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Amarnath Yatra: तबाही वाले दिन वहां क्या हुआ था ? इनसाइड स्टोरी

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श्रीनगर, 12 जुलाई: अमरनाथ यात्रा के दौरान इस साल आई प्राकृतिक आपदा में लापता हुए कई लोगों के बारे में अभी तक कुछ भी जानकारी नहीं मिल पाई है। समय के साथ उनकी वापसी की संभावना भी खत्म होती जा रही है। इस बीच उस भयानक तबाही में जिंदा बचे कुछ लोगों ने बताया है कि असल में उस शाम वहां हुआ क्या था कि तीर्थ यात्रियों से भरे टेंट बाढ़ और मलबे के साथ बहते चले गए। कुछ चश्मदीदों के मुताबिक टेंट जिस जगह पर खड़े किए गए थे, वे ऐसे आपदाओं से सुरक्षित नहीं थे। मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि वहां एक घंटे के अंदर ही सीमित क्षेत्र में इतनी बारिश हो गई कि तबाही मच गई।

अमरानाथ बेस कैंप में उस शाम को कैसा था मंजर ?

अमरानाथ बेस कैंप में उस शाम को कैसा था मंजर ?

पवित्र अमरनाथ यात्रा के दौरान बादल फटने की घटना की वजह से पिछले हफ्ते पवित्र गुफा से पहले बेस कैंप में जो तबाही मची थी, उसकी जानकारी हमें अभी तक इधर-उधर से ही मिल रही थी। लेकिन, अब कुछ चश्मदीदों ने वहां का जो हाल बयां किया है, उससे स्थिति ज्यादा साफ हो सकती है। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ललित खजुरिया और सुरिंदर शर्मा नाम के दो पत्रकार भी भारी बारिश के दौरान वहीं पर एक टेंट के अंदर चाय पी रहे थे। जब बादल फटने की वजह से भूस्खलन के साथ आई बाढ़ ने कैंपों को रौंदना शुरू किया, तो उन दोनों ने किसी तरह से समय रहते भागकर अपनी जान बचाई। लेकिन, 16 लोग उतने सौभाग्यशाली नहीं थे। इनकी संख्या ज्यादा भी हो सकती है, क्योंकि 40 अभी तक लापता हैं।

टेंट सुरक्षित जगह पर नहीं लगाए गए थे- चश्मदीद

टेंट सुरक्षित जगह पर नहीं लगाए गए थे- चश्मदीद

खजुरिया ने कहा है कि तब बहुत ही ज्यादा बारिश हो रही थी और वे लोग एक नाले के पास में ही मौजूद एक टेंट में थे। उनके मुताबिक इसी वजह से हालात इतने बुरे हुए। उन्होंने बताया 'किसी नाले के बगल में टेंट खड़ी करना पूरी तरह से अनाड़ी वाला फैसला था और प्रशासन की ओर से गंभीरता का पूरी तरह से अभाव था......बड़े-बड़े बोल्डर, कीचड़ और बड़ी मात्रा में पानी....पलक झपकते ही तंबुओं को बहा ले गए।' शर्मा के मुताबिक यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है, सामान्य आदमी भी जानता है कि नदियों और नालों के पास में घर बनाना, चाहे वह सूखे क्यों ना हों, खतरनाक है। 'प्रशासन को तंबुओं के लिए कोई सुरक्षित जगह के बारे में सोचना चाहिए था।'

घबराए हुए तीर्थयात्रियों से कहा गया पंजतरणी जाएं- चश्मदीद

घबराए हुए तीर्थयात्रियों से कहा गया पंजतरणी जाएं- चश्मदीद

दोनों पत्रकारों ने इस कुप्रबंधन के लिए अधिकारियों को दोष दिया है। उनके मुताबिक '.....तीर्थयात्री घबराए हुए थे.....सात बजे शाम के करीब ऐलान करके हमसे कहा गया कि पंजतरणी को ओर निकल जाएं....गुफा से 6 किलो मीटर दूर। करीब 10,000 से 15,000 तीर्थयात्री थे, जिन्हें नहीं पता था कि पंजतरणी कहां है और सभी लोग बारिश के बीच अपने मोबाइल-फोन की लाइट में एक पतले और संकरे रास्ते पर लौटते जा रहे थे....। भगदड़ से एक और तबाही मच सकती थी। हमने कोई भी आपदा प्रबंधन नहीं देखा। पूरा रेस्क्यू ऑपरेशन अगले दिन सुबह शुरू हुआ।'

फारूक अब्दुल्ला ने की है जांच की मांग

फारूक अब्दुल्ला ने की है जांच की मांग

वहीं जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने इस मामले में जांच की मांग की है कि टेंट और कम्युनिटी किचन 'अत्यधिक असुरक्षित स्थान' पर क्यों लगाए गए। उन्होंने कहा कि पंजतरणी इसके लिए बेहर स्थान था। उन्होंने कहा है कि 'इसकी जांच की आवश्यकता है, हो सकता है कि यह मानवीय भूल हो...' जबकि, लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा की ओर से कहा जा रहा है कि इस साल प्रशासन और श्री अमरनाथ श्राईन बोर्ड की ओर से बेहतर प्रबंध किए गए थे। हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक बोर्ड के प्रमुख नितिश्वर कुमार ने इसके बारे में भेजे गए मैसेज और कॉल का कोई जवाब नहीं दिया है।

'बीते शुक्रवार को जो हुआ, वैसा पहले नहीं हुआ था'

'बीते शुक्रवार को जो हुआ, वैसा पहले नहीं हुआ था'

इससे पहले बोर्ड की ओर से दावा किया गया था कि यात्रा शुरू होने से पहले तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए तकनीकी सहायता ली गई थी और एक तटबंध भी बनाया गया था। एलजी के प्रवक्ता ने कहा था कि टेंट तटबंध के बाहर लगाए गए थे। लेकिन, पानी का दबाव, बोल्डर और कीचड़ अनुमान से काफी ज्यादा था और उन्हें बहा ले गया। इसके मुताबिक पिछली बाढ़ों को भी ध्यान में रखा गया था, लेकिन बीते शुक्रवार को जो हुआ, वैसा पहले कभी नहीं हुआ था।

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अचानक ही हो गई बहुत ज्यादा बारिश- मौसम विज्ञानी

अचानक ही हो गई बहुत ज्यादा बारिश- मौसम विज्ञानी

मौसम विज्ञानी सोनम लोटस के मुताबिक उस शाम को पवित्र गुफा के इलाके में शाम साढ़े 5 से साढ़े 6 के बीच 25 मिली मीटर बारिश रिकॉर्ड की गई थी। 'पहाड़ी इलाके में यह बहुत ही ज्यादा बारिश है और यह चट्टान और कीचड़ लाती है।' उनके मुताबिक अचानक ही सीमित क्षेत्र में बहुत भारी बारिश हो गई। उनका कहना है, 'दुनिया में कहीं भी हमारे पास मौसम की भविष्यवाणी करने वाले फुलप्रूफ उपकरण नहीं हैं। मौसम की प्रणाली तेजी से और किसी भी वक्त बदल जाती है।'

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English summary
During the Amarnath Yatra, the eyewitnesses have held the administration and management responsible about what happened that evening at the disaster site
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