सबका साथ-सबका विकास के मंत्र के साथ लोगों के जीवन को आसान बनाने का काम कर रही है सरकारः पीएम मोदी
पीएम ने कहा कि उगादी का अर्थ होता है एक युग की शुरुआत। उगादी मानव जीवन की शुरुआत का पर्व है, सृष्टि की रचना की शुरुआत का पर्व है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आंध्र प्रदेश के श्रीसेलम में नव वर्ष पर होने वाले उगादी कार्यक्रम में आए लोगों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि सबका साथ-सबका विकास के मंत्र के साथ हमारी सरकार लोगों के जीवन को आसान बनाने का काम कर रही है। पीएम ने कहा कि समाज को बांटने की जो कोशिशें हो रही हैं, उनके प्रति भी लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। राष्ट्र निर्माण के लिए केंद्र सरकार अपनी तरफ से हरसंभव कार्य कर रही है लेकिन इस प्रयासों में आप सभी का आशीर्वाद हमारी ऊर्जा को और बढ़ाने का काम करेगा।
'देश आज एक बहुत महत्वपूर्ण कालखंड से गुजर रहा है'
पीएम ने कहा कि उगादी का अर्थ होता है एक युग की शुरुआत। उगादी मानव जीवन की शुरुआत का पर्व है, सृष्टि की रचना की शुरुआत का पर्व है। ये नई उम्मीदों, नई आशाओं-आकांक्षाओं का पर्व है। ये प्रकृति का पर्व है, पर्यावरण का पर्व है। ये जीवन में नए आरंभ का पर्व है। पीएम मोदी ने कहा कि महर्षि वेद व्यास ने श्रीशैलम की महत्ता बताते हुए कहा था कि यहां दर्शन करने वाले लोगों को हर तरह के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। नरेंद्र मोदी ने बताया कि देश आज एक बहुत महत्वपूर्ण कालखंड से गुजर रहा है। सिर्फ जातिवाद ही नहीं, कालेधन और भ्रष्टाचार जैसी जितनी भी बुराइयां देश को नुकसान पहुंचा रही हैं, उन्हें दूर करने में, उनके प्रति लोगों को जागृत करने में आपका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।
'हमारी सरकार ने 'आयुष्मान भारत' योजना का ऐलान किया है'
वहीं प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी हाल ही में हमारी सरकार ने 'आयुष्मान भारत' योजना का ऐलान किया है। ये योजना देश के 45 से 50 करोड़ लोगों के जीवन की बड़ी चिंता को खत्म करने का काम करेगी। मुद्रा योजना के तहत सरकार ने बिना बैंक गारंटी 11 करोड़ से ज्यादा Loan स्वीकृत किए हैं। इसके माध्यम से स्वरोजगार के लिए 5 लाख करोड़ रुपए नौजवानों को दिए गए हैं।
उगादी का क्या है महत्व?
उगादी को नव वर्ष की के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। आंध्रप्रदेश में यह पर्व ब्रह्माजी को समर्पित किया जाता है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्माजी ने इसी दिन श्रृष्टि की रचना की थी। यह भी माना जाता है कि भगवान विष्णु ने मतस्य अवतार भी इसी दिन लिया था। इस पर्व की तैयारी में लोग अपने घरों की दीपावली जैसी साफ-सफाई करते हैं। मुख्य द्वार को आम के पत्तों से सजाया जाता है। एक खास तरह का पेय पच्चड़ी बनाया जाता है। इसे इमली, आम, नारियल, नीम के फूल और गुड़ से मटके में बनाया जाता है।
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