CBSE पेपर लीक: पढ़ने में कमजोर एक स्टूडेंट के चलते कोचिंग संचालक ने किया बड़ा कांड
शिमला। अपने कोचिंग सेंटर में पढ़ रहे एक छात्र को पास कराने व कोचिंग सेंटर का नाम चमकाने का लालच न होता तो शायद ऊना के डीएवी स्कूल के टीचर का सीबीएसई पेपर लीक कांड में हाथ न होता। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़े मुख्य आरोपी के अलावा दो लोगों की गिरफतारी के बाद अब स्कूल प्रिसिंपल अतुल महाजन भी जांच दल के रडार पर हैं। ऊना के डीएवी स्कूल ने कई सालों से शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है लेकिन अब इस नामी संस्थान पर बदनुमा दाग लग चुका है।
डीएवी स्कूल के प्रिंसिपल थे अधीक्षक, जिम्मेदारी सौंपी राकेश को
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के जांच दल ने यहां स्कूल प्रिंसिपल अतुल महाजन से भी लंबी पूछताछ की है। दरअसल,सीबीएसई ने अमित महाजन को ही परीक्षा कराने के लिये अधीक्षक तैनात किया था लेकिन उन्होंने अपने तौर पर आगे यह जिम्मेवारी पीजीटी कामर्स राकेश कुमार को दे दी। इसके पीछे तर्क यह रहा कि राकेश कुमार पिछले दो सालों से यह जिम्मेवारी संभाल रहा था। इसलिये इस बार उन्हें तैनात कर दिया गया। जांच दल अब सीबीएसई से यह पता लगाने की कोशिश में है कि क्या कानूनी तौर पर स्कूल प्रिसिंपल ऐसा करने के लिये अधिकृत था, भी कि नहीं। यही वजह है कि डीएवी स्कूल भी जांच के दायरे में है। हलांकि डीएवी स्कूल परीक्षा के लिये सेंटर नहीं था। इसके लिये जवाहर नवोदय विद्यालय को सेंटर बनाया गया था। जहां तीनों आरोपियों की ड्यूटी थी। आरोपी राकेश की डीएवी स्कूल में आठ साल पहले बतौर पीजीटी कॉमर्स अध्यापक तैनाती हुई थी।
राकेश ही सारे मामले का सूत्रधार बना
राकेश ही सारे मामले का सूत्रधार रहा है। सीबीएसई के क्वेश्चन पेपर स्थानीय बैंक के लॉकर में बंद रहते हैं। जिन्हें सेंटर सुपरिटेंडेंट लॉकर से बाहर निकाल सकता है। उना में ये क्वेश्चन पेपर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के लॉकर में बंद थे, जिसे सिर्फ राकेश ही बाहर निकाल सकता था। राकेश ही बैंक से निकालकर क्वेश्चन पेपर एग्जाम सेंटर तक पहुंचाता था। डीएवी स्कूल में एग्जाम सुपरिटेंडेंट नियुक्त हुए राकेश ने 12वीं का इकोनॉमिक्स का पेपर 23 तारीख को ही बैंक से बाहर निकाल लिया था, जबकि परीक्षा 26 मार्च को होनी थी। दरअसल जब वह बैंक में 12 वीं के कंप्यूटर साईंस के पेपर के बंडल निकालने गया,तो उसकी नजर इकॉनोमिक्स के पेपर पर पड़ी। वहां बंडल में रखे पांच पेपर में से एक पेपर कंप्यूटर साईंस के बंडल में रख राकेश, अशोक व अमित को साथ लेकर बाहर आ गया। दोनों विषयों के पेपर निकालकर सीधा एग्जाम सेंटर पहुंचा और 12वीं के इकोनॉमिक्स के पेपर स्कूल के क्लर्क अमित और चपरासी अशोक को दे दिए। बस यहीं से शुरू हुआ एग्जाम से तीन दिन पहले इकोनॉमिक्स के पेपर लीक का सिलसिला।
अशोक और अमित खेल में हुए शामिल
बाद में आरोपी अशोक और अमित ने इकोनॉमिक्स के पेपर जवाहर नवोदय विद्यालय ले गए, जहां अमित ने एक स्कूल छात्र की मदद से पूरा पेपर हाथ से लिखवा लिया। इसके बाद अमित ने हाथ से लिखे पेपर्स सेंटर सुपरिटेंडेंट राकेश को व्हाट्सएप्प के ज़रिए भेज दिया। बताया जा रहा है कि मुख्य आरोपी राकेश स्कूल से बाहर कोचिंग चलाता था और उसका एक छात्र इकोनॉमिक्स में बेहद कमजोर था। उसी छात्र की मदद के लिए राकेश ने इकोनॉमिक्स का पेपर लीक किया। हालांकि राकेश का मकसद सिर्फ एक छात्र की मदद करना भर नहीं था। राकेश ने चंडीगढ़ में रहने वाली अपनी एक महिला रिश्तेदार के 12वीं में पढ़ने वाले बच्चे के लिए क्वेश्चन पेपर व्हाट्सऐप के जरिए उन्हें भेजे। अगर राकेश चंडीगढ़ में इस रिश्तेदार को पेपर न भेजता तो शायद किसी को भी सारी गड़बड़ की भनक भी न लगती।
इस तरह से हो गए सीबीएसई पेपर लीक
जांच में पता चला है कि इकोनॉमिक्स के एग्जाम से 3 दिन पहले लीक हुआ हैंडरिटेन पेपर 40 से भी ज्यादा व्हाट्सऐप ग्रुप को भेजे गए। हालांकि अभी दिल्ली पुलिस को 12वीं का इकोनॉमिक्स का पेपर लीक करने के इस मामले में पैसों के लेन-देन के सुबूत नहीं मिले हैं।
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