पीएम पद की दावेदारी पर राहुल गांधी को एक और झटका, अखिलेश यादव ने दिया बड़ा बयान
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नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लगातार विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद चल रही है। इसकी शुरुआत आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने की थी और तमाम नेताओं से दिल्ली में मुलाकात की थी, हालांकि उन्होंने राहुल गांधी के नाम को बतौर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार आगे नहीं बढ़ाया था, वहीं डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने राहुल के नाम को पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर आगे बढ़ाकर सियासी सरगर्मी को बढ़ा दिया है। लेकिन स्टालिन के इस प्रस्ताव को अब एक के बाद एक तमाम क्षेत्रीय नेता नकारते नजर आ रहे हैं।
स्टालिन का मत विपक्ष का मत नहीं
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्टालिन के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सभी विपक्षी दल स्टालिन के इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं कि राहुल गांधी को देश का अगला प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्टालिन का मत तमाम विपक्षी दलों का भी मत नहीं है। देश के लोग भाजपा से नाखुश हैं, यही वजह है कि कांग्रेस को तीन राज्यों के चुनाव में सफलता मिली है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, एनसीपी नेता शरद पवार सहित तमाम नेताओँ ने कोशिश की है कि 2019 के चुनाव से पहले तमाम विपक्षी दल एकजुट हो। लेकिन अगर प्रधानमंत्री पद को लेकर किसी की राय है तो वह जरूरी नहीं है कि पूरे विपक्ष की राह हो।
टीएमसी ने भी नहीं दिया साथ
गौर करने वाली बात है कि अखिलेश यादव का बयान ऐसे समय में आया है जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्टालिन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। पार्टी के प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा था कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का चयन चुनाव के नतीजों के बाद किया जाएगा। 16 दिसंबर को तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत करुणानिधि की मूर्ति के अनावरण के मौके पर स्टालिन ने राहुल गांधी के नाम को विपक्ष की ओर से अगले प्रधानंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर आगे बढ़ाया था।
येचुरी ने भी किया खारिज
वहीं सोमवार को सीपीआई एम नेता सीताराम येचुरी ने कहा था कि लेफ्ट स्टालिन के मत से सहमत नहीं है। हालांकि स्टालिन जो भी राय रखना चाहे वह स्वतंत्र हैं। युचुरी ने कहा कि महागठबंधन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद करेगा। आपको बता दें कि चंद्रबाबू नायडू ने भी स्टालिन के प्रस्ताव से किनारा कर लिया है। ऐसे में जिस तरह से अखिलेश यादव ने अपना रुख साफ किया है उसके बाद साफ है कि अभी राहुल गांधी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी विपक्ष में मजबूत नहीं है।
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