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मानव रहित क्रॉसिंग से जुड़ी ये बातें जरूर जानिये

By Ajay Mohan
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सोमवार को झारखंड में तेज रफ्तार से आती एसयूवी सीधे जाकर ट्रेन से टकरा गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि एसयूवी कार में सवार 14 लोगों में से 13 की मौके पर ही मौत हो गई और 1 ने अस्पताल ले जाते वक्त दम तोड़ दिया। यह टक्कर इसलिये हुई क्योंकि यह क्रॉसिंग मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग थी।

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Know about Unmanned Railway Crossing in India

तेज रफ्तार से गुजरती रेलगाडि़यों के आने से पहले पटरियों को पार करने में लोग अक्सर जल्‍दबाजी दिखाते हैं, लेकिन वे रेलगाडि़यों के बारे में एक साधारण सी बात भूल जाते हैं कि 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही रेलगा‍ड़ी को 1.7 किलोमीटर की दूरी तय करने में एक मिनट से भी कम का समय लगता हैं। इसलिए सिर्फ आधे मिनट से भी कम का फायदा उठाने के प्रयास में हम रेल पटरियों को पार करने का प्रयास करते हैं, जहां कुछ दूरी पर एक तेज रफ्तार से रेलगाड़ी आ रही होती है।

रेलवे फाटकों को पार करने की हड़बड़ी जान लेवा हो जाती है

रेल सेवाओं के इस्‍तेमाल खासकर रेल फाटकों को पार करने में हड़बड़ी ही जानलेवा हो जाती है। इसे हर किसी को समझनेकी जरूरत है।

  • 2014 के डाटा के मुताबिक भारतीय रेल की 31,254 लेवल क्रासिंग में से 12,500 फाटक बिना चौकीदार वाले हैं।
  • यानी देश की करीब 40 फीसदी रेलवे क्रॉसिंग पर कोई चौकीदार नहीं होता है।
  • बिहना फाटक वाली रेल दुर्घटनाओं में से 66 फीसदी में लोगों की मौत हो जाती है।

क्या कर रहा है रेलवे

रेल फाटकों पर होने वाली दुर्घटनाएं बड़े पैमाने पर मानव जनित हैं। इससे बचने के लिये ट्रेन ड्राइवरों को प्रश‍िक्षण दिया जाता है। 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली किसी भी रेलगाड़ी को 1.7 किलोमीटर की दूरी तय करने में एक मिनट से भी कम समय लगता है। इसी तरह रेलगाड़ी चालकों को लेवल क्रासिंग के 600 मीटर दूर से ही इंजन की सीटी बजाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

भारतीय रेल ने चौकीदार रहित रेलवे फाटकों की जानकारी देने के लिए वास्‍तविक क्रासिंग से 200, 120 और 5 मीटर पहले से ही चार प्रकार के साइन बोर्ड लगाये जाते हैं, ताकि क्रॉसिंग पार कर रहे लोगों को पता चल जाये कि आगे मानवरहित क्रॉसिंग है और ट्रेन कभी भी आ सकती है।

पहले साइन बोर्ड में एक रेल इं‍जन दो पट्टियां, दूसरे में एक इंजन और एक पट्टी है। तीसरे में एक स्‍पीड ब्रेकर चेतावनी और चौथे में बड़े-बड़े अक्षरों में ‘रूको, सुनो और आगे बढ़ो' लिखा होता है।

रेलवे लगातार यात्रियों से अपील करता रहा है कि लेवल क्रासिंग पार करते समय अत्‍यधिक सावधानी बरतें। अधिक आवाज में कार में म्यूजिक सिस्टम, कान में हेडफोन, मोबाइल पर बात करते हुए वाहन चलाने आदि से हर कोई भूल जाता है कि आगे मानवरहित क्रॉसिंग है। जबकि सच पूछिए तो महज थोड़ी सी सावधानी बरत कर हर साल 30 हजार से ज्यादा जानें बचायी जा सकती हैं।

नोट- इस लेख में कई तथ्य पसूका के सहायक नि‍देशक डॉ. के.परमेश्‍वरन द्वारा पीआईबी के लिये लिखे गये लेख से लिये गये हैं।

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English summary
You must know the facts about Unmanned Railway Crossing in India. For this not only railway is responsible, but common people too.
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