किसान आंदोलन में जुटे रिटायर्ड फौजी बोले- ये हक की लड़ाई है, इस बॉर्डर से हम पीछे नहीं हटने वाले
सोनीपत। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का आंदोलन तेज होता जा रहा है। इसमें पूर्व सैनिक भी हिस्सा ले रहे हैं। यहां मोगा से आए रिटायर्ड सूबेदार जोगेंद्र सिंह समेत कई रिटायर्ड फौजी किसानों के साथ कुंडली बार्डर पर जुटे। जहां जोगेंद्र बोले कि, 'सन् 1965 और 71 में हमने हिंदुस्तान-पाकिस्तान की जंग में हिस्सा लिया। दुश्मन के दांत खट्टे किए। अब यहां अपनी ही सरकार के किसान विरोधी कानून के खिलाफ सड़क पर आना पड़ा है। यहां मैं किसानों की लड़ाई लड़ने आया हूं। यह हक की आवाज है, जो कि खूब जोर से उठेगी।''
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जोगेंद्र ने कहा कि, 'जब हम सैनिक थे तो बॉर्डर पर लड़े थे, फिर मोगा में खेती-किसानी करने लगे। लेकिन अब सरकार ने जो 3 काले कानून बनाए हैं, वो लगते हैं जैसे किसानों की कमर तोड़ने की योजना बनाई गई है। लेकिन सरकार ये नहीं जानती कि किसान देश का अन्नदाता है। यदि उसे नुकसान पहुंचाया गया, उसे भूखा रखने की कोशिश की गई तो वो देश का पेट कैसे भरेगा। जोगेंद्र ने यह भी बोले कि, हमारे साथ समझो पूरे देश के साथ ही साजिश होगी।' उन्होंने कहा- 'हमने देश के दुश्मनों से लड़ाई लड़ी है, अब किसानों की लड़ाई के लिए अपनी ही सरकार से भिड़ना पड़ रहा है।'
सेना के पूर्व सूबेदार आगे बोले, 'केंद्र सरकार को काले कानून वापस लेने ही पड़ेंगे, क्योंकि हमारे जैसे बहुत से साथी इस बॉर्डर से हटने वाले नहीं हैं। हमें बॉर्डर से पीछे हटने की आदत नहीं है। चाहे वो देश के दुश्मन से लगा बॉर्डर हो, चाहे फिर दिल्ली का बार्डर हो। सरकार ने जो 3 कानूनेां वाला कदम उठाया है, इसे वापस खींचना पड़ेगा। हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।'
बता दिया जाए कि, जोगेंद्र सिंह भारतीय सेना में बतौर सूबेदार सेवा दे चुके हैं। वह खुद कहते हैं कि, 2 बड़ी लड़ाइयां लड़ चुके हैं। बहरहाल, उनकी उम्र 70 साल से ज्यादा हो चुकी है, लेकिन अब भी अपने खेतों में काम करते हैं। खेती-किसानी में उनके बेटे और पोते भी हाथ बंटाते हैं।