Gaganyaan: अंतरिक्ष में भारत का पहला मानव मिशन, जानिए कितना होगा खर्च, क्या होंगे इसके फायदे?
नई दिल्ली, 15 जुलाई: अमेरिका, रूस, जापान, चीन जैसे देश अंतरिक्ष में अपना दबदबा कायम कर चुके हैं। साथ ही उनके कई मानव मिशन कामयाब भी रहे। इस मामले में भारत थोड़ा पीछे रह गया, लेकिन जल्द ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इतिहास रचने जा रहा। बुधवार को इसरो ने गगनयान के विकास इंजन की लंबी अवधि का महत्वपूर्ण तीसरा हॉट टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा कर लिया।
क्या है पूरा मिशन?
इसरो ने अब तक सैकड़ों सैटेलाइट्स को लॉन्च किया है, लेकिन कभी कोई यान मानव के साथ अंतरिक्ष में नहीं भेजा। अब गगनयान के जरिए 4 अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजने की तैयारी चल रही है। साथ ही चारों देश-विदेश में ट्रेनिंग भी ले रहे। सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो गगनयान अगले साल लॉन्च हो जाएगा। इसमें सवार होकर चारों एस्ट्रोनॉट्स सात दिनों तक पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे। फिर वो वापस धरती पर लौट आएंगे। इस दौरान 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारियों को हासिल किया जाएगा, ताकि भविष्य के मिशन के लिए दूसरे यानों को तैयार किया जा सके।
Recommended Video
कितना पैसा होगा खर्च?
इससे पहले चंद्रयान नाम का मिशन इसरो ने लॉन्च किया था। जिसके पहले फेस ने चंद्रमा की सतह से जुड़ी कई अहम जानकारियां भेजीं। इसके बाद चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया, लेकिन उसकी सफल लैंडिंग नहीं हो पाई। फिर इसरो ने गगनयान पर पूरा फोकस किया। इसे पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट भी कहा जाता है। साथ ही इसके लिए फंड की कमी ना हो, सरकार इसका भी पूरा ध्यान रख रही है। एक अनुमान के मुताबिक गगनयान प्रोजेक्ट पर 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आएगा।
इसरो ने दिया अपडेट
इसरो ने बताया कि गगनयान के विकास इंजन को तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में स्थित अंतरिक्ष एजेंसी के प्रोपल्सन कॉम्प्लेक्स में 240 सेकंड तक चलाया गया। इस दौरान इसने लक्ष्य को प्राप्त किया और यह अनुमान के बहुत ही करीब रहा। अब इसके अन्य फेस की टेस्टिंग की जा रही है। वहीं इसरो ने जब सफल ट्रायल की जानकारी ट्वीट के जरिए दी, तो उद्योगपति एलन मस्क ने भी बधाई दी। उनकी कंपनी स्पेस एक्स पहले से ही अंतरिक्ष के कई प्रोजेक्ट पर काम कर रही है।
इसरो का साउंडिंग रॉकेट RH-560 लॉन्च, हवाओं के बदलाव से जुड़े जानकारी देकर स्टडी में करेगा मदद