सऊदी अरब गए थे काम की तलाश में और बन गए लाश, 150 भारतीयों शव वापस वतन आने की देख रहे राह
सऊदी अरब गए 150 से ज्यादा भारतीयों की लाशें पिछले एक साल से मुर्दाघरों में पड़ी हुई हैं।
नई दिल्ली। सऊदी अरब में बेहतर रोजगार की तलाश में जाने वाले लोगों के लिए यह खबर किसी सदमें से कम नहीं है। क्योंकि काम की तलाश में सऊदी अरब गए 150 से ज्यादा भारतीयों की लाशें पिछले एक साल से मुर्दाघरों में पड़ी हुई हैं और उन भारतीयों के मजबूर परिवार वाले उनके अंतिम संस्कार के लिए उनके शरीर को वापस भारत नहीं ला पा रहे हैं। दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से गए सैंकड़ों भारतीयों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है।
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भारतीयों की मदद नहीं कर पा रहा भारतीय दूतावास
सऊदी अरब के रियाद में स्थित भारतीय दूतावास से भी इन लोगों को मदद नहीं मिल पा रही है। टीओआई की खबर के मुताबिक इस बावत कई पत्र भारतीय दूतावास को लिखे थे पर वहां से इन भारतीय परिवारों को कोई मदद नहीं मिल पा रही है। विदेश मंत्रालय के अधिकारी में इस मामले में अपने हाथ खड़े करते हुए दिखाई दे रहे हैं। आपको बताते चलें कि सऊदी अरब के मुर्दाघरों में 150 भारतीयों के शरीर पड़े हुए हैं। यह सभी लोग सऊदी अरब में विभिन्न कंपनियों के नौकरी करते थे।
वहां मर चुके भारतीयों की काम करने वाली कंपनियों से जब इस बावत संपर्क किया गया तो वहां से कोई जवाब नहीं मिला। रिपोर्ट के मुताबिक जिन भारतीयों की लाशें वहां पर हैं उन लोगों में से अधिकतर लोगों की मौत बीमारी, हत्या, हादसे या फिर आत्महत्या की वजह से हुई है।
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10 लाख लोग आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करते हैं वहां काम
दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के हैदराबाद, करीमनगर, वारंगल, महबूबनगर, निजामाबाद से बड़ी संख्या में लोग खाड़ी देशों में नौकरी करने जाते हैं। तेलगू समुदाय के जुड़े हुए सऊदी अरब में ही आंध्र और तेलंगाना के करीब 10 लाख लोग काम करते हैं। टीओआई से बातचीत करते हुए मुहम्मद ताहिर जो सऊदी के दमम में कंप्यूटर प्रोग्रामर की नौकरी करते हैं, ने बताया कि लाशों को भारत वापस भेजने की प्रक्रिया काफी कठिन हैं।
वर्ष 2016 मई में हैदराबाद शहर के पुराने शहर में रहने वाली असिमा नाम की एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। कहा जा रहा है सऊदी अरब में जिस शख्स के यहां असिमा काम करती थी, उसने असिमा पर इतना अत्याचार किया कि उसकी मौत हो गई।
एक महिला की हुई संदिग्ध परिस्थितियों की मौत
तेलंगाना सचिवालय के प्रवासी भारतीय मामलों के विभाग ने इस सिलसिले में रियाद स्थित भारतीय दूतावास को पत्र लिख कर मदद मांगी थी। इस मामले में भी भारतीय दूतावास तो असिमा की लाश को सऊदी से वापस भारत लाने में नाकामयाब रहा था। इसके बाद स्वयंसेवी संगठन ने आसिमा की लाश वापस लाने की मुहिम छेड़ी और असिमा का शव 20 मई को हैदराबाद भेज दिया गया। ताहिर ने टीओआई को बताया कि इस काम में कम वक्त लगा। कई ऐसे मामले में हैं जहां 8 महीने से भी ज्यादा समय से लाशें मुर्दाघर में पड़ी हुई हैं, पर उन्हें भारत नहीं लाया जा सका है।
6 लाख का खर्चा नहीं वहन करना चाहती कंपनियां
सऊदी अरब के नियमों के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति की मौत किसी हादसे में हुई है तो उसकी लाश को 40 दिन बाद ही उसके देश भेजा जा सकता है। इस बीच यह प्रक्रिया इतनी कठिन होती है कि और ज्यादा समय लग जाता है।
कई
मामलों
में
ऐसा
होता
है
कि
किसी
कंपनी
में
नौकरी
कर
रहे
व्यक्ति
की
मौत
के
बाद
उसे
नौकरी
देने
वाला
लाश
को
भेजने
का
खर्च
उठाने
से
इनकार
कर
देता
है।
ऐसे
में
भी
काफी
दिक्कतों
का
सामना
करना
पड़ता
है।
सऊदी
अरब
से
वापस
मरे
हुए
व्यक्ति
की
लाश
वापस
भेजने
में
4-6
लाख
रुपए
का
खर्च
आ
जाता
है।
इसलिए
कंपनियां
और
व्यक्तिगत
तौर
पर
कोई
भी
उनका
शव
वापस
नहीं
भेजना
चाहता
है।