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Maharana Pratap Jayanti 2020: अमर शूरवीर महाराणा प्रताप की जयंती आज, जानें इस महान योद्धा से जुड़े खास तथ्य

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नई दिल्ली। भारतीय इतिहास के पन्ने पलटकर देखें तो ऐसे महान शूरवीर योद्धाओं के बारे में पता चलता है, जो आज भी लोगों के दिलों में अमर हैं। जब-जब भारत पर विदेशी आंक्राताओं ने हमला किया, तब-तब अतुलनीय पराक्रम से सराबोर राजाओं ने उनका डटकर सामना किया। भारतीय इतिहास में इसका एक अमर और अमिट उदाहरण हैं 'महाराणा प्रताप' (Maharana Pratap)। वह एक ऐसे शूरवीर थे, जो आज भी हर भारतवासी के जहन में अमर हैं। राजस्थान के वीर सपूत, महान योद्धा और अदभुत शौर्य व साहस के प्रतीक महाराणा प्रताप की आज 480वीं जयंती है।

कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था जन्म

कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था जन्म

अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक, महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को कुंभलगढ़ दुर्ग (पाली) में हुआ था। लेकिन राजस्थान में राजपूत समाज का एक बड़ा तबका उनका जन्मदिन हिंदू तिथि के हिसाब से मनाता है। क्योंकि 1540 में 9 मई को ज्येष्ठ शुक्ल की तृतीया तिथि थी, इस हिसाब से इस साल उनकी जयंती 25 मई को भी मनाई जाएगी। आइए जानते हैं महाराणा प्रताप के जीवन के उन तथ्यों के बारे में, जिसे जानने की हर भारतवासी के मन में लालसा रहती है।

कीका नाम से पुकारा जाता था

कीका नाम से पुकारा जाता था

महाराणा प्रताप का जन्म महाराजा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कंवर के घर हुआ था। उन्हें बचपन और युवावस्था में कीका नाम से भी पुकारा जाता था। ये नाम उन्हें भीलों से मिला था, जिनकी संगत में उन्होंने शुरुआती दिन बिताए थे। भीलों की बोली में कीका का अर्थ होता है- 'बेटा'। प्रताप मेवाड़ में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे।

महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक काफी बहादुर था

महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक काफी बहादुर था

महाराणा प्रताप के पास चेतक नाम का एक घोड़ा था जो उन्हें सबसे प्रिय था। प्रताप की वीरता की कहानियों में चेतक का अपना स्थान है। उसकी फुर्ती, रफ्तार और बहादुरी की कई लड़ाइयां जीतने में अहम भूमिका रही है। चेतक पर कई भारतीय साहित्यकारों ने एक से एक कविताएं भी लिखी हैं।

मुगलों से कई लड़ाइयां लड़ी

मुगलों से कई लड़ाइयां लड़ी

महाराणा प्रताप ने वैसे तो मुगलों से कई लड़ाइयां लड़ी थीं, लेकिन सबसे ऐतिहासिक लड़ाई थी- हल्दीघाटी का युद्ध। इसमें उनका मानसिंह के नेतृत्व वाली अकबर की विशाल सेना से सामना हुआ था। आपको ये बात जानकर आश्चर्य होगा कि साल 1576 में हुए इस जबरदस्त युद्ध में करीब 20 हजार सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने 80 हजार मुगल सैनिकों का सामना किया था। यह मध्यकालीन भारतीय इतिहास का सबसे चर्चित युद्ध भी माना जाता है।

कभी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की

कभी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की

इस युद्ध में महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक जख्मी हो गया था। युद्ध के बाद मेवाड़, चित्तौड़, गोगुंडा, कुंभलगढ़ और उदयपुर पर मुगलों का कब्जा हो गया था। अधिकांश राजपूत राजा मुगलों के अधीन हो गए लेकिन महाराणा ने कभी भी अपना स्वाभिमान नहीं छोड़ा। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक उन्हें बेहद संघर्ष भी करना पड़ा।

मुगलों के हाथों गंवाए क्षेत्रों पर दोबारा कब्जा किया

मुगलों के हाथों गंवाए क्षेत्रों पर दोबारा कब्जा किया

साल 1582 में दिवेर के युद्ध में महाराणा प्रताप ने उन क्षेत्रों पर दोबारा अपना कब्जा जमा लिया जो कभी मुगलों के हाथों गंवा दिए गए थे। कर्नल जेम्स टॉ ने मुगलों के साथ हुए इस युद्ध को मेवाड़ का मैराथन तक कहा था। 1585 तक लंबे संघर्ष के बाद वह मेवाड़ को मुक्त करने में सफल भी रहे। महाराणा प्रताप जब गद्दी पर बैठते थे, उस समय जितनी मेवाड़ भूमि पर उनका अधिकार था, पूर्ण रूप से उतनी भूमि अब उनके अधीन थी।

महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो था

महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो था

महाराणा प्रताप को लेकर एक सबसे अधिक कही जाने वाली बात ये भी है कि उनके भाले का वजन 81 किलो और छाती के कवच का वजन 72 किलो था। उनका भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन कुल मिलाकर 208 किलो था। महाराणा प्रताप ने मायरा की गुफा में घास की रोटी खाकर कई दिन गुजारे थे, लेकिन अकबर की गुलामी स्वीकार नहीं की। हकीम खां सूरी, हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की ओर से लड़ने वाले एकमात्र मुस्लिम सरदार थे।

57 वर्ष आयु में देहांत हुआ

57 वर्ष आयु में देहांत हुआ

साल 1596 में शिकार खेलते समय महाराणा प्रताप को चोट लगी थी, जिससे वह कभी उबर नहीं पाए। 19 जनवरी 1597 को महज 57 वर्ष आयु में चावड़ में उनका देहांत हो गया था। उनकी वीरता, साहस, शौर्यता और स्वाधीनता का लोहा मुगल बादशाह अकबर को भी मानना पड़ा था। वह महाराणा ही थे, जिनके डर से अकबर अपनी राजधानी लाहौर ले गया था और महाराणा के देहावसान के बाद उसने पुनः आगरा को अपनी राजधानी बनाया। अपने जीवन से स्वाधीनता का पाठ पढ़ाने वाले महाराणा प्रताप हर भारतवासी के लिए अमर हैं और हमेशा अमर रहेंगे।

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English summary
Maharana Pratap Jayanti 2020 rajasthan mewar king maharana pratap jayanti know interesting facts about him
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