जेपी नड्डा की देखरेख में होगा हिमाचल चुनाव, धूमल परिवार को नहीं दी गई कोई अहम जिम्मेदारी
जेपी नड्डा की देखरेख में होगा हिमाचल चुनाव, धूमल परिवार को नहीं दी गई कोई अहम जिम्मेदारी
शिमला, 23 अगस्त: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में इस बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा उर्फ जगत प्रकाश नड्डा की चलेगी। सारा चुनाव अभियान उन्हीं की देखरेख में होगा। नड्डा के बढ़ते दखल से पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार और उनके बेटे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को खासा झटका लगा है। तो वहीं, धूमल परिवार को आम चुनाव में सक्रिय भागीदारी के लिए कोई अहम जिम्मेदारी नहीं मिलने से उनके समर्थक भी खासे निराश हैं।
हालांकि, धूमल गुट कुछ माह पहले मौजूदा सीएम जयराम ठाकुर और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप को हटाने के लिए खासा दबाव बना रहे थे। लेकिन यह दांव उन्हीं पर उल्टा पड़ता जा रहा है। दरअसल, विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने दो अहम कमेटियां बनाई थी, जिसमें धूमल खेमे को जगह नहीं मिली है। भाजपा ने सीएम जयराम ठाकुर को भाजपा की प्रदेश चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है। वहीं, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजीव बिंदल को प्रदेश भाजपा चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।
जाहिर है चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव ठाकुर और बिंदल की देखरेख में होंगे। दोनों ही नेता जेपी नड्डा के करीबी हैं। हालांकि धूमल गुट पिछले अरसे से आने वाले चुनावों के लिए जोड तोड कर रहा था। ताकि अपने समर्थक नेताओं को चुनाव में टिकट दिलवा सके। माना जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व प्रदेश में गुटबाजी को बढावा देने के मूड में नहीं है। पार्टी को लगता है कि गुटबाजी से चुनावों में नुकसान हो सकता है। बीते साल हुए उपचुनावों में मिली हार की वजह गुटबाजी ही रही है। जिसके चलते अब फूंक फूंक कर कदम रखा जा रहा है। लेकिन इस रणनीति से धूमल खेमा खेमा हाशिये पर चला गया है।
जिसकी वजह से पार्टी में असंतोष भी पनप रहा है और आरोप लगाया जा रहा है कि जानबूझकर पुराने स्थापित नेताओं की उपेक्षा की जा रही है। बताया जा रहा है कि जेपी नड्डा ने अपने शिमला दौरे के दौरान प्रदेश के नेताओं को स्पष्ट कर दिया था कि पार्टी जीत के ही मकसद से चुनाव मैदान में उतर रही है और उसके लिए कोई कोताही नहीं बरती जायेगी। भाजपा इस बार हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के सिलसिले को तोडना चाह रही है। अमूमन प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस की सरकारों की अदला बदली हर पांच सालों बाद होती रही है। पार्टी की ओर से कराए सर्वे की रिपोर्ट ने भी पार्टी को डराया है।
वहीं, इस बार आम आदमी पार्टी की धमक से भाजपा खतरा महसूस करने लगी है। जिसके चलते ही अबकी बार सत्ता में वापसी का रोडमैप तैयार किया गया है। जिसमें गुटबाजी के लिए कोई जगह नहीं देने की बात की जा रही है। वहीं पार्टी बूथ स्तर पर अपना चुनाव अभियान शुरू करने जा रही है। जल्द ही पार्टी चुनाव प्रभारियों की घोषणा भी कर देगी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह राज्य होने से पार्टी के लिए यह प्रतिष्ठा का चुनाव भी है। बीते तीन दशकों से हर बार सत्ता बदलने वाले हिमाचल प्रदेश में भाजपा के सामने इस बार अपनी सरकार बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है।
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लेकिन सत्ता में वापिसी की राह में धूमल जैसे लोकप्रिय नेता की अनदेखी भी जोखिम भरी हैं। हालांकि सीएम जयराम ठाकुर नड्डा के वरदहस्त के चलते धूमल समर्थक नेताओं के लिए मुश्किलें भी पैदा कर रहे हैं। पिछले दिनों देहरा से आजाद विधायक होशियार सिंह और जोगिंदर नगर में निर्दलीय विधायक प्रकाश राणा की एंट्री हुई है, वह धूमल समर्थकों को रास नहीं आई है। यही नहीं, नेताओं को इस बार अपना टिकट कटने का खतरा महसूस हो रहा है। दिलचस्प बात यह है कि जिन नेताओं के टिकट कटने की बात हो रही हे। वह अरसे से पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के साथ कदमताल करते रहे हैं।