Doping Test: क्या होता है डोप टेस्ट और किस तरह की दवाओं को किया गया है प्रतिबंधित
खेल संगठनों द्वारा खिलाड़ियों के लिए कई दवाओं को प्रतिबंधित किया गया है। इसकी जांच के लिए समय-समय पर खिलाडियों का डोपिंग टेस्ट होता है।
Doping Test: एशियाई खेलों में पदक विजेता भारतीय एथलीट दुती चंद को हाल ही में किए गए एक डोपिंग टेस्ट में प्रतिबंधित रसायन पाए जाने पर अस्थायी रूप से बैन कर दिया है। उन पर किए गए टेस्ट में एण्ड्रोजन रिसेप्टर मॉड्यूलेटर (एसएआरएम) प्रतिबंधित दवा लेने के प्रमाण मिले हैं। जिसके बाद उन्हें अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है। अब दुती चंद को अपना बी सैंपल देना होगा और उसमें भी प्रतिबंधित पदार्थ पाए जाने पर उन पर लंबा प्रतिबंध लग सकता है और 2023 के एशियाई खेलों में वह भारत का प्रतिनिधित्व नहीं कर पायेगी।
आजकल खेलों की प्रतियोगिता (इवेंट, मैच) या ट्रेनिंग में खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की मेहनत में लगे रहते हैं। इस दौरान, वे अपनी ताकत बढ़ाने, स्टेमिना बनाए रखने, बॉडी फैट कम करने और मसल स्ट्रेंथ बढ़ाने के लिए कुछ दवाएं लेने लगते हैं। कई बार वे अपने प्रदर्शन पर विश्वास की कमी या किसी कारण प्रदर्शन कमजोर रहने के भय का शिकार हो जाते है। जिसके चलते वे अगर किसी प्रतिबंधित दवा का सेवन करके अपने प्रदर्शन को बढ़ाने की कोशिश करते हैं, तो पकड़े जाने पर उन्हें डोपिंग कानून के तहत सजा या बैन कर दिया जाता है।
डोपिंग टेस्ट क्या है?
डोपिंग का अर्थ होता है - नशीली दवाओं के असर में होने की अवस्था यानि खिलाड़ियों द्वारा उन दवाओं का सेवन करना जिससे उनकी शारीरिक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है। ऐसी किसी दवा का सेवन खिलाड़ी द्वारा किया गया है या नहीं, यह जानने के लिए ही डोपिंग टेस्ट किया जाता हैं।
डोपिंग टेस्ट कैसे किया जाता है?
डोप टेस्ट करने के दो तरीके हैं। पहले तरीके में किसी भी खिलाड़ी का टेस्ट उसके यूरिन (मूत्र) का नमूना लेकर किया जाता हैं। यह सैम्पल किसी भी प्रकार की घरेलू या वैश्विक प्रतिस्पर्धा शुरू या खत्म होने के समय लिया जा सकता है। दूसरे तरीके में खिलाड़ी के खून का नमूना लिया जाता है।
कौन करता है डोपिंग टेस्ट?
अंतरराष्ट्रीय खेलों में मादक पदार्थों को रोकने के लिए विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (WADA) का गठन 10 नवम्बर 1999 में स्विट्जरलैंड में किया गया था। जिसके बाद कई देशों ने भी National Anti‑Doping Agency (NADA) का गठन किया। भारत में नाडा का गठन 2009 में हुआ। आमतौर पर भारत में खिलाडियों का डोपिंग टेस्ट नाडा और दुनिया भर में वैश्विक खेलों के दौरान या ट्रेनिंग में खिलाडियों का डोपिंग टेस्ट वाडा द्वारा किया जाता है। इन संस्थाओं ने डोपिंग में आने वाले दवा (ड्रग्स) को पांच श्रेणी में विभाजित किया हैं - स्टेरॉयड, पेप्टाइड हॉर्मोन, नार्कोटिक्स, डाइयूरेटिक्स और ब्लड डोपिंग।
प्रतिबंधित दवा का खिलाड़ियों पर असर
स्टेरॉयड एक ऐसा रसायन हैं जो हमारे शरीर में पहले से मौजूद होता हैं। पुरुष एथलीट (खिलाड़ी) कभी-कभी अपनी मांसपेशियों की ताकत को बढ़ाने के लिए स्टेरॉयड के इंजेक्शन लेते हैं। इससे उनकी मांसपेशियां मजबूत हो जाती हैं।
पेप्टाइड हॉर्मोन भी हमारे शरीर का ही एक हॉर्मोन है। इन्सुलिन हॉर्मोन शुगर के मरीजों के लिए जीवनदायक दवा है, लेकिन स्वस्थ खिलाड़ी को दिया जाए तो यह उसके फैट को कम करके उसके मसल्स को बढ़ाती है।
ब्लड डोपिंग में खिलाड़ी कम उम्र के व्यक्ति का ब्लड अपने अंदर चढ़ाते है, क्योंकि उस ब्लड में रेड ब्लड सेल ज्यादा होता है, जो ज्यादा ऑक्सीजन लेकर जबरदस्त ताकत प्रदान करती है।
डाइयूरेटिक्स ऐसी दवा है जिससे शरीर से पानी को बाहर निकाला जाता है। इसे कुश्ती या बॉक्सिंग जैसे मुकाबलों में अपना वजन घटा कर कम वजन वाले वर्ग में एंट्री लेने के लिए खिलाड़ी इस्तेमाल करते हैं।
नार्कोटिक या मॉर्फीन जैसी दर्दनाशक दवाइयों का इस्तेमाल डोपिंग में अधिक इस्तेमाल होता है, क्योंकि खिलाड़ी इन दवाओं से अपने दर्द को भूल कर अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश करता है।
भारत में डोपिंग के मामले
विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी की 2021 में जारी रिपोर्ट के अनुसार डोपिंग मामले में भारत, रूस और इटली के बाद तीसरे नंबर पर हैं। भारत में डोपिंग की शुरुआत दिल्ली रेलवे स्टेडियम में आयोजित 1968 के मेक्सिको ओलंपिक ट्रायल के दौरान हुई थी। ट्रायल के दौरान कृपाल सिंह ने 10 हजार मीटर दौड़ में ट्रैक छोड़ दिया, कुछ देर बाद ही उनके मुंह से झाग निकलने लगे और वह बेहोश हो गए। जब इसकी जाँच की गयी, तो पता चला कि कृपाल ने खेल में बेहतर प्रदर्शन के लिए नशीला पदार्थ लिया था ताकि वह मेक्सिको ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर सके।
नाडा की 2017 रिपोर्ट में यह साफ देखने को मिलता है कि इसके गठन के बाद 2009 से 2016 तक कुल 687 खिलाड़ी डोप टेस्ट में फेल होने के कारण बैन हो चुके हैं। जैसे, 2017 में भारतीय क्रिकेट गेंदबाज युसूफ पठान डोपिंग टेस्ट में प्रतिबंधित ड्रग टरबूटेलाइन लेते पाए गए, जिसके बाद उन पर बीसीसीआई ने पांच महीने का प्रतिबंध लगाया था।
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वहीं विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2019 में कुल 157 खिलाड़ी डोपिंग नियमों का उल्लंघन करते पाए गए जो दुनिया के कुल मामलों के 17 प्रतिशत हैं। इसके अलावा पिछले साल आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स से ठीक पहले भारत के दो नामी एथलीट डोप टेस्ट में फेल हुए थे, जिन पर तीन साल का बैन और भारत के राष्ट्रीय शिविर से भी निलंबन किया गया था। फजीहत न हो इसके लिए खिलाड़ियों का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया था।
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