गायत्री प्रजापति: साइकिल चलाते-चलाते मुलायम के खास बनने से जेल जाने तक की कहानी
लखनऊ। गैंगरेप मामले में जेल में बंद उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजाति को आखिरकार हाईकोर्ट से राहत मिल गई। गायत्री प्रसाद प्रजापति तीन साल से गैंगरेप मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। हाईकोर्ट ने गायत्री प्रजापति को तीन महीने की अंतरिम जमानत दी है। प्रजापति ने कोविड-19 के संक्रमण के खतरे का हवाला देते हुए कोर्ट से जमानत मांगी थी। न्यायिक हिरासत में ही प्रजापति का केजीएमयू में इलाज चल रहा है।
कभी साइकिल से घूमा करते थे प्रजापति
गायत्री प्रजापति की तीन साल बाद जेल से रिहाई होने वाली है लेकिन कभी इन्हीं गायत्री की यूपी सरकार में तूती बोलती थी। मुलायम सिंह का हाथ गायत्री प्रजापति के ऊपर था। प्रदेश के महत्वपूर्ण और कमाऊ माने जाने वाले खनन विभाग के मंत्री रहे। हजारों करोड़ की संपत्ति बनाने का आरोप लगा जिसकी जांच चल रही है। इसी दौरान गैंगरेप का आरोप लगा और देखते ही देखते सारा रसूख जाता रहा। लेकिन गायत्री प्रजापति की शुरुआत ऐसी तड़क-भड़क भरी नहीं थी।
अमेठी के एक सामान्य परिवार में जन्में गायत्री प्रजापति की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। पिता खानदानी पेशे से जुड़े थे। गायत्री बड़े हुए थे तो छोटे-मोटे ठेके लेने लगे साथ में राजनीति का चस्का भी लगा। अमेठी के स्थानीय बताते हैं कि शुरुआत में गायत्री प्रसाद प्रजापति साइकिल से घूमा करते थे। गांव-गांव जाकर जनसंपर्क किया करते थे। पहला चुनाव 1993 में लड़ा। ये रामलहर के बाद का दौर था जिसमें गायत्री की जमानत जब्त हो गई।
मुलायम के खासमखास बने गायत्री प्रसाद
गायत्री की जमानत जब्त हुई लेकिन जज्बा बना रहा। चुनाव हारे तो क्या हुआ राजनीति सीख गए थे। समझ गए कि सिर्फ क्षेत्र में रहकर चुनाव नहीं जीता जा सकता। इसके लिए पार्टी का टिकट चाहिए और टिकट के लिए लखनऊ के सर्कल में होना जरूरी है। पहुंच गए गायत्री लखनऊ। पिछड़ो की राजनीति करते थे तो इसी दौरान मुलायम सिंह से भेंट हुई। गायत्री समझ गए थे कि मुलायम सिंह खुश रहे तो सपा में उनकी बनी रहेगी। लिहाजा कुछ भी हो मुलायम का जन्मदिन मनाना नहीं भूलते। मुलायम की नजर में भी प्रजापति भा गए। इसका असर भी दिखा जब 1996 में मुलायम सिंह यादव ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को अमेठी से टिकट दिया।
मुलायम का साथ तो मिला लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। गायत्री फिर चुनाव हार गए लेकिन ये हार पिछली जैसी नहीं थी। तीसरे नंबर पर थे गायत्री। चुनाव भले हारे लेकिन मुलायम की कृपा बनी रही। इस बीच गायत्री शायद समझ गए थे कि चुनाव जीतना तो होता रहेगा लेकिन पैसा कमाना भी जरूरी है। सो आ जमे लखनऊ और प्रापर्टी डीलिंग के काम में जुट गए। राजनीतिक वरदहस्त तो था ही अधिकारियों का भी साथ मिला।
बीपीएल धारक से अरबपति बनने की कहानी
इस बीच 2002 के चुनाव आए तो एक बार फिर गायत्री पर मुलायम की कृपा बरसी। पार्टी का टिकट ही नहीं मिला मुलायम खुद प्रचार करने भी गए लेकिन गायत्री को इस बार भी विधायक नहीं बनना था। गायत्री हार गए चुनाव जीता अमेठी राजघराने के संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह ने। गायत्री तीसरे नंबर पर रहे और लगातार तीसरी हार थी। इस चुनाव में एक खास बात और भी है। दो तीन बार हारने के बाद स्थानीय स्तर पर विरोध भी होने लगा। 2007 के चुनाव में टिकट कट गया। फिर भी पार्टी में लगे रहे कि इस बार कटा तो क्या हुआ अगली बार फिर ले लेना है।
आज जिन गायत्री प्रजापति के पास हजार करोड़ की संपत्ति होने की बात की जाती है वे 2002 में बीपीएल कार्ड धारक यानि गरीबी रेखा से नीचे हुआ करते थे। 2002 के चुनाव में उन्होंने अपनी संपत्ति 92 हजार रुपये दिखाई थी। लेकिन यही गायत्री प्रसाद प्रजापति 2012 के चुनाव के पहले पार्टी के खाते में 25 लाख रुपये दान देते हैं। 2012 में फिर से पार्टी का टिकट मिलता है। इस बार जनता का साथ मिला और चौथी बार में चुनाव जीत गए। इस साल उन्होंने अपनी संपत्ति 1.83 करोड़ रुपये बताई।
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चौथी बार में जीते चुनाव और बन गए मंत्री
2012 में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने। 2013 में गायत्री प्रसाद को सिंचाई मंत्री बनाया गया। कभी मुलायम का जन्मदिन धूमधाम से मनाने वाले गायत्री प्रजापति अब परिवार के सबसे करीबी थे। उन्हें प्रदेश के कमाऊ खनन विभाग का स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया गया। इसी में राज्यमंत्री बने और फिर कैबिनेट मंत्री। ये सब हुआ महज एक साल में। कहते हैं गायत्री के इस ट्रिपल प्रमोशन के पीछे अखिलेश पर मुलायम का दबाव था।
लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार अनिल सिंह बताते हैं कि गायत्री प्रसाद मुलायम के साथ ही शिवपाल और अखिलेश के भी करीबी थे। खनन मंत्री रहते हुए गायत्री प्रसाद पर आरोप लगा कि उन्होंने हजार करोड़ की संपत्ति इकठ्ठा कर ली है। इसी बीच हाईकोर्ट ने खनन विभाग में अनियमितता को लेकर सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। अब बदनामी अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार की होने लगी। लिहाजा अखिलेश ने 2016 में गायत्री को बर्खास्त कर दिया। गायत्री के बर्खास्तगी के बाद जमकर सियासी ड्रामा हुआ। आखिर में अखिलेश को नेताजी के दुलारे को फिर से मंत्रिमंडल में जगह देनी पड़ी। इस बार गायत्री को परिवहन विभाग मिला।
जब गायत्री के लिए मुलायम ने किया IPS को फोन
मुलायम की गायत्री से करीबी कितनी थी ये साल 2015 के एक चर्चित मामले से पता चलता है। यूपी कैडर के आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने आरोप लगाया कि मुलायम सिंह यादव ने उन्हें फोन कर धमकी दी है। अमिताभ ठाकुर ने इसको लेकर मुलायम सिंह के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई। बताते हैं कि आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की पत्नी और सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। इसी के चलते मुलायम ने अमिताभ ठाकुर को फोन किया था। बाद में मुलायम सिंह यादव ने फोन किए जाने की बात को मानी लेकिन कहा कि उन्होंने फोन धमकाने के लिए नहीं बस बड़े होने के नाते नसीहत देने के इरादे से किया था।
गायत्री के खिलाफ अवैध संपत्ति का आरोप लगता रहा। आरोप है कि गायत्री ने हजार करोड़ की संपत्ति बनाई है जिसकी जांच ईडी कर रही है। इसी मामले में जेल में बंद गायत्री से ईडी ने पूछताछ भी की थी।
गायत्री पर मंत्री रहते लगा गैंगरेप का आरोप
गायत्री प्रजापति के खिलाफ असली मुश्किल 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले शुरू हुई जब सुप्रीम कोर्ट ने गैंगरेप के मामले में उनके खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया। आरोप था कि गायत्री ने पीड़िता को लखनऊ स्थित गौतमपल्ली आवास पर फ्लैट देने के बहाने बुलाया जहां नशीला पदार्थ देकर मंत्री और उनके सहयोगी ने रेप किया। इसका वीडियो बना लिया और उसे जारी करने की धमकी देते हुए उसे और उसकी नाबालिग बेटी को हवस का शिकार बनाते रहे। मामले में महिला की सुनवाई नहीं हुई तो वह सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची जहां सर्वोच्च न्यायालय ने केस दर्ज करने को कहा। 3 जून, 2017 को गायत्री के अलावा छह अन्य पर चार्जशीट दाखिल की गई। 18 जुलाई, 2017 को लखनऊ की पॉक्सो स्पेशल कोर्ट ने सातों आरोपियों पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया था।
जेल में जाने के बावजूद ज्यादातर समय अस्पताल में
2017 का चुनाव हो रहा था। चौतरफा दबाव के बावजूद एक बार फिर सपा ने अमेठी से गायत्री को फिर टिकट दिया। टिकट मिला तो विपक्षी भाजपा घेरने लगी। दबाव दिखने भी लगा जब अखिलेश यादव अमेठी पहुंचे तो गायत्री प्रसाद प्रत्याशी होने के बावजूद मंच पर नहीं नजर आए। 2017 के चुनाव में सपा हार गई। भाजपा से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने।
सरकार बदली तो किस्मत ने फिर मुंह फेर लिया। 17 मार्च 2017 को गायत्री प्रसाद रेप के मामले में गिरफ्तार हो गए। तब से गायत्री जेल में ही हैं। हालांकि सरकार बदलने के बाद भी गायत्री का रसूख वैसा ही नजर आता रहा। गायत्री का ज्यादातर वक्त अस्पताल में ही बीता। इसे लेकर कोर्ट ने बार-बार सवाल किया कि आखिर गायत्री को ऐसी क्या बीमारी है जिसका इलाज जेल में नहीं हो सकता। आज जब हाईकोर्ट का फैसला उनकी जमानत के हक में आया है तो भी गायत्री प्रजापति लखनऊ के केजीएमयू में इलाज करा रहे हैं।
पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रजापति को HC से मिली अंतरिम जमानत, पॉक्सो एक्ट के तहत जेल में थे बंद