हिमाचल प्रदेश में 7 दिन बाद मौत के मुंह से निकले करीब 400 लोग
पिछले दिनों अचानक मौसम के बदले मिजाज की वजह से करीब चार सौ लोग यहां फंस गए थे। सात दिन बाद इन लोगों को सीमा सड़क संगठन की मदद से 54 बड़ी गाड़ियों सहित 188 वाहनों ने रोहतांग दर्रा पार करवाया है।
शिमला। हिमाचल प्रदेश को लेह-लद्दाख से जोड़ने वाले मनाली-लेह मार्ग पर पिछले सात दिनों से भारी बर्फबारी और खराब मौसम की वजह से फंसे करीब 400 लोगों को नई जिंदगी नसीब हुई है। जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे ये लोग आखिर सीमा सड़क संगठन की मदद से निकल आए हैं। दरअसल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चीन सीमा से सटे मनाली-लेह सड़क मार्ग पर रोहतांग दर्रे को पार करते समय पिछले दिनों अचानक मौसम के बदले मिजाज की वजह से करीब चार सौ लोग यहां फंस गए थे। सात दिन बाद इन लोगों को सीमा सड़क संगठन की मदद से 54 बड़ी गाड़ियों सहित 188 वाहनों ने रोहतांग दर्रा पार करवाया है। कोकसर रैस्क्यू टीम के प्रभारी पवन ने बताया कि 54 बड़ी गाड़ियों सहित कुल 188 गाड़ियों ने रोहतांग दर्रे को पार कर कोकसर से मनाली दस्तक दी। उन्होंने बताया कि रोहतांग दर्रे के कुछ भागों में पानी जमने से दिक्कतें बढ़ी हैं। बीआरओ ने रोहतांग दर्रे को बहाल कर दिया है। एसडीएम केलंग कुलदीप सिंह राणा ने बताया कि लाहौल-स्पीति प्रशासन ने प्राथमिकता के हिसाब से लाहौल में फंसे लोगों को घाटी से बाहर निकाला है। उन्होंने बताया कि कोकसर से वाहनों को मनाली भेजा गया है। बहरहाल लाहौल में फंसे लोगों को प्रशासन ने 7 दिन के बाद घाटी से बाहर भेज कर उन्हें राहत दी है।
बी.आर.ओ की मदद से बचाई गईं जिंदगियां
इस बीच सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने राहत दी है। दरअसल सीमा सड़क संगठन मनाली के कमांडर कर्नल अरविंद कुमार अवस्थी ने कहा कि 2018 में मनाली-लेह मार्ग पर पर्यटक और राहगीर सुहाने सफर का आनंद उठा सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस साल लेह मार्ग के 222 किलोमीटर लंबे मनाली-सरचू मार्ग पर 50 किलोमीटर की मैटलिंग का काम पूरा कर लिया है। उन्होंने कहा कि इस साल कोकसर में चंद्रभागा नदी पर 70 मीटर लंबा स्टील ब्रिज और कोकसर नाले में 30 मीटर लंबा पुल तैयार कर जनता को समर्पित किया है। उन्होंने बताया कि 2018 में कोठी पुल, कमांडर पुल, दारचा पुल और सरचू पुल को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। कर्नल अवस्थी ने बताया कि इस साल मनाली-सरचू मार्ग पर कल्वर्ट, ब्रैस्ट वॉल और लाइन ड्रेन पर 30 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इससे सड़क के सफर को सुहाना बनाने में मदद मिली है।
सड़क चौड़ी करने का चल रहा है काम
कर्नल अवस्थी ने कहा कि दारचा-शिंकुला मार्ग को डबललेन बनाने के साथ-साथ शिंकुला से पदुम को सडक़ बनाने का कार्य जारी है। 27 किलोमीटर दारचा-शिंकुला मार्ग को 2018 में पक्का कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि तांदी-संसारी मार्ग पर भी सड़क चौड़ाई का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। कर्नल अवस्थी ने कहा कि तांदी से संसारी तक सड़क को भी खुला रखने के प्रयास किए जाएंगे।
बी.आर.ओ टीम ने भी ली सीख
कर्नल ने कहा कि बीआरओ के जवानों ने माइनस तापमान में 12 घंटे काम कर रोहतांग दर्रे को बहाल किया है, जिसके लिए बीआरओ की पूरी टीम बधाई की पात्र है। लाहौल में फंसे लोगों को घाटी से बाहर निकलने के लिए ही बीआरओ ने दर्रे को बहाल किया है। उन्होंने कहा कि आज और कल वाहनों की आवाजाही को रोहतांग खुला रहेगा। कर्नल ने स्पष्ट किया कि अब बर्फ पड़ने की सूरत में बीआरओ रोहतांग दर्रे को बहाल नहीं करेगा।
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