गेहूं निर्यात पर पाबंदी के बाद आटा, मैदा, सूजी जैसे उत्पादों को भी विदेश भेजने पर सख्ती, इस दिन से लागू
नई दिल्ली, 7 जुलाई: केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर बैन लगाने के बाद इससे जुड़े दूसरे उत्पादों के निर्यात को भी सीमित कर दिया है। यानी अब धड़ल्ले से आटा, सूजी और दलिया जैसे उत्पादों का निर्यात करना आसान नहीं रहेगा। केंद्र सरकार के मुताबिक ऐसा इन भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए किया गया है। हालांकि, इन उत्पादों के निर्यात पर पूरी तरह से पाबंदी नहीं लगाई गई है, लेकिन इससे जुड़े नियमों को सख्त कर दिया गया है और ऐसा करने के लिए पूर्व अनुमति लेनी पड़ेगी। जाहिर है कि गेहूं से जुड़े ये उत्पाद अब ज्यादातर कारोबारियों के पास स्टॉक में हैं और इस तरह की सख्ती से उन्हें परेशानी हो सकती है।
गेहूं के आटे के निर्यात से पूर्व अनुमति अनिवार्य
गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद केंद्र सरकार ने गेहूं के आटे और इसके जुड़े बाकी उत्पाद, जैसे कि मैदा और सूजी, होलमील आटा और रीजल्टंट आटे के निर्यात पर काफी हद तक रोक लगा दी है। इस संबंध में डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) की ओर से 6 जुलाई को अधिसूचना जारी की गई है। इस अधिसूचना के मुताबिक अब सभी निर्यातकों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वह इन उत्पादों को विदेश भेजने से पहले गेहूं निर्यात पर बनी अंतर-मंत्रिमंडलीय समिति से पूर्व अनुमति मांगे।
गेहूं के उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए फैसला
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड ने कहा है कि गेहूं और गेहूं के आटे की वैश्विक सप्लाई बाधित होने की वजह से इस क्षेत्र में कई नए सौदागर पैदा हुए हैं, जिससे कीमतों में उतार-चढ़ाव और गुणवत्ता से संबंधित मुद्दे उभरने की आशंका बनी है। अधिसूचना में कहा गया है कि भारत से जितने भी आटे का निर्यात होगा, उसकी गुणवत्ता को बनाए रखना बहुत ही अनिवार्य है।
इन्हें मिलेगी छूट
हालांकि, गेहूं के आटे पर निर्यात की नीति अभी भी मुक्त है और इसपर किसी भी तरह से पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाई गई है। लेकिन, निर्यातकों को गेहूं निर्यात पर बनी एक अंतर-मंत्रिमंडलीय समिति से निश्चित रूप से इजाजत लेनी पड़ेगी। यही नहीं, जब से यह नीतिगत बदलाव प्रभाव में आएगा, कुछ विदेश भेजा जाने वाले आटे की खेप को निर्यात की अनुमति दी जाएगी। यह वह आटा होगा, जो अधिसूचना जारी होने से पहले जहाज पर लद गया होगा या फिर गेहूं के आटे की खेप सीमा शुल्क विभाग को सौंप दी गई होगी और उन्होंने इसे अपने सिस्टम में दर्ज कर लिया होगा।
13 मई को गेहूं के निर्यात पर लगी थी पाबंदी
इसी साल 13 मई को घरेलू आवश्यकताओं के मद्देनजर केंद्र सरकार ने गेहूं पर अपनी निर्यात नीति में बदलाव किया था और इसकी विदेश सप्लाई को 'निषिद्ध' श्रेणी में डाल दिया था। सरकार ने बाद में इसकी जानकारी देते हुए कहा भी था कि देश की खाद्य सुरक्षा के पूर्ण रूप से प्रबंध करने के साथ-साथ पड़ोसियों की जरूरतों को ध्यान में रखने के अलावा बाकी जरूरतमंद देशों की आव्यकताओं को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन दुनिया में गेहूं के बड़े उत्पादक और निर्यातक भी हैं। लेकिन युद्ध की वजह से यूक्रेन के गोदामों में गेहूं भरे पड़े हैं, लेकिन उसकी सप्लाई नहीं हो पा रही है।
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12 जुलाई से लागू होगी रोक
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड की अधिसूचना के मुताबिक गेहूं के आटे और बाकी उत्पादों के निर्यात पर ये सख्ती 12 जुलाई से लागू होगी। यानी तबतक जो खेप निर्यात की प्रक्रिया में आगे बढ़ चुके हैं, उनपर किसी तरह की रोक नही लगाई गई है। सरकार के अधिकारी के मुताबिक इस तिमाही में करीब 30 लाख मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात हुआ है। 13 मई की पाबंदी के बाद गेहूं की मांग को लेकर कई देशों ने भारत से संपर्क किया है। सरकार ने तय नियमों के मुताबिक उन अनुरोधों पर विचार किया है। (तस्वीरें- प्रतीकात्मक)