VVIP सुरक्षा से हटाए गए 1300 कमांडो, अब सिर्फ इतने जवानों के भरोसे नेताओं की सिक्योरिटी
नई दिल्ली- केंद्रीय गृहमंत्रालय ने 350 वीआईपी की सुरक्षा में लगे एनएसजी कमांडो समेत 1,300 सुरक्षाकर्मियों को हटा लिया है। सुरक्षा में हुई इस कटौती में सभी दलों के नेता शामिल हैं। इस फैसले के तहत कुछ नेताओं की सुरक्षा में कटौती की गई है, जबकि कुछ की सुरक्षा कवर सेंट्रल लिस्ट से हटा दी गई है। इन 1,300 जवानों में अधिकतर विशेष रूप से प्रशिक्षित सीआईएसएफ, सीआरपीएफ और हाइ-प्रोफाइल एंटी-टेरर फोर्स एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडो शामिल हैं। जिन नेताओं की केंद्रीय सुरक्षा में कटौती की गई है या घटाई गई है, उसमें दिग्गज विपक्षी नेताओं के साथ ही भाजपा और आरएसएस से जुड़े लोग भी शामिल हैं।
वीआईपी सुरक्षा की क्यों की गई समीक्षा?
मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद पहली बार गृहमंत्रालय ने वीआईपी को मुहैया की जाने वाली सिक्योरिटी में इतने बड़े पैमाने फेरबदल किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई नेताओं को केंद्र और राज्य सरकारों दोनों की तरफ से सुरक्षा दी जा रही थी। इसके कारण मैनपावर की बर्बादी हो रही थी। इसलिए केंद्र सरकार ने कुछ की सुरक्षा में कटौती करने और कुछ में बदलाव करने का फैसला किया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार किसी भी वीआईपी को उसपर मंडराने वाले खतरे का आकलन करने के बाद ही जरूरी सिक्योरिटी कवर मुहैया कराती और उसकी वक्त-वक्त पर समीक्षा भी करती रहती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि उस व्यक्ति को पूरे देश में कहीं आने-जाने में कोई खतरा न हो। ऐसे मामलों में ज्यादातर लोगों को सीआईएसएफ,एसएसबी या सीआरपीएफ के जवानों की सुरक्षा दी जाती है; और यदि खतरे की आशंका ज्यादा रहती है या किसी नेता पर आतंकी या नक्सली हमले की आशंका होती है, तब उसे सबसे ऊंचे स्तर की एनएसजी की सुरक्षा दी जाती है। इस बार समीक्षा के बाद गृहमंत्रालय को यही सिफारिश की गई थी कि ज्यादातर नेताओं को उनके संबंधित राज्यों की पुलिस सुरक्षा दिए जाने की ही दरकार है। इसका नतीजा ये हुआ कि अब ये 1,300 जवान जनता की सेवा में दूसरी जिम्मेदारियां ज्यादा मजबूती से निभा सकेंगे।
विरोधी दलों में इन नेताओं की घटी सुरक्षा
विरोधी दल के नेताओं में यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम सबसे पहले है, जिनकी जेड प्लस सिक्योरिटी छीने जाने की खबर सबसे पहले सुर्खियां बन चुकी हैं। इनके अलावा बिहार के पूर्व सीएम और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का नाम है, जिनसे जेड श्रेणी की सुरक्षा वापस ले ली गई है। गौरतलब है कि जेड श्रेणी की सुरक्षा जेड प्लस के बाद दूसरे स्तर की सबसे बेहतरीन सुरक्षा कवर है। इसमें एनएसजी कमांडो का दस्ता भी शामिल होता है। लालू के अलावा कांग्रेस नेता और पूर्व बीजेपी सांसद कीर्ति आजाद एवं शत्रुघ्न सिन्हा और पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार से भी जेड श्रेणी की सुरक्षा वापस ले ली गई है। इनके अलावा पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पोते और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बेटी और नाती की सुरक्षा भी घटा दी गई है। इनके अलावा केंद्रीय सुरक्षा लिस्ट से हटने वालों में कांग्रेस नेता दीपेंद्र हूडा, उदित राज, आचार्य प्रमोद कृष्णम और पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार आर चिदंबरम का नाम भी शामिल है।
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लिस्ट में बीजेपी-संघ से जुड़े लोग भी शामिल
आरएसएस के जिन लोगों की केंद्रीय सुरक्षा वापस ली गई है, उसमें इंद्रेश कुमार और जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के एडवाइजर के विजय कुमार का नाम भी शामिल है। इनके अलावा बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी की सुरक्षा भी घटा दी गई है। यही नहीं उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की 'वाई प्लस' श्रेणी की केंद्रीय सुरक्षा भी हटा ली गई है। इनके अलावा यूपी के मंत्री सुरेश राणा और ब्रजेश पाठक के साथ ही बिहार के वैशाली से एलजेपी सांसद वीना देवी, पूर्व सांसद उदय सिंह, बीजेपी नेता अनुपम हाजरा, बीजेपी के राज्यसभा सांसद ओपी माथुर और इटावा से बीजेपी सांसद राम शंकर कठेरिया की केंद्रीय सुरक्षा भी वापस ले ली गई है।
अभी भी 3,000 जवान सुरक्षा में मुस्तैद
अभी भी 3,000 जवान सुरक्षा में मुस्तैद केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के करीब 3,000 जवान अभी भी वीआईपी सुरक्षा ड्यूटी में तैनात रहेंगे। जिन नेताओं की केंद्रीय सुरक्षा में कटौती की गई है या हटाई गई, उनकी सुरक्षा अब राज्यों की पुलिस करेगे। मसलन, अगर कोई संबंधित नेता दिल्ली में मौजूद रहता है तो उसकी सुरक्षा का जिम्मा दिल्ली पुलिस संभालेगी। जानकारी के मुताबिक लगातार होने वाली समीक्षा में इस बात का पूरा ख्याल रखा जाएगा कि किसी की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और जब जैसी जरूरत होगी, उस समय वैसा इंतजाम किया जाएगा।
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