Gandhi Jayanti 2022: जब महात्मा गांधी की एक झलक पाने को उमड़ा था जन सैलाब
भारत की स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायकों में से एक मोहनदास करमचंद गांधी की जयंती आज है। 2 अक्टूबर 1869 को गांधी जी का जन्म हुआ था। देश गांधी जी के योगदान को सदियों तक याद रखेगा। उनके आदर्श, अहिंसा का पाठ, सत्य के मार्
गोरखपुर,2अक्टूबर।
Gandhi
Jayanti
2022:प्रत्येक
वर्ष
2
अक्टूबर
को
'गांधी
जयंती'
मनायी
जाती
है।
महात्मा
गांधी
सिर्फ
एक
नेता
ही
नहीं
बल्कि
समाज
सुधारक
भी
थे।
बापू
की
अहिंसक
नीतियों
और
नैतिक
आधारों
ने
लोगों
को
जन
आंदोलन
से
जोड़ा
।
राष्ट्रपिता
महात्मा
गांधी
के
विचारों
ने
देश
ही
नहीं
बल्कि
विदेश
में
बसे
लोगों
का
मार्गदर्शन
किया।वह
सभी
के
लिए
प्रेरणाश्रोत
थे।गोरखपुर
से
भी
उनकी
बहुत
सारी
यादें
जुड़ी
हैं।महात्मा
गांधी
और
मौलाना
शौकत
अली
साथ-साथ
8
फरवरी
1921
को
बिहार
के
रास्ते
ट्रेन
से
यहां
आए।
बाले
मियां
के
मैदान
में
भारी
जनसैलाब
उमड़
पड़ा।उनकी
एक
झलक
पाने
के
लिए
लोग
आतुर
थे।गोरखपुर
से
जुड़ी
बापू
की
कुछ
यादें
आपको
बताएंगे।
गोरखपुर आगमन
अक्टूबर,1920 में हुई सार्वजनिक सभा में गांधी जी को गोरखपुर बुलाने का निर्णय लिया गया। बाबा राघवदास की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल नागपुर के कांग्रेस अधिवेशन में गया और महात्मा गांधी से गोरखपुर आने का अनुरोध किया। उन्होंने जनवरी के आखिर या फरवरी के शुरू में गोरखपुर आने का आमंत्रण कबूल कर लिया। महात्मा गांधी और मौलाना शौकत अली साथ-साथ 8 फरवरी 1921 को बिहार के रास्ते ट्रेन से यहां आए।
बापू को देखने के लिए उमड़ा जन सैलाब
8 फरवरी सन् 1921 गोरखपुर के रेलवे स्टेशन पर सुबह सवेरे ही महात्मा गांधी और शौकत अली जब पहुंचे तो हजारों की भीड़ उनकी एक झलक पाने को बेचैन थी। लोगों का उत्साह देखने योग्य था। धोती पहने महात्मा गांधी समर्थकों के साथ स्टेशन से बाहर निकले और ऊंचे स्थान पर खड़े होकर जनता का अभिवादन स्वीकार किया।उन्हें देखने के लिए स्टेशन पर लोगों की भारी भीड़ जुटी थी।
आबादी 58हजार,भीड़ ढाई लाख
महात्मा गांधी आमजन में बेहद लोकप्रिय थे।उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब उन्होंने बाले मियां के मैदान में जनता को संबोधित किया था तो उस समय गोरखपुर की आबादी महज 58हजार थी।संसाधन के अभाव के बाद भी सभा में ढ़ाई लाख लोग उपस्थित हुए थे।इस जनसभा ने स्वतंत्रता आंदोलन की गति को और तेज कर दिया था।
मुंशी प्रेमचंद्र ने जब छोड़ दी नौकरी
उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद्र भी बाले मियां के मैदान में गांधी जी को सुन रहे थे।देश के प्रति गांधी जी के विचारों ने उन्हें झकझोर दिया।प्रेमचंद्र के अंदर देशभक्ति की भावना इस कदर बढ़ गयी कि उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी।वह स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो गए।
टी स्टॉल पर पी चाय
वीर अब्दुल हमीद रोड बक्शीपुर एक मीनारा मस्जिद स्थित गांधी मुस्लिम होटल का नाम गांधी होटल था। होटल के मालिक अहमद रजा खान ने बताया कि दादा गुलाम कादिर बताते थे कि यह होटल जंगे आजादी की याद समेटे हुए है। बाले मियां के मैदान बहरामपुर में जनता को संबोधित किया। जब महात्मा गांधी बाले मैदान जा रहे थे कुछ देर के लिए कांग्रेसियों ने यहां उनका स्वागत किया तब से यह टी स्टॉल गांधी जी के नाम से मशहूर हो गया।
कुछ रोचक तथ्य
गांधी
केवल
13
वर्ष
के
थे,
जब
उन्होंने
साल
1882
में
14
वर्षीय
कस्तूरबा
से
शादी
की
थी।
उनके
पहले
बच्चे
की
मृत्यु
ने
उन्हें
बाल
विवाह
का
प्रबल
विरोधी
बना
दिया।इतिहासकारों
के
अनुसार
कवि
और
नोबेल
पुरस्कार
विजेता
रवींद्रनाथ
टैगोर
ने
ने
1915
में
मोहनदास
करमचंद
गांधी
को
महात्मा
की
उपाधि
दी
थी।
रवींद्रनाथ
टैगोर
ने
ये
बात
अपनी
ऑटोबॉयोग्राफी
में
लिखी
है।
महात्मा
गांधी
को
नोबेल
शांति
पुरस्कार
के
लिए
पांच
बार
नामांकित
किया
गया
था।
यह
साल-
1937,
1938,
1939,
1947,
और
अंत
में,
जनवरी
1948
में।
साल
1930
में,
महात्मा
गांधी
टाइम
मैगजीन
मैन
ऑफ
द
ईयर
थे।साल
1959
में,
गांधी
स्मारक
संग्रहालय
की
स्थापना
की
गई
थी।
यह
भारत
के
तमिलनाडु
राज्य
के
मदुरै
शहर
में
स्थित
है।
इसे
गांधी
संग्रहालय
के
नाम
से
भी
जाना
जाता
है।