ऑडिटर्स ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- आम्रपाली ने खरीदारों के पैसे का किया गबन
नई दिल्ली। रियल एस्टेट ग्रुप आम्रपाली की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए ऑडिटरों (खातों में आपराधिक हेराफेरी की जांच करने वाले ऑडिटर) ने अदालत को बताया है कि आम्रपाली कंपनी के दस्तावेजों की जांच से पता चलता है कि समूह की एक कंपनी द्वारा निवेशकों की राशि के साथ हेराफेरी की गई है।
ऑडिटरों ने बताया है कि समूह की एक कंपनी ने गौरीसूत इन्फ्रास्ट्रक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड को 125 करोड़ रुपये से अधिक का पैसा हेराफेरी कर पहुंचाया है। ऑडिटरों को निवेशकों के 2765 करोड़ की राशि के हेरफेर के मामले में समूह की सभी 46 कंपनियों के फोरेंसिक ऑडिट के जरिए इस राशि को ट्रैक करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
ऑडिटरों ने जस्टिस अरुण मिश्रा और यूयू ललित की सदस्यता वाली खंडपीठ को बताया कि उनकी प्रारंभिक जांच से पता चला कि पैसा कम से कम 20 कंपनियों के नाम पर ट्रांसफर किया गया। उन्होंने कहा कि लगता है कि कंपनी ने निवेशकों के पैसे का कुछ हिस्सा अपने प्रोजेक्ट्स में लगाया और बाकी हिस्सा इंटरनल ऑडिटर्स के साथ मिलकर गबन किया गया।
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ऑडिटरों ने कहा कि 75 हजार के फर्म गौरीसूत इन्फ्रास्ट्रक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड को 125 करोड़ दिए गए। ये कंपनी समूह के ऑडिटर के रिश्तेदार द्वारा संचालित की जाती है। इसका मतलब ये है कि समूह के ऑडिटरों ने भी अपना काम ठीक से नहीं किया। जिसपर बेंच ने कहा कि आम्रपाली समूह द्वारा इधर-उधर किए गए धन को निकालना होगा। इसके लिए यह फॉरेंसिक ऑडिट है और इन सबके पीछे जिम्मेदार लोगों को पकड़ा जाए और जरूरी हो तो उन्हें जेल भेजा जाए।