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क्या अब किसान आंदोलन में उतरने से डर रहे हैं हरियाणा के कांग्रेसी नेता ?

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नई दिल्ली: हरियाणा के कांग्रेसी नेता पार्टी नेतृत्व को किसान आंदोलन में सक्रिय तौर पर उतरने के खिलाफ आगाह कर रह हे हैं। उन्हें लगता है कि अगर कांग्रेस ने ऐसी 'गलती' की तो इसका फायदा भाजपा उठा सकती है। दरअसल, कांग्रेस चाहती है कि अब बहुत हो गया, पार्टी को खुलकर किसान आंदोलन में कूद जाना चाहिए। वह इस बहाने मोदी सरकार को गांव-गांव तक घेरने की रणनीति पर काम कर रही है। हो सकता है कि इसके जरिए उसे राहुल गांधी की 'री-लॉन्चिंग' का भी बढ़िया प्लेटफॉर्म दिखाई दे रहा हो। लेकिन, हरियाणा कांग्रेस के ज्यादातर बड़े नेता पार्टी के प्रस्ताव से सहमत नहीं नजर आ रहे हैं।

किसान आंदोलन में सामने से आने में हरियाणा के कांग्रेसियों को परहेज!

किसान आंदोलन में सामने से आने में हरियाणा के कांग्रेसियों को परहेज!

जानकारी के मुताबिक हरियाणा के कई सारे कांग्रेसी नेता नहीं चाहते है कि पार्टी किसानों के आंदोलन में आगे सक्रिय तौर पर भाग ले, जिससे भाजपा को इसे राजनीतिक शक्ल देकर इसका फायदा उठाने का मौका मिल जाए। हरियाणा में कांग्रेसी नेताओं का माथा इसलिए ठनक रहा है कि पार्टी ने अपने सभी प्रदेश इकाइयों से कहा है कि किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए इस महीने तीन चरणों में विरोध प्रदर्शनों की तैयारी करे। गौरतलब है कि हरियाणा के कांग्रेसियों ने इस तरह की चिंता ऐसे वक्त में जताई है, जब इसी हफ्ते राहुल गांधी किसानों के समर्थन में ही राजस्थान में दो रैलियां करने की योजना बना रहे हैं। लेकिन, अपने तजुर्बे के आधार पर हरियाणा के नेता पार्टी को इस तरह के कदम उठाने से पहले सोच लेने की सलाह दे रहे हैं।

बीजेपी की ओर से राजनीतिक रंग दिए जाने का डर

बीजेपी की ओर से राजनीतिक रंग दिए जाने का डर

जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के फैसले पर असहमति जताने वालों में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी शामिल हैं। कहा जा रहा है कि पिछले शुक्रवार को दिल्ली में इसको लेकर पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने एक बैठक बुलाई थी, जिसमें पार्टी के प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल भी मौजूद थे। वहीं पर हुड्डा ने अपनी भावनाओं को उनके सामने रख दिया। कहा जा रहा है कि हरियाणा विधानसभा में विरोधी दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि 'किसानों को ही आंदोलन की अगुवाई करने दीजिए।' बताया जा रहा है कि इस बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस तो 'पहले से इसका(किसान आंदोलन का) समर्थन' कर ही रही है। मीडिया सूत्रों का कहना है कि हुड्डा का कहना था कि वह सैद्धांतिक तौर पर पार्टी के प्रस्ताव के समर्थन में हैं, लेकिन उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि बीजेपी इसे राजनीतिक रंग दे सकती है।

मोदी सरकार को घेरना चाहती है कांग्रेस

मोदी सरकार को घेरना चाहती है कांग्रेस

हुड्डा तो हरियाणा कांग्रेस के सबसे प्रभावशाली नेता हो गए, पार्टी को इस प्रस्ताव के खिलाफ आगाह करने वालों में कई और वरिष्ठ नेताओं का नाम भी सामने आ रहा है। इनमें रघुवीर सिंह कादियान और जय प्रकाश भी शामिल हैं। इनका कहना है कि किसान संगठनों ने भी अबतक नेताओं को अपने मंचों का इस्तेमाल नहीं करने दिया है। वहीं कुलदीप बिश्नोई ने चिंता जताई कि कांग्रेस का मौजूदा प्रस्ताव 'बैकफायर ना कर जाए।' असल में कुमारी शैलजा ने नेताओं को इसलिए बुलाया था कि वह किसानों के समर्थन में प्रदेश स्तर पर किसान सम्मेलन और जिला मुख्यालयों और ब्लॉक स्तर पदयात्राओं की तैयारी करें। इसके जरिए पार्टी नरेंद्र मोदी सरकार को घेरना चाहती है। हालांकि, पार्टी की पूर्व विधायक किरन चौधरी पूरी तरह से पार्टी के प्रस्ताव के समर्थन में नजर आईं।

क्या हो रही है राहुल की री-लॉन्चिंग की तैयारी?

क्या हो रही है राहुल की री-लॉन्चिंग की तैयारी?

दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस ने किसानों के समर्थन में सक्रिय प्रदर्शनों का जो मंसूबा तैयार किया है, उसे राहुल गांधी की छवि को दोबारा से नया शक्ल-ओ-सूरत देने के प्रयासों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि, दिल्ली समेत कुछ राज्यों ने खुद से उनकी कांग्रेस अध्यक्ष पद पर वापसी के लिए प्रस्ताव पारित करना शुरू किया है। वैसे फिलहाल यह बड़ा सवाल है कि क्या कांग्रेस नेतृत्व किसान आंदोलन को राहुल गांधी की 'री-लॉन्चिंग' के मौके के रूप में इस्तेमाल करना चाहता है या वो उन्हें कुछ और तैयारी करने के लिए वक्त देना चाहती है।

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English summary
Most of the Congress leaders of Haryana are against the active participation of the party in the farmers protest, they feel that the BJP will benefit from it
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