क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

नज़रिया: 'फायरी' जिग्नेश मेवाणी की पॉलिटिक्स क्या है?

क्या वाकई दलित राजनीति के नए रूप हैं जिग्नेश मेवाणी. पढ़िए समाजशास्त्री बद्री नारायण का नज़रिया

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
9 जनवरी को दिल्ली में कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी
Getty Images
9 जनवरी को दिल्ली में कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी

जिग्नेश मेवाणी नए दौर के नए दलित नेता के रूप में उभरे हैं. जिग्नेश प्रखर, प्रभावी और आक्रामक दलित नेतृत्व के प्रतीक के रूप में उभरते दिखते हैं.

गुजरात में दलितों को उनके पारम्परिक कार्य करने के लिए बाध्य करने और उसके कारण उनका दमन करने की सवर्ण जातियों की कोशिशों की प्रतिक्रिया में जिग्नेश 'हीरो' की तरह सामने आए हैं. कांग्रेस के समर्थन से वे गुजरात विधानसभा चुनाव में अभी हाल ही में विजयी हुए हैं.

जिग्नेश मेवाणी की राजनीति अगर व्यापक अर्थों में कहें तो दलितों की बेहतरी के लिए देश में चल रही अनेक लड़ाइयों और संघर्षों का एक अहम हिस्सा है. लेकिन सवाल ये है कि इस राजनीति का फॉर्म क्या है? इस राजनीति का स्वरूप क्या है?

जिग्नेश
AFP
जिग्नेश

जिग्नेश की राजनीति का वर्तमान, भविष्य क्या है?

अगर गहराई से जिग्नेश की देहभाषा, राजनीतिक संवाद और राजनीतिक प्रतिबद्धताओं की प्रक्रियाओं की व्याख्या करें तो इन सवालों का हमें जवाब मिल सकता है.

जिग्नेश में दलित राजनीति के नए रूप की बात तो बहुत हो रही है लेकिन मुझे इसमें कोई नयापन नही दिखता. मुझे ऐसा लगता है कि जिग्नेश की राजनीति 1970-80 के दशक में महाराष्ट्र में प्रचलित दलित राजनीति के ही एक रुप का नवीन संस्करण है.

महाराष्ट्र में उस दौर में उभरे दलित पैंथर आंदोलन की छवि आप जिग्नेश की राजनीति में भी पाएंगे. उस दौर में दलित चेतना और मार्क्सवादी चेतना के मिलन से एक दलित राजनीति की धारा महाराष्ट्र में उभरी थी.

जिग्नेश में भी दलित चेतना और मार्क्सवादी चेतना का मिलन देखा जा सकता है.

जिग्नेश मेवाणी
AFP
जिग्नेश मेवाणी

कमाल कर पाएगी जिग्नेश की आक्रामकता?

जिग्नेश में जो आक्रमकता है, वह मराठी दलित आंदोलन की आक्रामकता विशेषतः दलित पैंथर आंदोलन की आक्रामक भंगिमा से मेल खाती है.

उसी तरह की भाषा, वैसे ही सवाल जिग्नेश की राजनीति में दिखते हैं, दलितों के लिए सम्मान, सम्मानजनक पेशा और दलितों के लिए ज़मीन का सवाल जिग्नेश की राजनीति का भी केंद्र बिन्दु है.

उनकी देहभाषा का भी अगर आप बारीकी से अवलोकन करें तो वह भी उन दलित पैन्थर के नेताओं की तरह 'फायरी' दिखाई पड़ते है. एक आक्रामकता उनके व्यक्तित्व और उनकी भाषा में भी दिखाई पड़ती है.

दलित राजनीति की यह धारा जिसकी परम्परा महाराष्ट्र से शुरू होती है. कांशीराम और मायावती के बहुजन राजनीति की धारा से अलग है. कांशीराम ने अपनी बहुजन राजनीति में स्थानीयता को महत्व दिया. उन्होंने एक ऐसी आक्रामकता अपनी भाषा, भाव और भंगिमा में विकसित किया, जिसमें एक सधा हुआ दूरदर्शी लक्ष्य साफ-साफ दिख रहा था.

जिग्नेश मेवाणी
Getty Images
जिग्नेश मेवाणी

जिग्नेश में 'तुरत-फुरत' का भाव

मायावती की भाषा और भंगिमा भी आक्रामकता के साथ धैर्य, दूरदर्शिता से भरी हुई दिखती है. वहीं जिग्नेश में 'तुरत-फुरत' का भाव दिखाई पड़ता है.

कांशीराम और मायावती की राजनीति समाहन, सर्व समाज बनाने की अम्बेडकर द्वारा सुझाई गई 'सर्व समाज' बनाने के लक्ष्य पर टिकी हुई थी. जो उनके भविष्य की राजनीति की दिशा तय करती थी.

वहीं जिग्नेश की राजनीति और राजनीतिक भाषा में कोई भविष्य की राजनीति नहीं दिखती. अगर उनका मार्क्सवाद से भी गहरा संवाद होता तो शायद उनमें 'भविष्य के समाज बनाने का लक्ष्य' भी साफ झलकता. क्योंकि, मार्क्सवाद भविष्य की राजनीति की झलक भी दिखाता है.

मायावती की राजनीति आर्थिक और सामाजिक सवालों के साथ दलित स्मृति, संस्कृति के सवालों को भी जोड़ती है. जो उत्तर भारतीय समाज में दलित प्रतिबद्धता के लिए अनुकूल साबित हुआ है. जबकि जिग्नेश जैसी राजनीतिक भाषा जिसकी असफलता महाराष्ट्र और महाराष्ट्र से बाहर भी हम देख चुके हैं.

ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि जिग्नेश की राजनीतिक भाषा को दलित समाज में भी विशेषकर मध्य और उत्तर भारत के दलित समाज में व्यापक स्वीकृति मिल पाएगी.

दलित नेता जिग्नेश मेवाणी में ख़ास क्या है?

क्या कोविंद के आने से दलितों का भला होगा?

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Approach What is the Politics of Fairy Jignesh Mevani
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X