इजराइल दूतावास के पास विस्फोट मामले में सभी 4 छात्रों को मिली जमानत
नई दिल्ली, 16 जुलाई। इजाइल दूतावास पर विस्फोट के मामले में दिल्ली की अदालत ने चार लद्दाख के छात्रों को जमानत दे दी है। इन चारो छात्रों को जनवरी माह में इजराइल दूतावास के पास हुए विस्फोट के बाद गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने इन्हें जमानत देते समय कहा कि इन छात्रों का इस विस्फोट में या फिर किसी आतंकी संगठन से जुड़े होने का कोई तार नहीं मिला है ना ही ये लोग समाज के लिए किसी भी तरह का खतरा हैं। बता दें कि इन सभी छात्रों को कारगिल से गिरफ्तार करके दिल्ली लाया गया था।
चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट डॉक्टर पंकज शर्मा ने नजीर हुसैन, जुल्फिकार अली वजीर, एजाज हुसैन, मुजम्मिल हुसैन को 50 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दे दी है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने जो रिपोर्ट दायर की है उसमे इनके अपराध से जुड़े होने के कोई सबूत नहीं है। पुलिस का आरोप था कि यह पूरा मामला इस्लामिक संगठन के षड़यंत्र का है, ये चारो आरोपी दिल्ली और देश के अलग-अलग हिस्सों में हमले करने वाले थे। लेकिन छात्रों के वकील ने कहा कि वजीर, एजाज और मुजम्मिल ग्रेजुएट हैं और दिल्ली में ही रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। जबकि नजीर पिछले डेढ़ साल से कारगिल में अपने घर में है। इन लोगों ने सोशल मीडिया पर जो पोस्ट शेय की है उसमे किसी भी तरह का आपराधिक तत्व नहीं है।
मामले में पुलिस ने जो रिपोर्ट दायर की है उसमे कहा गया है कि आरोपी ट्विटर पर इजराइल, अमेरिका और पश्चिम देशों के खिलाफ काफी आपत्तिजनक पोस्ट शेयर किया करते थे। इन लोगों के ट्विटर अकाउंट को वजीर भी फॉलो करता था। कोर्ट ने कहा कि पुलिस की जांच रिपोर्ट में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि इन लोगों ने भारत के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक पोस्ट किया हो। जांच अधिकारी ने इन लोगों के सभी फोन, लैपटॉप और पेन ड्राइव को अपने कब्जे में लेकर उसकी जांच की, लेकिन इन लोगों के पास से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला लिहाजा इन्हें रिहा किया जाता है।
इससे पहले गुरुवार को मणिपुर में पिछले कुछ दिनों की तुलना में सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। प्रदेश में अभी तक कोरोना के कुल 80521 मामले सामने आ चुके हैं जबकि अकेले गुरुवार को 8210 नए मामले सामने आए थे। गुरुवार को मणिपुर में कोरोना से 17 लोगों की मौत हो गई। गौर करने वाली बात है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की आपातकालीन कमेटी ने गुरुवार को कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर अलर्ट जारी किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यह वेरिएंट दुनियाभर में फैल सकता है और महामारी को और भी खतरनाक बनाने की इसमे क्षमता है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपियों ने जांच के दौरान पूरी तरह से सहयोग दिया और अपने लैपटॉप आदि सभी गैजेट भी जांच अधिकारियों को दिए। जांच अधिकारियों ने इन गैजेट्स की जांच में काफी लंबा समय लिया। इन छात्रों की उम्र और मामले से जुड़े तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि छात्र समाज से अच्छे से जुड़े हैं, लिहाजा इन सभी छात्रों को रिहा किया जाता है। इसके साथ ही कोर्ट ने इन चारो छात्रों से कहा कि वह गूगल पर अपनी लोकेशन को जांच अधिकारी के साथ पिन करें, अपना पासपोर्ट जमा करें और बिना इजाजत देश से बाहर नहीं जाए।