केजरीवाल के इस फैसले का विरोध किया था। वंदना अपने क्षेत्र में अवनिका जैसी कमजोर उम्मीदवार देने से नाखुश थीं। चुनाव हुआ तो वार्ड 55 में आप उम्मीदवार अवनिका की हार हो गयी। यहां से भाजपा को जीत मिली। इस नतीजे के बाद वंदना पर आरोप लगा कि उन्होंने चुनाव में अवनिका मित्तल के खिलाफ काम किया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी केजरीवाल से वंदना की शिकायत की थी। केजरीवाल ने तुरंत एक्शन लिया और वंदना कुमारी को विधानसभा उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का फरमान जारी कर दिया। वंदना ने भी इस्तीफा करने में देर नहीं की।

वंदना ने पार्टी फोरम पर लड़ी अपनी लड़ाई

वंदना ने पार्टी फोरम पर लड़ी अपनी लड़ाई

केजरीवाल के इस फैसले पर वंदना कुमारी ने कभी सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की। उन्होंने अपनी बात पार्टी की बैठकों में रखी। वंदना इस बात पर अडिग रहीं कि अवनिका की हार में उनकी कोई भूमिका नहीं है। दिल्ली नगर निगम के उपचुनाव में चार अन्य वार्डों में इलेक्शन हुए थे जहां के पार्षद आप से विधायक चुने गये थे। नरेश बालियान, करतार सिंह, राघवेन्द्र शौकीन और प्रमिला टोकस के विधायक चुने जाने की वजह से नवादा, भाटी, कमरुद्दीनगर और मुनरिका वार्ड में उपचुनाव हुआ था। इन चारों जगहों पर आप की हार हुई थी। इन वार्डों के विधायक पर आप ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। वंदना इस बात को स्पष्ट करने में सफल रहीं कि जैसे इन चार उम्मीदवारों की हार हुई वैसे ही अवनिका मित्तल की हार हुई।

हर परीक्षा में पास रहीं वंदना

हर परीक्षा में पास रहीं वंदना

2020 के विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने कई श्रोतों से अपने विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कराया था। इस काम में प्रशांत किशोर ने भी केजरीवाल की मदद की थी। खराब प्रदर्शन वाले 15 विधायकों के टिकट काट दिये गये थे। इस रिपोर्ट कार्ड में वंदना कुमारी को परफॉर्म करने वाला नेता माना गया था। कुछ शिकायतों के बाद भी केजरीवाल वंदना पर भरोसा करते थे। विश्वास की यह नींव 2013 में पड़ी थी। 2013 के विधानसभा चुनाव में भी वंदना शालीमार बाग से विधायक चुनीं गयीं थीं। केजरावील ने कांग्रेस के सहयोग से पहली बार सरकार बनायी थी। 49 दिन सरकार चलाने के बाद फऱवरी 2014 में केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और फिर विधानसभा चुनाव कराने की मांग की थी। छह महीने गुजर चुके थे लेकिन दिल्ली विधानसभा भंग नहीं की गयी थी। उस समय कई अफवाहें तैर रहीं थी कि विधायकों की खरीद फरोख्त से भाजपा सरकार बनाने की कोशिश में है। केजरीवाल ने खुद आरोप लगाया था कि आप के 27 विधायकों में से 15 को खरीदने के लिए भाजपा ने पेशकश की थी। आरोप के मुताबिक भाजपा ने आप विधायक वंदना कुमारी को भी ऑफर दिया था। लेकिन वंदना ने इस ऑफर को ठुकरा कर केजरीवाल को सारी बात बता दी। तब से केजरीवाल वंदना पर बहुत भरोसा करते हैं। वंदना की आप के प्रति निष्ठा, कामकाज और रिपोर्ट कार्ड ने केजरीवाल को एक बार फिर टिकट देने पर मजबूर कर दिया।

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English summary
arvind kejriwal trusted Vandana Kumari she was elected MLA from Shalimar Bagh seat in Delhi for the third time
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